बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए सोमवार (20 अक्टूबर) को नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई लेकिन इस प्रक्रिया के साथ ही विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के भीतर दरारें और मतभेद भी खुलकर सामने आ गए हैं। कई सीटों पर घटक दल एक-दूसरे के आमने-सामने हैं, जिससे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। नामांकन पत्रों की जांच के बाद 300 से अधिक प्रत्याशियों के पर्चे खारिज किए गए और 61 उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिए है।
राजद, जो विपक्ष का सबसे बड़ा दल है, उसने अपने 143 प्रत्याशियों की सूची देर से जारी की, जिससे कई सीटों पर भ्रम की स्थिति बनी रही। पार्टी ने कांग्रेस से सीधा टकराव टालने की कोशिश की, लेकिन फिर भी लालगंज, वैशाली और कहलगांव जैसी सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं।
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के साथ भी राजद के मतभेद खुलकर सामने आए। तारापुर सीट पर वीआईपी उम्मीदवार सकलदेव बिंद ने राजद के रुख से नाराज होकर नामांकन वापस ले लिया और बीजेपी में शामिल हो गए। इसी तरह दरभंगा की गौडाबोराम सीट पर राजद उम्मीदवारों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि लालू प्रसाद ने एक उम्मीदवार का समर्थन किया जबकि दूसरे ने पीछे हटने से इनकार कर दिया।
परिहार सीट पर महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रितु जायसवाल ने बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उनका आरोप है कि पार्टी ने टिकट ‘पारिवारिक दबाव’ में बांटे हैं।
‘इंडिया’ गठबंधन के अंदर बछवारा, राजापाकर और रोसड़ा सीटों पर भी दरारें देखने को मिली हैं, जहां कांग्रेस और भाकपा दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस इस बार 61 सीटों पर लड़ रही है, जबकि 2020 में उसने 66 सीटों पर चुनाव लड़ा था। टिकट वितरण को लेकर पार्टी के अंदर भी असंतोष की स्थिति है।
वहीं, विकासशील इंसान पार्टी को 16 सीटें मिली हैं, जबकि उसने पहले 40-50 सीटों और उपमुख्यमंत्री पद की मांग की थी। भाकपा (माले) लिबरेशन ने 20, भाकपा ने नौ और माकपा ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
नामांकन के अंतिम दिन कई नाटकीय घटनाएं भी हुईं। सासाराम से राजद उम्मीदवार सत्येंद्र साह को झारखंड पुलिस ने एक पुराने बैंक लूट मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रत्याशियों की तीसरी गिरफ्तारी थी, जिस पर भाकपा (माले) ने सत्तारूढ़ एनडीए पर ‘राजनीतिक डर’ से कार्रवाई करने का आरोप लगाया।
