सामाजिक एकात्मता समकालीन पत्रकारिता की जिम्मेदारी : कुलपति प्रो. तिवारी
“नई-नई चुनौतियों के दौर में आज पत्रकार और पत्रकारिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी समाज और परिवार को एक सूत्र में बांधे रखना भी है। निस्संदेह आज मीडिया हर दिन नया स्वरुप लेकर लोगों के बीच पहुंच बना रही है और इस परिवर्तनकारी समय में आज के विद्यार्थियों को हर तरह के कौशल से युक्त होना होगा। अभिव्यक्ति के तौर तरीकों का उपयोग करते समय हमें सामाजिक मूल्यों, संवैधानिक मूल्यों और सरोकार इन तीनों के बीच सामंजस्य बिठाना होगा तभी हम सब मिलकर एक स्वस्थ और सौहार्दपूर्ण समाज गढ़ने में कामयाब हो सकते हैं।” ये विचार डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के कुलपति प्रो.आरपी.तिवारी के हैं। संचार एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी के दौरान उन्होंने यह बातें कहीं। उन्होंने विभाग के विद्यार्थियों को नियमित तौर पर लेखन करने हेतु पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन की पहल करने को लेकर आश्वस्त किया।
यह मल्टीटास्किंग जर्नलिज्म का दौर है: पुष्पेन्द्र पाल सिंह
‘माध्यम’ के प्रधान सम्पादक पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने इक्कीसवीं सदी की पत्रकारिता में नवाचार, अवसर और विकल्प पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान दौर मल्टीटास्किंग जर्नलिज्म का है। आज के विद्यार्थियों को हर उस कौशल के साथ तैयार रहना होगा जिनकी समय और समाज को जरूरत है। लेकिन केवल कौशल ही पत्रकारिता करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हमें शोधपरक पत्रकारिता करनी होगी। अभिव्यक्ति के दौरान आचरण संहिताओं का भी ध्यान रखना होगा। साथ ही बाजार, पूंजी और तमाम तरह के दबावों के बीच स्वयं को स्थापित करने का भी साहस भी रखना होगा। स्वतंत्र पत्रकारिता का विकल्प हमेशा खुला रखना होगा तभी हम स्वयं और समाज के साथ न्यायपूर्ण निर्णय और व्यवहार कर पाने में सक्षम हो पायेंगे। सृजनात्मक मष्तिष्क से ही नवाचार पैदा होगा और यही नवाचार हमें कैरियर के रूप में नए अवसर उपलब्ध कराएगा।
अर्थपूर्ण पत्रकारिता के लिए लेखन कौशल ज़रूरी : ब्रजेश राजपूत
वरिष्ठ टीवी पत्रकार ब्रजेश राजपूत ने कहा कि विद्यार्थियों को कैरियर के रूप में कोई भी विकल्प मिले, लेकिन उन्हें लिखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। लेखन कौशल वर्तमान समय और समाज की सबसे बड़ी जरूरत है। लिखने के लिए पढ़ना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने अपनी पत्रकारिता की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि पत्रकारों को लिखने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि समूची पत्रकारिता अभिव्यक्ति पर ही टिकी है। अभिव्यक्ति के लिए लिखना और पढ़ना ही आवश्यक तत्त्व है। लिखना अर्थपूर्ण होगा तभी समाज में व्यापक असर होगा और तभी हम पत्रकारिता को भी अर्थवान बना सकते हैं और साथ ही पत्रकारिता पेशे में रहते हुए इसके साथ न्याय कर सकते हैं।
जनपक्षीय पत्रकारिता आज की ज़रुरत : संदीप पुरोहित
