लॉकडाउन-चार और …. !

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने सहयोगी राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ मिल कर प्रधानमंत्री के विशेष इस विशेष राहत पैकेज के सभी पहलुओं की जानकारी पांच किश्तों में 13 मई से लेकर 17 मई तक पांच दिन में देश के साथ साझा की थी। कोरोना के साथ जीने की आदत डालने के सन्दर्भ में देखें तो कोरोना का विस्तारित चौथा लॉकडाउन और प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज एक-दूसरे को सहारा देते हुए दिखाई देते हैं।

उम्मीदों और संभावनाओं के अनुरूप सोमवार 18 मई से चौथा लॉकडाउन भी शुरू हो ही गया। सब ठीक-ठाक रहा तो इस महीने की आखिरी तारीख (31 मई 2020) के बाद शायद पांचवें लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन कोरोना के प्रकोप को लेकर किसी तरह की भविष्यवाणी भी तो नहीं की जा सकती। पर जो भी हो और जैसा भी हो अब तो देश- विदेश की सभी ताकतें भी यह स्वीकार कर चुकी हैं कि भविष्य में तो कोरोना को साथ लेकर चलना ही होगा, इसकी आदत डालनी होगी और कोरोना के साथ ही जीना भी होगा। 

कोरोना अब लम्बे समय तक साथ रहेगा इसलिए अपनी जीवन शैली में सुधार करते हुए जीवन में इसी के साथ आगे भी बढ़ना होगा। इसी तथ्य को ध्यान में रख कर ही कोरोना से बचाव के लिए चौथे चरण के और एक नए तरह के लॉकडाउन का स्वरुप भी सरकार ने सामने रखा है। लॉकडाउन के इस प्रारूप में कुछ रियायतें भी हैं तो कई तरह की बंदिशें भी। स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे लेकिन बहुत कम उपस्थिति के साथ सरकारी और निजी दफ्तर खुल जायेंगे। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए बसें तो राज्यों की आपसी सहमति से चल सकेंगी लेकिन आम रेल, मेट्रो और विमान सेवा बंद रहेंगी। 

इसी तरह किश्तों में बाजार तो खुल सकेंगे लेकिन शोपिंग काम्प्लेक्स सिनेमा हाल और माल बंद रहेंगे। होटल और रेस्टोरेंट की रसोई तो खुल सकेगी लेकिन वहाँ बैठ कर खा नहीं सकते, पेकिंग कर घर जरूर ला सकते हैं। होम डिलिवेरी भी हो सकेगी। स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स और स्टेडियम खुलेंगे लेकिन आम दर्शक नहीं जा सकेंगे। खिलाड़ी प्रैक्टिस कर सकते हैं। बसों में अधिकतम 20 तो कार और कैब में ड्राईवर के अलावा केवल एक और सवारी सफ़र कर सकती है। घर से बाहर निकालने वाले हर व्यक्ति के लिए मास्क पहनना और हर दो घंटे में साबुन से हाथ धोना और सेनीटाइज करना अनिवार्य होगा।

चौथे लॉकडाउन में 10 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के साथ ही दिल-गुर्दे-फेफड़े और लीवर की बीमारी से घिरे किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर निकालने की इजाजत नहीं होगी। इस शाम के सात बजे से लेकर सुबह सात बजे के बीच रात के अंधेरे वाले समय में किसी को बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी, ऐसा तब ही किया जा सकता है जब किसी तरह की आपातकाल जैसी स्थिति हो या फिर जाना बहुत ही जरूरी हो। इस तरह  की कई व्यवस्थाएं तो इससे पहले के लॉकडाउन में भी थीं उन्हें चौथे विस्तार में भी स्थान दिया गया है। 

