पटना। कोरोना-काल में सोना की कीमत बेतहाशा बढ़ी। इसकी चमक ने उस अंधेरे में सबको चकाचौंध कर दिया। भारत में अगस्त महीने में 56 हजार प्रति दस ग्राम से अधिक मंहगी हो गई। पर उसके बाद बढ़ती कीमतों में थोड़ी गिरावट आने लगी और अब यह 30 हजार के आसपास आ गई है। यह गिरावट क्यों हुई, इसे समझने के लिए तस्करी के बढ़ते धंधे को जानना पड़ेगा।
सोना तस्करी का एक मार्ग म्यांमार से शुरु होता है। पटना से गुजरने वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनें इसमें सहायक बन गई हैं। हाल के दिनों में इन ट्रेनों से बड़ी मात्रा में सोना पकड़ा गया है। इस महीने के शुरु से ही पटना सोना की बड़ी पकड़ी गई है। बीते शुक्रवार को पटना स्टेशन पर चार किलोग्राम से अधिक सोना पकड़ा गया।
एक दिसंबर को करीब डेढ़ किलोग्राम और तीन दिसंबर को दो किलोग्राम सोना पकड़ा गया। अधिकतर बरामदगी डिब्रूगढ़ से आने वाली राजधानी एक्सप्रेस से हुई है। छानबीन में इसके तार दुबई से जुड़े होने के संकेत मिले हैं।
तस्करी के इस अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट में भारत समेत कई देशों के गिरोह लगे हैं। म्यांमार से आने वाला सोना तो कुल तस्करी का छोटा हिस्सा है। पता चला है कि दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व स्वीटजर लैंड से सोना दुबई मंगाया जाता है। वहां से इसे कई देशों में भेजा जाता है। म्यांमार से आने वाला सोना दिल्ली होकर मुंबई पहुंज जाता है। वहां से दुबई में बैठे सरगाना की सहमति से विभिन्न महानगरों में बेचा जाता है।
डायरेक्टर ऑफ रेवन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के पटना में तैनात अफसरों ने दिसंबर के पहले सप्ताह में करब आठ किलोग्राम सोना पकड़ा है जिसे दिल्ली की ओर ले जाया जा रहा था। पकड़े गए अधिकतर तस्कर महाराष्ट्र के निवासी हैं। सूत्रों के मुताबिक मणिपुर के मोरे बोर्डर से म्यांमार जाकर तस्कर सोना लाते हैं और इंफाल व गुवाहाटी से होकर दिल्ली-मुंबई की ओर रवाना कर देते हैं।
उल्लेखनीय है कि मोरे बोर्डर से म्यांमार में पांच किलोमीटर तक बिना रोक-टोक जा सकते हैं। स्थानीय लोग वहां से खरीददारी करके आसानी से भारतीय क्षेत्र में आ सकते हैं। इसी आड़ में तस्कर भी आसानी से सीमा पार कर जाते हैं। इस तस्करी में दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में बैठे लोग पैसा लगाते हैं।
इन सबका तार दुबई में बैठे लोगों से जुड़े हैं। तस्करी समुद्री और हवाई मार्ग से भी होती है। उन मार्गों पर कड़ाई बढ़ने पर म्यांमार से सड़क मार्ग से गुवाहाटी या डिब्रूगढ़ आकर राजधानी एक्सप्रेस पकड़ने का मार्ग अपनाया जाता है। हाल में यह मार्ग तस्करों को काफी पसंद आ रहा है क्योंकि इसमें पकड़े जाने की आशंका कम है।
सोना को सदियों से संकट-काल का साथी माना जाता है। दुनिया में जब संकट आता है तो सोने के दाम बढ़ते हैं। यही कारण है कि कोरोना-काल में भी सोना अपनी चमक बिखेर गया। सोने में बढ़त की शुरुआत हालांकि अमेरीका- ईरान तनाव के दौरान हुई, पर कोरोना-काल में यह बेतहाशा बढ़ा। इस बढ़त का लाभ उठाने में तस्करी में भी बढ़ोतरी हुई।