बिहार: अपराधों की रोकथाम से पुलिस का ध्यान बंटा


भागलपुर जिले में एक सफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक को लॉकडाउन में सड़क पर होने के जुल्म में पकड़कर पुलिस ने थाना ले जाकर इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। हिरासत में मौत का यह मामला काफी उछला।


अमरनाथ झा
बिहार Updated On :

पटना। बिहार में हत्या और लूट की घटनाओं में बढ़ोतरी अचानक नहीं हुई, कोरोना-काल के पहले से ऐसी स्थिति है। उन दिनों सारा ध्यान महामारी पर केन्द्रित था और संवाद माध्यमों की गतिविधियां भी सीमित थी। पर उससे भी पहले से स्थिति खराब होती गई है क्योंकि पुलिस का सारा ध्यान शराबबंदी को कड़ाई से लागू करने पर सिमटता गया है।

असल में प्रचार प्रिय गुप्तेश्वर पांडे के पुलिस महानिदेशक बनने के समय से ही पुलिस ने शराबबंदी को लागू करने में अधिक से अधिक व्यस्त होती गई। वैसे यह अलग बात है कि शराबबंदी को लागू करने में पुलिस की सारी मुस्तैदी के बाद भी बिहार के कोने-कोने में दूसरे राज्यों से आई शराब की खेप पहुंचती रही है और इसकी होम डिलिवरी शुरु हो गई है।

हत्या-लूट की बढ़ती घटनाओं से बौखलाई पुलिस ने विधानसभा चुनाव के दौरान कई जगह अपनी बहादुरी दिखाने में निर्दोष लोगों पर जुल्म करने की मिशाल कायम करने लगी। भागलपुर जिले में एक सफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष पाठक को लॉकडाउन में सड़क पर होने के जुल्म में पकडकर पुलिस ने थाना ले जाकर इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। हिरासत में मौत का यह मामला काफी उछला।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस संवेदनशील मामले की तेजी से जांच की और मृतक की पत्नी को मुआवजा के रूप में फौरन सात लाख रुपया देने का आदेश दिया है। लेकिन आरोपित थानेदार अभी तक फरार है। उन्हीं दिनों मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान पुलिस ने लाठी चार्ज और फिर फायरिंग कर दी जिसमें एक युवक की मौत हो गई। पूरा शहर दो दिनों तक अराजकता का शिकार रहा। तब चुनाव आयोग के आदेश पर एसपी और जिलाधिकारी का तबादला हुआ। नए अधिकारियों के आने के बाद स्थिति नियंत्रण में आ सकी।

हत्या, लूट और चोरी की घटनाओं पर विपक्ष ही नहीं, सरकार में साझीदार भाजपा ने भी चिंता जताई है। पिछले दिनों दो दिनों में 27 हत्या होने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इसे लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

विपक्ष ने तो इन घटनाओं को कानून-व्यवस्था के ध्वस्त होने का सबूत बताया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने चंपारण के मामलों का खासतौर से किया। उन्होंने कहा कि पटना के रास्ते में सेमरा के पास लोगों ने उनका रास्ता रोक लिया क्योंकि उस इलाके में रोजाना चोरी की वारदातें हो रही हैं और पुलिस इसे नियंत्रित करने में पूरीतरह नाकाम रही है।

उल्लेखनीय है कि हत्या और लूट की घटनाओं के अलावा अपराधियों ने एक आईपीएस अफसर के नेतृत्व वाली पुलिस टीम पर छपरा जेल के सामने बम फेंका और फायरिंग की। इधर राजधानी पटना में ही पिछले शनिवार को घर के सामने ही हॉस्टल संचालक सतीश कुमार की हत्या कर दी गई।

रविवार को तीन अन्य लोगों की हत्या हो गई। उसी दिन भागलपुर में एक पूर्व मुखिया की हत्या कर दी गई। रविवार को खगडिया में एक जदयू नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान जिस जंगल राज की चर्चा बार-बार की जा रही थी, वह शायद यही है। राज्य में औसतन हर दिन दर्जन भर हत्याएं हो रही हैं। इन सभी के समाचार अखबारों में नहीं आ पाते।

पटना समेत बिहार के पंद्रह जिलों में हत्या की घटनाएं अधिक होती हैं। अन्य 25 जिलों के मुकाबले इन जिलों में मौत का खेल ज्यादा होता है। हाल में वर्ष 2019 के अपराधों का आंकड़ा जारी किया गया है। इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में बिहार में हत्या की 3138 घटनाएं हुई। यह दर प्रति लाख की आबादी पर 2.9 है।

 



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