राजस्थान पत्रिका, उदयपुर के संपादक संदीप पुरोहित ने समाज और पत्रकारिता के दायित्व पर बात करते हुए कहा कि आज की मीडिया दो भागों में बंटी हुई है। एक संभ्रांत मीडिया और उससे जो कुछ बचता है वह बाकी समाज का मीडिया। मीडिया के बड़े हिस्से से आम आदमी, वंचित समाज गायब है। पत्रकारिता दिशाहीन नहीं होनी चाहिए इसकी जिम्मेदारी हम सबकी और आगे आने वाली पीढ़ी की है। पत्रकारिता अध्ययन में भी कई स्तरों पर बदलाव लाने की जरूरत है जिसमें देश की महत्ववपूर्ण संस्थाओं और नीतियों के बारे में आधारभूत जानकारी विद्यार्थियों को दी जानी चाहिए। इसे पाठ्यक्रम के स्तर पर अनिवार्य रूप से शामिल करते हुए इसका अध्यापन कराया जाना चाहिए। उन्होंने बहुत सारे उदाहरणों के माध्यम से मीडिया के कई सारे रूपों पर चर्चा की और वर्तमान सदी की पत्रकारिता को जनपक्षीय पत्रकारिता की तरफ ले जाने की जरूरत को रेखांकित किया। ट्रेंडिंग और ट्रोल के खेल में मीडिया को नहीं पड़ना चाहिए। सत्य और तथ्य की खोज ही सच्ची पत्रकारिता का अभीष्ट है।
वित्त पत्रकारिता रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र: कुमार कार्तिकेय
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख संचार अधिकारी कुमार कार्तिकेय ने इक्कीसवीं सदी में वित्त पत्रकारिता के स्वरुप, इसमें नवाचार और इसमें रोजगार के अवसर पर बहुत ही ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि वित्त पत्रकारिता के क्षेत्र में रोजगार के अपार अवसर के साथ-साथ समाज की मदद भी कई स्तरों पर हो सकती है। ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, फार्मा, बीमा, खुदरा व्यापार, स्वास्थ्य ये सभी क्षेत्र किसी न किसी रूप में व्यापार से जुड़े हुए हैं और ये सभी क्षेत्र मनुष्य की नितांत जरूरत की चीजों से जुड़े हुए क्षेत्र हैं। इन सभी के बारे में आम जन को सही सूचनाएं प्रदान कर हम सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र को भी उन्नत बना सकने में हम सफल हो सकते हैं। आमतौर पर यह क्षेत्र विद्यार्थी नहीं चुनते लेकिन यदि वित्त को पत्रकारिता के क्षेत्र में रोजगार के लिए एक अवसर के रूप में चुना जाए तो निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।
पाठ्यक्रम को और ज्यादा व्यवहारिक बनाने की आवश्यकता : बल्देवभाई शर्मा
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेवभाई शर्मा ने कहा कि शिक्षकों और शैक्षिक संस्थाओं की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे ऐसे व्यावहारिक पाठ्यक्रमों का निर्माण करें जिससे पढने वाले विद्यार्थी पत्रकारिता के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर सीधे तौर काम कर सकें। उन्हें सैद्धांतिक, व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान विद्यार्थी जीवन में ही मिल जाना चाहिए। जोसेफ पुलित्जर को संदर्भित करते हुए उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है। पढ़ाई की अवधि में ही विद्यार्थियों को सतर्क एवं सचेत रहने की जरूरत है। उन्होंने टॉम स्टोफोर्ड का कथा याद करते हुए कहा कि दुनिया को बदलने का तात्कालिक और सशक्त माध्यम पत्रकारिता ही है इसलिए इस माध्यम के साथ काम करने के लिए समय और समाज सापेक्ष पत्रकारिता करने का दायित्वबोध कराने का काम पत्रकारिता के शिक्षकों की है।
इस कार्यक्रम का संयोजन संचार एवं पत्रकारिता के सहायक प्राध्यापक डॉ.विवेक जायसवाल ने किया और डॉ.अलीम अहमद खान, डॉ.आशुतोष मिश्र और डॉ. संजय शर्मा ने विभिन्न सत्रों का संचालन किया। सभी अतिथियों का आभार विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने व्यक्त किया।