नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड के सैकड़ों संविदा कर्मियों को पिछले महीना बिना कोई सूचना दिए निष्काषित कर दिया गया है। ये दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आते हैं। इनमें से अधिकतर कर्मचारी10-15 वर्षों से कार्यरत थे, इन्हें दो महीनों से तनख्वाह नहीं प्राप्त हुआ है, और अचानक ही इन सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में 28 दिसंबर 2023 को जनसुनवाई हुई।
दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आये लगभग 300 कर्मचारियों ने अपनी शिकायत और व्यथा पंचों तथा श्रोताओ के समक्ष सुनाई। कर्मचारियों के बयान उनके विकट परिस्थितियों को दर्शाता है। पश्चिम दिल्ली के पीतमपुरा के कर्मचारियों ने कहा की उनका वेतन कितना था यह बात उनको नहीं मालूम था, उनके निरीक्षकों द्वारा उन्हें नकद में वेतन दिए जाते थे, बिना किसी प्रकार के रसीद दिए। एक कर्मचारी ने नाम न बताने के शर्त पर कहा “हम 15 वर्षों से कार्य कर रहे हैं, अनेक ठेकेदार आए आए गए, लेकिन उन्हें प्रतिदिन के 450 रुपये मजदूरी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।”
नवजीवन विहार में काम करने वाले कामगार ने कहा की उसको दीपावली और दशहरा के मौकों पर भी वेतन नहीं मिल और तब से ऋण लेकर परिवार का भरण पोषण करना पड़ रहा है। दक्षिणी दिल्ली के कालका जी से आने वाले कर्मी ने कहा की सात दिसम्बर को उनको बिना किसी सूचना और कारण के काम से निकाल दिया गया। वही ईदगाह स्टोर के कर्मी ने वेतन न मिलने पर उन्होंने सकरी प्राधिकरण से गुहार लगाई लेकिन उसको दंडस्वरूप नौकरी से हाथ धोनी पड़ी और अब तक किसी भी ठेकेदार ने काम नहीं दिया है, इस प्रकार के धमकी देने जैसी हथकंडों से कामगारों के आवाज को दबाया जाता है।
दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष ने, जो की पंच के रूप में उपस्थित थे, संज्ञान लिया और और आश्वाशन दिया की वह तत्काल कार्यवाही करेंगे ताकि कामगारों के भुगतान सुनिश्चित हो सके और उन्होंने कामगारों के रोजगार को सुरक्षित रहने का भी भरोसा दिलाया।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील, कॉलिन गोंसाल्वेस, जो न्यायपीठ में थे, ने कामगारों से कहा: “आप लोगों को बिना सूचना दिया हटाना गैरकानूनी है! आप लोगों को नकद में वेतन देना गैरकानूनी है!! आप लोगों को आपका पूर्ण वेतन न मिलन भी गैरकानूनी है!”
न्यायपीठ में शामिल उच्चतम न्यायालय के वकील कॉलिन गोंसाल्वेस, पूर्व सांसद और ए आई के एस के उपाध्यक्ष हन्नान मोलाह, शेल्टर मॉनिटरिंग कमिटी के राज्य स्तरीय सदस्या इंदु प्रकाश सिंह, सिटू के राष्ट्रीय सचिव अमीतावा गुहा, सेंटर फॉर वर्कर्स मैनिज्मन्ट के डिथही भटचार्य, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वारघेसे, दिल्ली उच्च न्यायालय के मॉनिटरिंग कमिटी के अध्यक्ष अधिवक्ता हरनाम सिंह, द मुकनायक के संस्थापक और संपादक मीन कोतवाल ने 15 कामगारों के बयानों को सुना और निम्नलिखित सुझाव दिए:
1. सीवर कामगारों के सभी बकाया, जिसमें मजदूरी, भविष्य निधि तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा शामिल है, का भुगतान किया जाए।
2. दिल्ली सरकार के दिनांक एक अक्टूबर 2022 के अधिसूचना के अनुसार सभी अकुशक मजदूरों को न्यूनतम 17,494 रुपये प्रति महीने मिलना चाहिए।
3. दिल्ली सरकार द्वरा दिल्ली जल बोर्ड के 700 संविदा कर्मियों को नियमित करने की कार्य की प्रशंसा करते हुए न्यायपीठ ने सुझाव दिया की उन सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए जिन्होंने 240 दिन से ज्यादा दिनों तक कार्य किया है। और रोजगार के दिनों में अंतराल को फर्जी माना जाना चाहिए।
4. न्यायालय के आज्ञा पत्र (नागरिक) 5232/2007 को अक्षरशः लागू किया जाए। उछटां न्यायालय के 20/10/2023 के उस आदेश का भी पालन किया जाए जिसमे सीवर कर्मियों के मृत्यु के पश्चात 30 लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया है। न्यायपीठ ने यह भी सुझाव दिया की अविलंब क्षतिपूर्ति किया जाना चाहिए।
5. ई एस आई और पहचान पत्र सभी कामगारों को दिया जाए।
6. शैक्षणिक संस्थानों में सीवर कामगारों के बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाए।
यूनियन के नेताओं ने निर्णय लिया है की बहुत शीघ्र ही इन सुझावों के साथ दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से मिलेंगे, आए कामगारों ने निर्णय लिया है की जब तक उनका वेतन और नौकरी नहीं मिल जाति तब तक दिल्ली जल बोर्ड वरुणालय पर अपना विरोध प्रदर्शित करेंगे।
जनसुनवाई का आयोजन दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (दसम) द्वारा म्युनिसिपल वर्कर्स लाल झंडा यूनियन (CITU), दिल्ली जल बोर्ड सीवर डिपार्टमेंट मजदूर संगठन, ऑल DJB एंप्लॉयीज वेल्फेयर एसोसिएशन, जल -मल कामगार संघर्ष मोर्चा, दिल्ली जल बोर्ड कर्मचारी यूनियन, सीवरेज एंड एलाइड वर्कर्स फोरम (SSKM), नेशनल कैम्पेन फॉर डिग्निटी एंड राइट्स ऑफ़ सीवरेज एंड एलाइड वर्कर्स (NCDRSAW), पीपल्स मीडिया एडवोकेसी एंड रिसोर्स सेंटर (PMARC), विमर्श मीडिया और मगध फाउंडेशन जैसे संगठनों के सहयोग से किया गया था।