कोरोना और बेरोजगारी : सेना, विमानन और आईटी सेक्टर में छंटनी


कोरोना के बाद देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद आईटी सेक्टर को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। कोरोना के कारण आईटी सेक्टर की भी कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छटनी शुरू कर दी है।देश के अलग-अलग शहरों से हर रोज इस तरह के समाचार सुनने को मिल जाते हैं।



कोरोना का कहर तो धीरे-धीरे कम होने लगा है। बीमार होने वालों की संख्या और ठीक होने वालों की संख्या लगभग बराबरी पर आ गई है। कोरोना से होने वाली मौतों का सिलसिला भी काफी कम हो गया है और कम संख्या में ही सही लोगों ने धीरे-धीरे काम पर जाना भी शुरू कर दिया है। कह सकते हैं कि आम जन-जीवन धीरे-धीरे सामान्य होने की स्थिति में है। उम्मीद की जानी चाहिए कि शीघ्र ही हालात सामान्य हो जायेंगे। संभवतः एक से डेढ़ महीने (15 सितम्बर 2020 तक ) के बाद स्थितियां पहले की तरह सामान्य हो जायेंगी। इधर कोरोना प्रतिरोधी टीका भी परीक्षण की चुनौतियों में खरा उतर चुका है। इससे यह उम्मीद भी बनती है कि जिस तरह हैजे और चेचक जैसी के टीके और पोलियों की दवा इजाद होने से इन महामारियों को काबू में रखने में मदद मिली है उसी तरह आने वाले समय में कोरोना भी लाइलाज नहीं रह जाएगा। 

कोरोना से इंसान को केवल स्वास्थ्य सम्बन्धी नुक्सान नहीं हुआ है इसके अलावा भी बहुत कुछ हमने खोया है। भविष्य में उसकी भरपाई कैसे हो, आज यह सबसे विचारणीय मुद्दा बन गया है। प्रसंगवश यहां कोरोना काल में किसी देश या प्रदेश की सरकार के काम काज की प्रशंशा करने या आलोचना करने का भी कोई मकसद नहीं है। मकसद सिर्फ इतना है कि यह सही वक़्त है कि हम सब मिल कर यह पड़ताल करें कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो कुछ खोया है उसकी भरपाई करने के साथ ही इस पर भी मनन करें कि कोरोना की वजह से अन्य क्षेत्रों में हुए नुक्सान की भरपाई कैसे होगी?  

इन अन्य क्षेत्रों में सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा क्षेत्र बेरोजगारी का है। कोरोना से बचाव के चलते कई महीनों तक लागू किये गए विश्वव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश-विदेश में लाखों-करोड़ों लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे तो बेरोजगारी अपने आप में सबसे बड़ा रोग है लेकिन यह रोग तब नासूर बन जाता है जब किसी इंसान को किसी भी वजह से अपनी लगी- लगाईं नौकरी और रोजगार से हाथ धोना पड़ता है। कोरोना की वजह से निजी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सरकारी क्षेत्र में भी नौकरियों में बड़े पैमाने पर कटौती की गई है। 

अभी हाल ही में भारत सरकार ने इसी संकट से निपटने के क्रम में रक्षा मंत्रालय में इंजीनियरिंग सेवा के नौ हजार से अधिक पदों को समाप्त करने का फैसला लिया है। गैर जरूरी खर्चों में कटौती कर सरकारी राजस्व में बचत करने की नीति के तहत रक्षा मंत्रालय की इस सेवा को समाप्त करने का सिलसिला तो काफी पहले शुरू हो चुका था और सरकार द्वारा गठित एक समिति बहुत पहले इस सेवा को समाप्त करने की सिफारिश कर भी चुकी थी लेकिन कोरोना संकट के चलते हमारे मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सेना की इंजीनियरिंग सर्विस के 9300 से अधिक पदों को समाप्त करने का फैसला अब लेना पड़ा है। इसके साथ ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना की मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमइएस) में बड़े पैमाने पर पदों की संख्या में भारी कटौती करने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर भी लगा दी है।

गैर जरूरी सैन्य खर्च में कमी लाने की गरज से लिए गए इस फैसले के सन्दर्भ में सरकार का अपना तर्क यह है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित एक  समिति ने  के इस संस्थान के असैनिक कर्मचारियों के पुर्नगठन की रूपरेखा सुझाई थी। समिति का सुझाव था कि पुर्नगठन इस तरह हो कि एमइएस का कुछ काम विभागीय सैन्य  कर्मचारियों को सौंप दिया जाए और शेष काम जरूरत के हिसाब से आउट सोर्स करके पूरा किया जाए। रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित शेतकर समिति की सिफारिश के अनुरूप ही सरकार ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के कुल 13,157 पदों में से 9304 पदों को समाप्त करने का  प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

कोरोना संकट के कारण सरकारी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरियों में हुई कटौती के मामले रक्षा मंत्रालय के साथ ही विमानन क्षेत्र की सरकारी कंपनी एयर इण्डिया भी है। इस कंपनी ने आर्थिक तंगी की वजह से अपने कर्मचारियों को नौकरी से हटाया तो नहीं है लेकिन इस कंपनी ने अपने कर्मचारियों को छः महीने से लेकर पांच साल तक बिना वेतन अवकाश पर भेजने का विकल्प दिया है। बिना वेतन अवकाश पर जाने का मतलब सब जानते हैं। 

निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी विमानन कंपनियों में से एक इंडिगो ने अपने 10 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला लिया है। ताजा जानकारी के मुताबिक़ इस छटनी आदेश के जारी होने से पहले तक इस कंपनी में कुल 23,531 कर्मचारी काम कर रहे थे। सिर्फ विमानन क्षेत्र में ही नहीं ऑटोमोबाइल और आईटी सेक्टर में भी कोरोना का असर साफ देखने को मिल रहा है।

कोरोना के बाद देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद आईटी सेक्टर को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। कोरोना के कारण आईटी सेक्टर की भी कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छटनी शुरू कर दी है। देश के अलग-अलग शहरों से हर रोज इस तरह के समाचार सुनने को मिल जाते हैं जिनमें किसी आईटी कंपनी द्वारा एक घंटे के नोटिस पर तीन सौ से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने की बात होती है तो कहीं से यह खबर भी आ जाती है कि एक छोटी सी आईटी कंपनी ने कोरोना की वजह से मिली आर्थिक तंगी के चलते अपने आधा दर्जन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। 

कहा तो यह भी जा रहा है कि आने वाले 3 से 6 महीनों में आईटी सेक्टर के 1.5 लाख लोगों की नौकरी पर संकट पैदा हो सकता है। गौरतलब है कि भारत में आईटी सेक्टर ने करीब 50 लाख लोगों को रोजगार दिया हुआ है। इनमें से 10 से 12 लाख लोग छोटी कंपनियों में काम करते हैं। वहीं आईटी सेक्टर की टॉप 5 कंपनियों में 10 लाख लोग नौकरी करते हैं।इस क्षेत्र के इतर देश के 20 साल से 30 साल की उम्र के बीच वाले करीब ढाई करोड़ से अधिक युवा तो अप्रैल के महीने में ही बेरोजगार हो चुके थे।