रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के मुताबिक राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत एक लाख से अधिक परिवारों को सौ दिनों से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया गया है और इसने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान किया है।
राज्य में जनसंपर्क विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार छत्तीसगढ़ में मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक एक लाख 21 हजार 740 परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है।
विज्ञप्ति के अनुसार सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मुहैया कराने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में छठवें स्थान पर है। विज्ञप्ति में बताया गया है कि राज्य में वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को भी मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में काम दिया रहा है।
विज्ञप्ति के मुताबिक इस साल अब तक ऐसे 19 हजार 799 परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है और इस मामले में छत्तीसगढ़ देश में ओड़िशा के बाद दूसरे स्थान पर है।
सरकारी बयान के अनुसार देश में मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार हासिल करने वाले कुल वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत से अधिक है।
सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि राज्य सरकार ने कोविड-19 के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की गति बनाए रखने के लिए व्यापक स्तर पर मनरेगा कार्य शुरू करने का निर्देश दिया था जिससे गांवों और वनांचलों में लगातार लोगों को काम मिलता रहा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चलती रही।
विज्ञप्ति के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष के शुरूआती सात-आठ महीनों में ही मनरेगा श्रमिकों को 100 दिनों से ज्यादा का रोजगार मिलने से उन्हें आर्थिक संबल मिला है।
विज्ञप्ति के अनुसार राज्य में मनरेगा श्रमिकों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार देने में कबीरधाम जिला सबसे आगे है जहां इस वर्ष अब तक 8971 परिवारों को 100 दिनों से ज्यादा का काम उपलब्ध कराया गया है।