नई दिल्ली। एक वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर ऐसे कैदियों की आपात पैरोल बढ़ाने की मांग की है, जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है और किसी बीमारी या चिकित्सा स्थिति के कारण जिनमें कोविड-19 का संक्रमण होने की संभावना है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल को लिखे पत्र में वकील ने कहा है कि जेलों में सामाजिक दूरी बनाए रखना संभव नहीं है क्योंकि वहां पहले से ही अत्यधिक भीड़भाड़ है और महामारी से जेल काफी प्रभावित हुए हैं।
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने कहा कि उन्हें पता चला है कि जेल के अधिकारी कैदियों से सात फरवरी तक मंडोली जेल में आत्मसमर्पण करने के लिए कह रहे हैं, जिन्हें पहले आपात पैरोल पर रिहा किया गया था। साथ ही उन्हें बताया गया है कि संबंधित जेलों में भेजे जाने से पहले उन्हें कुछ समय के लिए पृथक-वास में रखा जाएगा।
पत्र में कहा गया है, ‘‘हालांकि राज्य सरकार ने पर्याप्त व्यवस्था करने का दावा किया है लेकिन अत्यधिक भीड़भाड़ के कारण जेलों में सामाजिक दूरी बनाए रखना संभव नहीं है।’’
इसमें बताया गया कि दिल्ली की जेलों में 10,026 कैदियों को रखने की क्षमता है और वर्तमान में वहां करीब 14 हजार कैदी बंद हैं। इनमें वे चार हजार कैदी शामिल नहीं हैं, जिन्हें अंतरिम जमानत या आपात पैरोल पर रिहा किया गया है।
इसी तरह का एक पत्र दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन को भी भेजा गया है।