विदेशी को व्यवसाय शुरू करने के लिए भारत का निवासी होना जरुरी नहीं

नई दिल्ली। व्यवसाय शुरू करने के लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, खासतौर पर उस व्यक्ति जो विदेश से आया हो लेकिन अब विदेशी व्यक्ति को भारत में व्यवसाय शुरू करने के लिए निवासी होने की जरूरत नहीं होगी। भारत में नया व्यवसाय शुरू करने के कई तरीके हैं। नीरज भगत एंड कंपनी के संस्थापक नीरज भगत के अनुसार, विदेशी के लिए भारत में व्यवसाय शुरू करने के लिए यहां का निवासी होना जरुरी नहीं है।

कई तरह की कंपनियां मसलन लिमिटेड कंपनी (प्राइवेट लिमिटेड/पब्लिक लिमिटेड कंपनी), लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी), ब्रांच ऑफिस या लायजन/रीप्रेजेंटेटिव ऑफिस, प्रोजेक्ट ऑफिस खोले जा सकते हैं। भारत में कंपनी एक्ट, 2013 के तहत प्रवासी भारतीय द्वारा किसी कंपनी की स्थापना प्राइवेट लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड या हाॅली ऑनड सब्सिडियरी (डब्ल्यूओएस) के तहत की जा सकती है।

लिमिटेड कंपनियों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की स्वतंत्र रूप से अनुमति लगभग सभी क्षेत्रों में एफडीआई नीति से संबंधित होती है। एफडीआई स्कीम के तहत, प्रवासी भारतीय निम्नलिखित दो माध्यमों के जरिये किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी शेयरों/कन्वर्टीबल डिबेंचर्स/प्रिफरेंस शेयरों में निवेश कर सकते हैं।

विदेशी निवेशक या भारतीय कंपनी द्वारा आरबीआई या भारत सरकार से किसी पूर्व मंजूरी की जरूरत नहीं होती है। एफडीआई हासिल करने से पहले भारत सरकार से पूर्व मंजूरियां लेने की जरूरत होती है। एलएलपी उस व्यवसाय का स्वरूप है जो भागीदारी और कंपनी दोनों की विशेषताओं को समेकित करता है और इसे लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट, 2008 के तहत शामिल किया जा सकता है। एलएलपी में एफडीआई स्वतंत्र रूप से लिमिटेड कंपनियों जैसे लगभग सभी क्षेत्रों में एफडीआई पाॅलिसी के अधीन स्वीकार्य होती है।

भारत से बाहर पंजीकृत व्यावसायिक इकाइयों (‘फाॅरेन कंपनी’) द्वारा लिमिटेड कंपनी या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप के पंजीकरण के बगैर देश में व्यवसाय परिचालन स्थापित किया जा सकता है। कोई विदेशी कंपनी आरबीआई के दिशा-निर्देशों पर अमल कर भारत में ब्रांच ऑफिस/लायजन ऑफिस/प्रोजेक्ट ऑफिस खोल सकती है। ऐसे कार्यालयों में व्यवसाय परिचालन का दायरा अक्सर उसकी परियोजनाओं, गतिविधियों और कंट्री रीप्रेजेंटेटिव ऑफिस, सोर्सिंग, टेक्नीकल और/या मार्केटिंग सपोर्ट, आयात और निर्यात आदि जैसे कार्यों तक सीमित होता है।

कंपनी खोलने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरुरत होती है। दस्तावेजीकरण प्रक्रिया चुने गए व्यवसाय के हिसाब से अलग अलग होती है। हेग कन्वेंशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, दस्तावेज उनके संबद्ध देशों में भारतीय दूतावास द्वारा सत्यापित/प्रमाणित होने चाहिए, यदि उन्हें भारत से बाहर क्रियान्वित किया गया हो या दस्तावेज की प्रति भारत से बाहर तैयार की गई हो।

First Published on: March 19, 2021 11:51 AM
Exit mobile version