दिल्ली में कला-संस्कृति के परिदृश्य को हम तेजी से बदलने का कर रहे हैं प्रयास : कपिल मिश्रा

नई दिल्ली। मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम सभागार में साहित्य संस्कृति फाउंडेशन की ओर से संस्कृति पर्व का आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार में कला संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली के कला संस्कृति के वातावरण को बदलने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और इस दिशा साहित्य संस्कृति फाउंडेशन जैसी संस्थाओं और उसके द्वारा संस्कृति पर्व जैसे कार्यक्रमों का आयोजन बेहद अहम हैं।

इससे पहले कार्यक्रम के संयोजक एवं साहित्य संस्कृति फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार मिश्र ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन करते हुए संस्कृति पर्व के स्वरुप एवं इसके विविध आयामों का परिचय दिया तथा इससे सम्बंधित संकल्पनाओं को सामने रखा।

संस्कृति पर्व के अंतर्गत चित्रकला प्रदर्शनी, शास्त्रीय नृत्य, कवि सम्मेलन एवं संस्कृति संवाद जैसी विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. विजय कुमार मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक ‘दृश्य परिदृश्य : कृति संस्कृति और सिनेमा’ का लोकार्पण भी किया गया।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मभूषण राम बहादुर राय, श्रीमंगलधाम, सेवा फाउंडेशन देवघर के पूज्य प्रदीप जी महाराज भैया, हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रमा के कर कमलों से यह पुस्तक साहित्य और सिनेमा से जुड़े विविध पक्षों पर आलेख शामिल हैं। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. रवि टेकचन्दानी, सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना अनु सिन्हा एवं गीतांजलि शर्मा को साहित्य संस्कृति श्री सम्मान से सम्मानित भी किया गया।

इससे पहले संस्कृति संवाद के अंतर्गत साहित्य में संस्कृति बोध विषय पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि भारत की संस्कृति को उसकी विविधता के प्रकाश में ही समझा जा सकता है। उन्होंने भारतीय जीवन संस्कृति में संस्कार और संस्कृति के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला।

प्रो. चन्दन कुमार ने कुमार ने कहा कि भारत का संस्कृति बोध उसकी सात्यता में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रामचरित मानस भारतीय संस्कृति के पूंज ग्रंथ के रूप में देखा जा सकता है। भारतीय भाषा केंद्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की अध्यक्ष प्रो. बन्दना झा ने साहित्य में संस्कृति के लोक पक्षों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए लोक संस्कृति के विविध साहित्यिक सन्दर्भों को सामने रखा।

कथाकार-कवयित्री अलका सिन्हा ने समकालीन सांस्कृतिक परिदृश्य और उस पर सोशल मीडिया के प्रभावों को रेखांकित करते हुए साहित्य में संस्कृति के विविध पक्षों को प्रस्तुत किया। संस्कृति पर्व के अंतर्गत अनु सिन्हा और उनकी टीम ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजेश चेतन, शम्भू शिखर जैसे कवियों ने अपना काव्य पाठ किया।

First Published on: September 11, 2025 8:38 AM
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