चौथे लॉकडाउन के बदले हुए स्वरुप के संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, मंगलवार 12 मई 2020 के अपने  भाषण में तब दे दिए थे जब उन्होंने कोरोना मसले पर राष्ट्र को पांचवीं बार संबोधित किया था। मोदी ने तब यह भी कहा था कि नए और बदले हुए लॉकडाउन की औपचारिक घोषणा राज्य सरकारों के साथ सहमति बनाने के आधार पर अलग से घोषित की जायेगी। इसी दिन प्रधानमंत्री ने कोरोना के चलते मंदी की राह पर चलने को आतुर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष और व्यापक आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की थी। इस राहत पैकेज को आर्थिक सुधार का नाम भी दिया गया है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने सहयोगी राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ मिल कर प्रधानमंत्री के विशेष इस विशेष राहत पैकेज के सभी पहलुओं की जानकारी पांच किश्तों में 13 मई से लेकर 17 मई तक पांच दिन में देश के साथ साझा की थी। कोरोना के साथ जीने की आदत डालने के सन्दर्भ में देखें तो कोरोना का विस्तारित चौथा लॉकडाउन और प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज एक-दूसरे को सहारा देते हुए दिखाई देते हैं। कहने का मतलब यह है कि विपत्ति की घड़ी में आर्थिक गतिविधियां जारी भी रहें और कोरोना से बचाव के काम भी साथ- साथ चलते रहें तब ही देश विकास की अचानक थम सी गई चाल को गति देने का काम कर सकता है, इन्हीं तमाम मुद्दों को ध्यान में रख कर ही कई तरह की घोषणाएं आर्थिक पैकेज में की गई हैं देखना होगा कि आर्थिक पैकेज के ये उपाय राष्ट्रहित में व्यावहारिक रूप से कितने फायदेमंद साबित होते हैं।

आर्थिक पैकेज की पहली किश्त के रूप में छः बिन्दुओं पर ख़ास ध्यान देने की कोशिश की गई है। कुल 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि वाली इस किश्त में- 31 अक्टूबर 2020 तक चलने वाली एक योजना के तहत सूक्ष्म-लघु और उद्योगों को चार साल के लिए 3 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज देने, नकदी की कमी से जूझ रही बिजली कंपनियों को 90 हजार करोड़ तक की मदद करने, नकदी बचाने के लिए ही एनबीऍफ़सी, एचऍफ़सी और एमऍफ़आई के लिए 30 हजार करोड़ की विशेष योजना घोषित करने,एनबीऍफ़सी के लिए 45 हजार करोड़ रुपये की अंशकालिक साख गारंटी योजना शुरू करने, निजी क्षेत्र के 15 हजार से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को सरकार की तरफ से उनके वेतन में पीऍफ़ के तौर पर 24 फीसदी का अंशदान देने तथा आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख 31 जुलाई 2020 से बढ़ा कर 30 नवम्बर तक करने और टीडीएस दर 25 फीसदी तक कम करने की घोषणा सरकार ने की है। 

इसी तरह दूसरी किश्त के रूप में 2।5 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि इससे मजदूर, किसान और माध्यम वर्ग को फायदा मिलेगा। इसी रहत योजना के तहत एक देश एक राशन कार्ड योजना लागू करने, गरीबों को कम किराए पर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने, गरीब परिवारों को  दो महीने तक प्रतिमाह 5 किलो चावल/ गेहूं, 1 किलो चना मुफ्त देने जैसी अनेक योजनाओं की घोषणा की गई। 

राहत पैकेज की तीसरी किश्त किसान कल्याण को समर्पित है। योजना के तहत किसान अब अपनी फसल किसी को भी बेच सकेंगे जिससे उनको अपनी फसल का वाजिब और अच्छा दाम मिल सके। इसके अलावा एक लाख करोड़ रुपये कोल्ड स्टोरेज के रखरखाव और फसल के बाद प्रबंधन के लिए स्वीकृत किये गए हैं। इस योजना के तहत मछली पालन और मधुमक्खी पालन के लिए भी अलग से व्यवस्था है। आर्थिक सुधार के चौथे चरण में कोयले को प्राथमिकता दी गई है और पांचवें चरण में सामरिक क्षेत्रों को। इन दोनों चरणों की एक खासियत इस रूप में देखी जा सकती है कि अब सरकार ने निजी क्षेत्र के दरवाजे कोयला और सामरिक क्षेत्र के साथ ही अन्तरिक्ष के क्षेत्र के लिए भी खोल दिए हैं।

First Published on: May 19, 2020 6:26 AM
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