किसानों का भारत बंद पंजाब में सफल रहा है। हरियाणा में बंद का असर इस कदर दिखा है कि मनोहर लाल खट्टर दिल्ली पहुंच गए है। क्योंकि किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र इस समय हरियाणा बन चुका है। हरियाणा की सीमा में भारी संख्या में किसान बैठे है। हरियाणा और पंजाब में समाज के हर तबके का समर्थन भारत बंद को मिला। राज्य में तमाम बाजार बंद थे। लोगों ने जगह-जगह केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध किया। व्यापारियों ने बंद का भरपूर समर्थन दिया।
चंडीगढ़ में पत्रकारों ने किसानों के समर्थन में रैली की। द ट्रिब्यून एंप्लाइज यूनियन ने चंडीगढ़ में धरना दिया। धरना स्थल पर राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता अपनी विचारधाराओं और विरोध को भूल तमाम दलो के लोग भी समर्थन देने पहुंचे। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में किसान संगठनों के कार्यकर्ता धरना स्थल पर व्यापारियो, शिक्षको, सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर धरना दिया।
चंडीगढ़ में होटल एसोसिएशन ने भी किसानों का समर्थन में प्रदर्शन किया। पंजाब के ज्यादातर जिलों में जिला बार एसोसिएशनों ने भी बंद का समर्थन किया। जिला अदालतों के बाहर वकीलों ने भी किसानों की मांग के समर्थन मे प्रदर्शन किया। पंजाब के ज्यादातर इलाके मे बंद का भारी असर देखा गया।
ज्यादातर मुख्य हाइवे और लिंक रोड पर किसानों ने धरना दे रखा था। शहरों में व्यापारियों ने खुद बंद का समर्थन दिया था। दिलचस्प बात यह थी कि बंद पूरी तरह से शांतिपूर्वक रही है। कही से तोड़फोड़ की खबर नहीं आयी है। हाइवे पर सारे पेट्रोल पंप किसानों के समर्थ में बंद थे। पेट्रोल पंपों को खुद पेट्रोल पंप मालिकों ने बंद करने को कहा था।
चंडीगढ़ में धरना स्थल पर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ पहुंचे। वहीं अकाली दल के नेता और सुखबीर बादल के साले विक्रम सिंह मजीठिया भी धरना स्थल पर पहुंच किसानों की मांगों को समर्थन दिया। हालांकि धरना पत्रकार यूनियन, किसान यूनियन और कर्मचारी यूनियन का संयुक्त रूप से था। इसलिए नेताओं को मंच से दूर रखा गया।
पंजाब के मंत्री भारत भूषण आशु और बलबीर सिंह भी धरना स्थल पर पहुंचे। इन नेताओं को जनता के बीच खड़ा होना पड़ा। इन्हें मंच पर जगह नहीं दी गई। किसानों की मांग का समर्थन करते हुए होटल रेस्टोरेंट एसोसिशन चंडीगढ़ ने कहा कि तीन नए कृषि बिलों का सीधा असर देश की शहरी आबादी पर पड़ने वाला है। खेती बिलों का सीधा असर होटल इंडस्र्ट्री पर पड़ेगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंदर पाल सिंह पिंकी ने कहा कि जरूरी अनाजों को कारपोरेट घराना नए कृषि कानूनों की आड़ में काफी महंगा कर चुके है। प्याज और टमाटर के दाम आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के साथ ही बढ़ गए है। इसका असर होटल इंडस्ट्री और रेस्टोरेंट पर दिखने लगा है। क्योंकि होटल और रेस्टोरेंटों में खाना महंगा हो रहा है।
हालांकि अभी किसान आंदोलन को लेकर सरकार का रवैया क्या रहेगा यह समय बताएगा। क्योंकि न तो अभी तक सरकार पूरी तरह से पीछे हटने को राजी है न ही किसान हटने को राजी है। बीच का रास्ता निकलता नजर नहीं आ रहा है। बीच का रास्ता न निकलने का एक मुख्य काऱण पंजाब के किसान संगठनों पर युवाओं का भारी दबाव है। युवाओं ने किसान संगठनों के नेतृत्व को पूरी तरह से आगाह कर दिया है कि तीन कृषि बिलों की वापसी से नीचे कुछ मंजूर नहीं है।
किसान संगठनों को पहली बार अपने ही संगठन में युवाओं की भारी मजबूती का सामना करना पड़ रहा है। कई किसान संगठन के नेता यह स्वीकार कर रहे है कि अगर युवाओं का दबाव नहीं होता तो शायद दिल्ली तक किसान मार्च संभव ही नही होता। पंजाब की सीमा पर ही किसान संगठन अपने दल बल के साथ रूक जाते, यहीं पर धरना देते।
दरअसल किसान संगठनों में शामिल युवाओं ने किसान नेताओं को दिल्ली चलने के लिए मजबूर किया। अब सारी नजर किसानों और सरकार के बीच होने वाली अगली बैठक पर है। दोनों पक्षों के बीच होने वाली वार्ता में क्या परिणाम आएगा यह कोई बताने को तैयार नहीं है। मध्यम मार्ग पर दोनों पक्ष सहमत होंगे या या सरकार पूरी तरह से पीछे हटेगी यह समय बताएगा। लेकिन यह तय है कि किसान पीछे हटने को अब तैयार नहीं है।
दरअसल इस समय भाजपा के लिए संकट पंजाब नहीं है। पंजाब से निकला हुआ आंदोलन है। अगर आंदोलन आगे और चला तो दूसरे राज्य के किसान भी इसके प्रभाव में आएंगे। क्योंकि पंजाब के किसान बिल की बुराइयों को दूसरे राज्यों के किसानों को समझाने में कामयाब हो गए है। वहीं भाजपा के लिए मुख्य संकट हरियाणा की भाजपा सरकार पर आया संकट है।
यही कारण है कि बंद के दौरान ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दिल्ली भाजपा नेताओं से विचार विमर्श करने पहुंचे है। वे दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात कर रहे है। दरअसल खटटर सरकार कभी भी हरियाणा में बहुमत खो सकती है। अगर सरकार और किसानों के बीच समझौता नहीं हुआ तो हरियाणा में मनोहर लाल खटटर सरकार गिर सकती है। मनोहर लाल हरियाणा में गठबंधन सरकार चला रहे है। भाजपा के पास खुद के बहुमत से कम विधायक है।
भाजपा सरकार जन नायक जनता पार्टी के 10 विधायकों के समर्थन से चल रही है। जन नायक जनता पार्टी का मुख्य आधार वोट किसान है। पार्टी के नेता अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला पर लगातार किसानों का दबाव बढ रहा है।
पार्टी के 7 विधायक बगावत के मूड में है। पार्टी के विधायकों ने दुष्यंत पर दबाव बढ़ा दिया है। 7 विधायकों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया। ये विधायक कभी भी बागी हो सकते है। जन नायक जनता पार्टी को अपनी ही पार्टी टूटने का डर सता रहा है। वैसे में दुष्यंत चौटाला भाजपा हाईकमान को किसानों की समस्या का हल निकालने को कह रहे है।