गाँधी दर्शन में स्वच्छता ही प्रमुख है-श्रीभगवान सिंह


गाँधी वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वच्छ गाँव की परिकल्पना की और उसको पूरा करने के लिए लगातार गाँवों से संपर्क भी बनाए रखा। गाँधी का सारा दर्शन और चिंतन आतंरिक और बाहरी सफाई पर ही केंद्रित था।


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दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा मनाए जा रहे स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत आज प्रख्यात गाँधीवादी लेखक और आलोचक श्रीभगवान सिंह का व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसका शीर्षक था ‘गाँधीदर्शन और स्वच्छता’। उन्होंने गाँधी द्वारा व्यक्तिगत स्वच्छता और आतंरिक स्वच्छता अर्थात मन की स्वच्छता के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि ऐसा पहली बार हुआ जब व्यक्ति की दोनों तरह की स्वच्छता की बात इतने बड़े स्तर पर की गई। उन्होंने अपने स्वच्छता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अपने सभी आश्रमों में स्वयं सफाई की मुहिम तो चलाई ही बल्कि वहाँ आने वाले सभी बड़े-बड़े राजनेताओं से भी स्वयं सफाई का कार्य कराया। यह पूरे भारतीय समाज को बड़ा संदेश तो था ही लेकिन इसने उनके इस दर्शन को विश्वव्यापी ख्याति भी दिलाई।

उन्होंने गाँधी आश्रमों में प्रार्थना के समय गाए जाने वाले भजनों का विश्लेषण करते हुए बताया कि उनके भजनों में लोभ, मद, काम, हिंसा आदि को छोड़ कर अपना जीवन सादगी और स्वच्छता से बिताने की बात थी। गाँधी वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वच्छ गाँव की परिकल्पना की और उसको पूरा करने के लिए लगातार गाँवों से संपर्क भी बनाए रखा। गाँधी का सारा दर्शन और चिंतन आतंरिक और बाहरी सफाई पर ही केंद्रित था।

कार्यक्रम के आरंभ में श्रीभगवान सिंह का स्वागत साहित्य अकादेमी के उपसचिव (प्रशासन-प्रभारी) कृष्णा किंबहुने ने अंगवस्त्रम् प्रदान करके किया। ज्ञात हो कि अकादेमी स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत पिछले दिनों अकादेमी के परिसर में वृक्षारोपण एवं साफ-सफाई की कई गतिविधियाँ कर चुकी है।