गांधी विगत पाँच हजार साल की मानव सभ्यता के फल हैं-रामचंद्र प्रधान

प्रो. प्रधान ने आचार्य विनोबा भावे के हवाले से यह भी कहा कि गांधी विगत पाँच हजार साल की मानव सभ्यता के फल हैं और आगामी पाँच हजार साल की मानव सभ्यता के बीज।

नई दिल्ली। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 153 वीं जयंती थी। हर वर्ष अक्टूबर माह में गांधी को याद करने की सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कई तरह के आयोजन और गोष्ठियां होती है। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय का राजधानी कॉलेज सिर्फ अक्टूबर और जनवरी माह में ही नहीं बल्कि साल भर गांधी विचारों को लेकर कोई न कोई आयोजन करता रहता है। कॉलेज का ‘गांधी स्वाध्याय मंडल’ छात्रों के बीच गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करता रहता है। इस बार कॉलेज के ‘गांधी स्वाध्याय मंडल’ ने ‘अहिंसा पखवाड़ा’ में “सांप्रदायिकता के नए खतरे और महात्मा गांधी” विषय पर एक भाषण एवं ” राष्ट्रपिता के नाम एक चिट्ठी ” पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया। जिसमें दिल्ली विश्वविद्य़ालय के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया। भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता में प्रथम, द्वतीय और तृतीय स्थान पर पाने वाले छात्रों को पुरस्कृत भी किया गया।

राजधानी कॉलेज के प्राचार्य राजेश गिरि ने कहा कि आज के दौर में गांधी को याद करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब हमारे सामने नए तरह की चुनौतियां हैं। तकनीक के विकास के साथ जहां मनुष्य का जीवन आसान हुआ है वहीं पर तकनीक से अफवाह और हिंसा को बढ़ाने में मदद भी मिल रही है। सुबह उठकर जब आप अपने मोबाइल का व्हाट्सअप खोलते हैं तो उसमें हिंसा, अफवाह और गांधी के विचार को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया रहता है। अब कोई भी आदमी किसी के हर कथन की पुष्टि नहीं कर सकता है। ऐसे में व्हाट्सअप से जो हिंसा फैलाई जा रही है, उससे निपटने का हमें रास्ता खोजना होगा।

इस अवसर पर दिल्ली विश्विद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ. रामचंद्र प्रधान ने कहा कि, “दुनिया में दो तरह के महापुरुष होते हैं। एक वह जो जन्मजात सिद्ध होते हैं- जैसे- रामकृष्ण परमहंस और रमण महर्षि, दूसरे वे जो अपने कर्म से महान बनते हैं। गांधी जी अपने कर्म से महान बनें।”

उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि एक युगपुरुष होते हैं, जो अपने युग धर्म का निर्वाह करते हुए तत्कालीन समस्याओं का समाधान करते हैं, और अपने समय के महापुरुष होते हैं। लेकिन गांधी जी ने अपने समय के धर्म का तो निर्वाह किया ही, और आने वाले समय की समस्याओं का भी समाधान सुझाया। गांधी जी ने भारत में आजादी की लड़ाई लड़ी और देश को स्वतंत्र कराया। दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद के खिलाफ संघर्ष किया और वहां से नस्लवाद को मिटाया। लेकिन इसके साथ ही गांधी जी ने आने वाले समय में मानवता और सभ्यता के संकट को रेखांकित करते हुए उसका समाधान भी बताया। इस तरह गांधी न केवल अपने समय के युगपुरुष थे बल्कि आने वाले समय के लिए भी वह प्रासंगिक बने हुए हैं। प्रो. प्रधान ने आचार्य विनोबा भावे के हवाले से यह भी कहा कि गांधी विगत पाँच हजार साल की मानव सभ्यता के फल हैं और आगामी पाँच हजार साल की मानव सभ्यता के बीज।

आमतौर पर यह देख जाता है कि गांधी पर बात करने वाले और उनको चाहने वालों लोगों की संख्या कम दिखाई देती है। उनके विचार से देश की समस्याओं का समाधान खोजने वाले भी कम ही दिखते हैं। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने जिस तरह से गांधी विचार को भारत और विश्व की वर्तमान समस्याओं का हल बताया, उससे साबित होता है कि छात्रों और युवाओं के बीच गांधी की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय़ के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने सांप्रदायिकता विषय पर बोलते हुए कहा कि सामाजिक और आर्थिक असमानता, राजनेताओं के बांटो औऱ राज करे की नीति, धार्मिक तुष्टिकरण की नीति ही सांप्रदायकिता को बढ़ाती है। अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने की प्रवृति ही सांप्रदायिकता की जड़ है। जब तक हम देश में सामाजिक औऱ आर्थिक असमानता, गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा को दूर नहीं करत हैं तब तक सांप्रदायिकता से पूरी तरह नहीं लड़ सकते हैं।

भाषण प्रतिय़ोगिता में किरोड़ीमल कॉलेज के छात्र जितेंद्र साहू ने कहा कि सांप्रदायिकता का मूल करण सामाजिक और आर्थिक लाभ-हानि से जुड़ा है। आज ट्वीटर पर नफरती हैशटैग, फिल्मों का बहिष्कार और व्यक्ति और समुदायों को अपमानित करने का खेल किया जाता है। वहीं एक छात्रा भावना ने कहा कि जब आज सरकारें ही वोटबैंक बढ़ाने के लिए सामाजिक और धार्मिक ध्रुवीकरण कर रही हो तो हम आम आदमी से क्या आशा कर सकते हैं। ऐसे में गांधी के सर्वधर्म समभाव और अहिंसा के माध्यम से ही सांप्रदायिकता पर लगाम लगाया जा सकता है।

कार्यक्रम के अंत में राजधानी कॉलेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. राजीव रंजन गिरि ने छात्रों को पुरस्कृत किया और आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी अभय प्रताप और डॉ.दीपक झा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

First Published on: October 11, 2022 8:44 PM
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