नई दिल्ली। आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी स्व. सुचेता कृपलानी की 51वीं पुण्यतिथि पर हिंदी भवन (नई दिल्ली) में एक विशेष स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द मोहन रहे, जिन्होंने सुचेता कृपलानी के स्वतंत्रता संग्राम व संसद में उनके योगदान, प्रशासनिक आदर्शों तथा सामाजिक प्रतिबद्धता पर विस्तार से प्रकाश डाला। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक व इतिहासकार डॉ. भगवान सिंह ने की।
सुचेता कृपलानी के योगदान पर बोलते हुए अरविंद मोहन ने कहा कि सुचेता कृपलानी ने भारतीय राजनीति में न सिर्फ महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि स्वाधीनता, अनुशासन और सामाजिक न्याय जैसे मूल्यों को व्यवहार में उतारकर राजनीति को नई दिशा दी। उनका कहना था कि आज के समय में सुचेता कृपलानी की निष्ठा, पारदर्शिता और राष्ट्रसेवा की भावना से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता अरविंद मोहन ने अपने विस्तृत संबोधन में स्वतंत्रता संग्राम, कांग्रेस संगठन, नोआखाली शांति मिशन, विभाजन कालीन राहत कार्य तथा उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में सुचेता कृपलानी के बहुआयामी योगदान को अत्यंत मार्मिक रूप से याद किया। उन्होंने बताया कि सुचेता कृपलानी का राजनीतिक व्यक्तित्व गांधीवाद की वास्तविक जमीन पर गढ़ा गया था। गांधीजी ने जहाँ हजारों महिलाओं को आंदोलन से जोड़ा, वहीं नेतृत्व की भूमिका में कुछ ही महिलाओं को अपने निकट रखा। सुचेता जी उन प्रमुख हस्तियों में थीं।
उन्होंने कहा कि सुचेता ने कठिन परिस्थितियों में, बिना किसी आडंबर के, संगठन संचालन से लेकर संकटग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य तक, अभूतपूर्व साहस दिखाया। नोआखाली में उन्होंने अकेले महीनों तक काम किया और जबरन धर्मांतरण एवं हिंसा से प्रभावित महिलाओं को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अरविंद मोहन ने अपने संबोधन में 1947 के विभाजन के दौरान दिल्ली में किए गए सुचेता के असाधारण राहत कार्यों का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि जब सरकारी तंत्र लगभग असहाय हो चुका था, तब सुचेता जी ने अपने व्यक्तिगत संसाधनों से राहत शिविरों की व्यवस्था की, हजारों विस्थापित महिलाओं, बच्चों और परिवारों के लिए भोजन, चिकित्सा तथा पुनर्वास की योजनाएँ संचालित कीं।
उन्होंने जानकारी दी कि सिर्फ दिल्ली में उस समय लगभग 36,000 महिलाओं को हिंसा से बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने और पुनर्वासित करने का अभियान सुचेता जी की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं अथक परिश्रम का परिणाम था। सुचेता कृपलानी जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तब उन्होंने सादगी, निष्पक्ष प्रशासन और महिला नेतृत्व को नई ऊँचाइयाँ दीं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी वे एक सामान्य सरकारी आवास में रहीं और प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता दी।
अरविंद मोहन ने कहा कि सुचेता जी को “गूंगी गुड़िया” समझने वाले लोगों को उनका सशक्त नेतृत्व और व्यवहारिक निर्णय क्षमता बार-बार गलत साबित करती रही।
व्याख्यान में अरविंद मोहन ने सुचेता के जीवन के व्यक्तिगत संघर्षों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने सदैव सार्वजनिक जीवन को प्राथमिकता दी। विवाह, पारिवारिक जिम्मेदारियों और राजनीतिक दबावों के बीच भी उन्होंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने सुचेता कृपलानी जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों की उस परंपरा को भी याद किया जिसमें कई योद्धाओं ने संतान न उत्पन्न करने का निर्णय इसलिए किया कि उनके जीवन का लक्ष्य राष्ट्र हो, न कि व्यक्तिगत परिवार। दो हृदयाघातों के बाद भी उनका सार्वजनिक जीवन के प्रति समर्पण कम नहीं हुआ, यह उनकी असाधारण ऊर्जा और राष्ट्रप्रेम का प्रमाण था।
इतिहासकार डॉ. भगवान सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रों का भविष्य तब तक सुरक्षित नहीं हो सकता, जब तक वे अपने पूर्वजों के त्याग और संघर्ष को याद नहीं रखते। सुचेता कृपलानी और आचार्य कृपलानी जैसे लोग केवल परिवार नहीं, स्वयं को राष्ट्र को समर्पित कर देने वाले तपस्वी थे। उन्होंने सुचेता कृपलानी और आचार्य कृपलानी के विवाह के भावनात्मक प्रसंग का भी जिक्र किया जिसमें दोनों ने आयु, संघर्ष और विचारधारा से ऊपर उठकर एक-दूसरे को समझा। उन्होंने यह भी कहा कि “हम सब ही उनके वास्तविक वारिस हैं, क्योंकि उनके विचारों और बलिदान को आगे ले जाना ही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी अभय प्रताप ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से आचार्य जेबी कृपलानी की तरह ही सुचेता कृपलानी की स्मृति में भी अब हर वर्ष ऐसे जन-उपयोगी, प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि नई पीढ़ी स्वतंत्रता आंदोलन और उसके मूल्यों से परिचित हो सके।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रबंध न्यासी अभय प्रताप ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के प्रारंभ और अंत में उभरती हुई गायिका अनुश्री मिश्रा ने अपने भजन गायन से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
इस दौरान तिब्बती संसद के निवर्तमान डिप्टी स्पीकर आचार्य येशी फ़ुन्स्टोक, समाजवादी नेता राजवीर पवार, विश्व युवक केंद्र के अजीत राय, जगदीश सिंह, डॉ. शशि शेखर सिंह, देवेंद्र राय, डॉ. राजीव रंजन गिरि, अमलेश राजू, प्रेम प्रकाश, उमेश चतुर्वेदी, महेश भाई, संजीव कुमार जैसे अनेक महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
रिपोर्ट: हिमांशु कवि
