
भारत के सबसे लोकप्रिय राज्यों में से एक, राजस्थान न केवल विरासत में मिले ऐतिहासिक स्थलों और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपने विशाल भवनों और अजीबों गरीब कहानियों से भरी इमारतों, मंदिरों, महलों के लिए भी जाना जाता है जैसे की भानगढ़ का किला और कुलधरा जैसी जगहें। वैसे तो भारत के गली-गली में एक मंदिर मिलता है और मिलता है भक्तों से गुलज़ार देवताओं का स्थान। उसी हिंदुस्तान में आज भी एक मंदिर सालों से बेकद्री का शिकार हुए, नष्ट हो रहा है। जिस मंदिर में कभी भक्तों का मेला लगा रहता होगा वो आज सुनसान वीरान-सा पड़ा हुआ है।
आज से लगभग 900 साल पहले बनी यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला में उतनी भी कमाल की है जितनी खजुराहों की शैली, और शायद इसलिए उसे छोटा खजुराहो या राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। राजस्थान की बाड़मेर से मुनबाब (पाकिस्तान बार्डर पर बसा एक गाँव) जाने वाली सड़क से 35 किलोमीटर दूर हात्मा गाँव के पास स्थित है किराडू का यह मंदिर। इस गाँव का नाम भी इसी मंदिर के नाम से पड़ा है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के हिसाब से इस मंदिर का निर्माण 11वीं-12वीं शताब्दी में, चालुक्य वंशों के परमार सामंत दुसाल राज और उनके वंशजों के द्वारा कारवाई गयी थी।
इसकी अद्भुत स्थापत्य कला इसके बेमिसाल अतीत की कहानी कहती है। चारों ओर बने वास्तुशिल्प उस दौर के कारीगरों के कुशलता को प्रदर्शित करते हैं। नींव के पत्थरों से लेकर छत के पत्थरों तक में कला का सौन्दर्य बिखरा हुआ है। मंदिर के आलंबन में बने गजधर, अश्वधर, और नरधर, नागपाश से समुद्र मंथन और स्वर्ण मृग का पीछा करते हुए भगवान श्रीराम की मूर्तियाँ ऐसी लगती हैं जैसे अभी बोल पड़ेंगी। मानो ये मूर्तियाँ निर्जीव होकर भी अपने होने का एहसास करा रही हों।
किराडू का यह मंदिर पाँच मंदिरों की श्रृंखला है। पहला है सोमेश्वर मंदिर, यह भगवान शिव को समर्पित है इस मंदिर की बनवाट बहुत ही खूबसूरत है। अनेक खंभों पर टीका यह मंदिर, भीतर से दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता है, और इसकी बाहरी बनावट से खजूराहो का एहसास होता है। हाथी, घोड़े व अन्य मूर्तियाँ मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लागतें हैं। इसके भीतरी भाग में भगवान शिव का बहुत ही खूबसूरत मंडप है। किराडू श्रृंखला का दूसरा खूबसूरत मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह सोमेश्वर मंदिर से छोटा है लेकिन स्थापत्य और कलात्मक दृष्टि से काफी समृद्ध है। इसके अलावा श्रृंखला में तीन और मंदिर हैं। हालांकि, प्रकृति के प्रकोप और देख-रेख के आभाव के कारण ये तीनों मंदिर अपनी आखिरी अवस्था में पहुँच गए हैं। लेकिन आज भी इन्हें देखना बहुत ही अचंभित कर देने और सुखद एहसास देने वाला अनुभव होता है।
इस मंदिर के साथ एक किस्सा भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है की सूरज ढलने के बाद अगर कोई इसके परिसर में रहता है तो वो पत्थर बन जाता है, निश्चित ही ये एक अंधविश्वास है लेकिन वहाँ के लोग पूरी तत्परता के साथ इस मान्यता पर विश्वास करते हैं और इसे मानते भी हैं। राजस्थान में ऐसी बहुत सी जगहें बताई जाती हैं जिससे जुड़ी ऐसी अनेक कहानियाँ आस-पास बिखरी होती हैं। शायद ये भ्रांतियाँ इन जगहों को आक्रांताओं या विदेशी ताकतों से बचाए रखने के लिए किया गया हो, जो समय के साथ दृढ़ होता चला गया होगा।
आज ये बहुत जरूरी है की सरकार और पर्यटन विभाग स्थानीय लोगों के साथ मिलकर ऐसे ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटकों के लिए और विकसित करे। जिससे वहाँ के लोगों को रोजगार और ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षण मिल सके। सभी भ्रांतियों के बावजूद आज किराडू के मंदिर को देखने के लिए दिन प्रति दिन पर्यटक बढ़ते ही जा रहें है। खजुराहो के छोटे रूप में विश्व विख्यात किराडू के मंदिर इतिहास में अपना विशेष स्थान रखते हैं और इसे देखने जाना अपनी संस्कृति और ज्ञान को बढ़ाने से कम नहीं है। हमारे देश में ऐसे ही अनेकों मंदिर हैं इमारतें है जिनके बारे में अभी तक हमें पता तक नहीं है। हमें प्रयास करना चाहिए की इन्हें जाने और देश और समाज के सामने लाएँ। इसके लिए पर्यटन से अच्छा उपाए और कुछ नहीं, इसीलिए अपने देश में खूब घूमे और जाने अपनी संस्कृति और शरोहर को।
कैसे पहुंचे
आप बस, ट्रेन, हवाई जहाज या अपनी सवारी का इस्तेमाल कर आप राजस्थान के बाड़मेर तक पहुंच सकते हैं और उसके बाद वहाँ से या तो आपको बस या कोई स्थानिये सवारी की सहायता से आप हात्मा गाँव तक आसानी से पहुंच जाएंगे। खाना-पानी के मूलभूत जरूरतों का इंतेजाम हो तो बहुत अच्छा रहेगा नहीं तो आपको वहाँ भी कुछ चीजें मिल सकती हैं। ख्याल रहे की यहाँ आपको शाम के समय नहीं जानेदिया जाएगा। इसलिए कोशिश करें की यात्रा सुबह की हो ताकि आप आसानी से शाम तक इस बेहतरीन ऐतिहासिक स्थान का आनंद उठा सकें।
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में शोध छात्र हैं।)