ताइवान और जर्मनी: दो देश जो कोरोना संकट से निपटने के लिए कर रहे हैं दूरदृष्टि का इस्तेमाल


कोरोना से बचाव का सर्वसुलभ तरीका लॉकडाउन है और बड़ी तादाद में दुनिया के देशों ने इसे अपनाया भी। भारत ने भी लॉकडाउन का सहारा लेकर कोरोना वायरस को काफी हद तक देशवासियों से दूर रखा है। दुनिया के कुछ देशों नेलॉकडाउन का इस्तेमाल किये बगैर ही कोरोना जैसी घातक बीमारी से खुद को बचा कर रखा है। ये देश हैं ताइवान और जर्मनी।



इसमें दो राय नहीं हो सकती कि कोरोना वायरस से पैदा हुए अभूतपूर्व संकट के दौर में भारत दुनिया के कई देशों की तुलना में बेहतर तरीके से आगे बढ़ा है। इससे बचाव के लिए समय पर लिए गए फैसलों की वजह से यहां इस वायरस का प्रकोप उस सीमा तक नहीं हो सका जितना दुनिया के कई देशों ने भारत के बारे में  अनुमान लगा रखा  रखे थे। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, इटली, इरान और अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना से संक्रमित होने वालों और इस संक्रमण के चलते मौत का शिकार बनने वालों की संख्या कहीं कम है, जबकि इनमें अधिकांश देश ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से अधिक संपन्न होने के साथ ही चिकित्सा सुविधाओं की दृष्टि से भी भारत से कहीं आगे है। 

कोरोना से बचाव का एक सर्व सुलभ तरीका लॉकडाउन है और बड़ी तादाद में लोगों को घरों में रोक कर दुनिया के देशों ने इसे अपनाया भी। भारत ने भी लॉकडाउन का सहारा लेकर कोरोना वायरस को काफी हद तक देशवासियों से दूर रखा है। इसके साथ ही दुनिया के कुछ अपवाद देश ऐसे भी हैं जिन्होंने लॉकडाउन का इस्तेमाल किये बगैर ही कोरोना जैसी घातक बीमारी से खुद को बचा कर रखा है। लॉकडाउन लगाए बिना ही खुद को इतनी बड़ी तबाही से बचा कर रखने वाले ये देश आज की तारीख में पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गए हैं। ये देश हैं ताइवान और जर्मनी। 

ये देश ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि इन देशों ने अपने देशों में कोरोना वायरस के पनपने की संभावनाएं ही नहीं बनने दी और संभावनाओं को पैदा होने से पहले ही ख़त्म कर दिया गया। यह भी एक दिलचस्प संयोग ही है की समय से पहले फैसला लेकर कोरोना के काल का ग्रास बनने से दूर रहे इन दोनों ही देशों की कमान महिलाओं के हाथों में है,ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना के प्रकोप से त्राही-त्राही कर रही हो लखों की तादाद में लोग इसका शिकार हो गए हों और हजारों की तादाद में कोरोना के प्रकोप से लोगों की जान जा चुकी हो तब ताइवान और जर्मनी सरीखे देशों का इससे बच कर निकल आना निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि ही कहा जाएगा। 

प्रसंगवश यह जानना भी कम दिलचस्प नहीं होगा कि ताइवान और जर्मनी कैसे अपने को बचा कर रख सके। ताइवान तो चीन से लगा होने के बाद भी कैसे बाख सका यह उसकी समय पूर्व लागू की गई बेहतर रणनीति की वजह से ही संभव हो सका और इस मामले में कमोबेश यही स्थिति जर्मनी की भी रही। इन दोनों देशों में से एक ने महामारी की आहट सुनते ही एक्शन लेना शुरू कर दिया और खुद को एक बहुत बड़े संकट से बचा लिया। जबकि दूसरे ने थोड़ी देर से ही सही एक्शन लिया और एक बड़ी तबाही का शिकार होने से बच गया। इस लिहाज से ताइवान जैसा छोटा से देश पहले नंबर पर और जर्मनी दूसरे नंबर पाकर रहा। 

कोरोना से निपटने के लिए समय रहते फैसले लेने की वजह से ही ताइवान की आज पूरी दुनिया में प्रशंसा ही नहीं हो रही है बल्कि यूरोप, आस्ट्रेलिया और एशिया महाद्वीप के कई संपन्न देश जो आज कोविड 19 नामक बीमारी का शिकार हैं, इस मामले में ताइवान से सलाह मशविरा भी कर रहे हैं। ताइवान को इस मामले में इसलिए भी लीडर कहा जा रहा है क्योंकि जिस चीन से कोरोना वायरस के रूप में कोविड 19 नामक इस महामारी का जन्म हुआ, वहां से ताइवान महज 100 किलोमीटर के फासले पर है। ताइवान की यह लड़ाई  इसलिए भी एक बड़ी चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि हर रोज चीन और ताइवान के बीच औसतन करीब एक लाख लोग आते और जाते रहते हैं।

ताइवान की महिला राष्ट्रपति साईं इंग वेन ने समय रहते ही समझदारी दिखाते हुए अपने उपराष्ट्रपति चेन चिएन जेन जो जाने माने महामारी रोग विशेषज्ञ भी हैं को पिछले साल दिसम्बर में ही तब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी थी जब चीन के वूहान से उड़ते – उड़ते इस तरह की ख़बरें आनी शुरू ही हुईं थीं कि चीन में एक नए तरह के बुखार ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है, तभी से ताइवान के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस मसले पर बैठकें करनी शुरू कर दी थीं। इसके बाद 31 दिसंबर को जब चीन के वुहान से 27 लोगों को एक नए तरह का न्यूमोनिया होने की खबर दुनिया भर के अख़बारों में छपी तो इसके कुछ घंटे बाद ही ताइवान ने वुहान से अपने यहां आने वाले लोगों की स्वास्थ्य जांच शुरू कर दी। 

पांच जनवरी को वूहान से आये सभी लोगों का फुल बॉडी चेकअप अनिवार्य कर दिया गया। इन लोगों को कुछ दिनों के लिए निगरानी में भी रखा गया। इसके 26 जनवरी के बाद चीन, मकाऊ और हांगकांग से आने वाली सभी उड़ानों पर रोक लगा दी। करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले इस देश में सर्व सुलभता के सिद्धांत का पालन करते हुए प्रतिदिन एक करोड़ मास्क बनाने का लक्ष्य तय किया गया है और अफवाहों पर रोक लागाने के भी सख्त कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। फेक न्यूज़ पर भारतीय मुद्रा में 76 लाख रुपये का जुर्माना और  मुनाफाखोरी के लिए सात साल की जेल या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने की घोषणा की गई रुपए तक का जुर्माना लगाने की घोषणा की गई।यही वजह है कि वहां 14 मई तक केवल 440 लोग ही इसके संक्रमण का शिकार हुए और कुल सात लोगों की मौत हुई। यह सब भी बिना लॉकडाउन के ।