लाल किला परिसर में राजा शिव छत्रपति महानाट्य…


शाहजी महाराज तर्क देते हैं कि 12 पुश्तों की गुलामी हमारे खून और तलवार में समा गई है। अपने पति की हताशा से भी जीजाबाई निराश नहीं होतीं और कुलदेवी तुलजा भवानी से हथियार के रूप में पुत्र की प्रार्थना करती हैं।


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दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। दिल्ली के लाल क़िला पर चल रहे राजा शिव छत्रपति महानाट्य के दूसरे दिन केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, आरएसएस प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, आरएसएस के दिल्ली प्रांत कार्यवाह भरत जी , इंद्रेश जी और रामवीर सिंह बिधूड़ी, और केंद्रीय राज्य मंत्री फगन सिंह कुलस्ते जी ने मां तुलजा भवानी और गणेश आरती कर कार्यक्रम की शुरुआत की। सभी अतिथियों को अयोजन समिति के पदाधिकारियों ने मराठा पगड़ी पहना कर सम्मनित किया।

संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि राजा शिव छत्रपति महानाट्य एक नाटक से कहीं बढ़ कर एक ऐसा ऐतिहासिक अनुष्ठान है, जिसमें दर्शक भी इतिहास जीने और महसूस करने को विवश हो जाते हैं। इसे सिर्फ नाटक न मानने की एक और वजह ये है कि ये सिर्फ संवादों की अदायगी, या पात्रों का इधर से उधर जाना, या सेट की भव्यता, या फिर घोड़े और ऊँट जैसे प्राणियों का अचंभित कर देने वाला ही नही है, बल्कि राजा शिव छत्रपति हमें इस बात के लिए भी आगाह करते हैं कि इतिहास पढ़ते समय हमें अपनी दृष्टि कैसी रखनी चाहिए। राजा शिव छत्रपति देखने के बाद शिवाजी के चरित्र की विराटता के दर्शन होते है।

दिल्ली के लालकिला पर राजा शिव छत्रपति ऐतिहासिक महानाट्य का मंचन के पहले दिन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, डा हर्षवर्धन, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया, दिल्ली में 5000 साल के हिंदू राजाओं पर हिंदू राजवंश का स्वर्णिम काल किताब का लोर्कापण भी हुआ। इस ऐतिहासिक मंचन के पहले दिन हमे पता चलता है कि छत्रपति शिवाजी, एक अतुलित शूरवीर, न्यायप्रिय और धर्मध्वज रक्षक थे। यदि वह इतने गुणवान थे तो उन गुणों को निखारने वाली माता जीजाबाई के व्यक्तित्व की व्याख्या तो नि:संदेह अनिवार्य है। राजा शिव छत्रपति महानाट्य के मंच पर हम शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा देखते-सुनते हैं। वीर शिवाजी की कुलदेवी तुलजा माता का पूजन होता है। वीरांगना मां जीजाबाई, जो अपने पुत्र शिवबा को स्वतंत्रता की लोरियां सुनाकर, खिलौनों की बजाए तलवार-कटार थमाकर छत्रपति बनाती हैं।

राजा शिव छत्रपति महानाट्य आयोजन समिति द्वारा लालकिला दिल्ली पर महानाट्य के मंचन का बुधवार को पहला दिन था। कथानक, मंच सज्जा, प्रकाश संयोजन, संवाद जीवंत होती वीरगाथा से जुड़ते हैं तो छत्रपति शिवाजी के साथ ¨हिंदवी स्वराज की स्थापना की प्रेरक माता जीजाबाई है।

महानाट्य में वीर शिवाजी के पिता शाहजी महाराज और मां जीजाबाई के बीच संवाद का पहला दृश्य समझा देता है कि मुगलों के खिलाफ उनके हौसले कितने बुलंद थे। दिल्ली और बीजापुर की फौज के आक्रमण में शाहजी महाराज दो बादशाहों को परास्त कर अपनी निजामशाही बचा लेते हैं। जीजाबाई नाखुशी जाहिर करती हैं। कहती हैं कि आपने यह पराक्रम उन मुगल शासकों के लिए दिखाया है, जो मराठा प्रजा का शोषण कर रहे हैं। आप विश्वामित्र की तरह नई दुनिया बसा सकते हैं। दो बादशाह हराए हैं तो क्या खुद महाराष्ट्र के बादशाह नहीं बन सकते।

शाहजी महाराज तर्क देते हैं कि 12 पुश्तों की गुलामी हमारे खून और तलवार में समा गई है। अपने पति की हताशा से भी जीजाबाई निराश नहीं होतीं और कुलदेवी तुलजा भवानी से हथियार के रूप में पुत्र की प्रार्थना करती हैं। सन् 1630 में कृष्ण फाल्गुन तृतीया को शिवाजी का जन्म होता है और वहीं ¨हिंदवी स्वराज्य की उम्मीद का जन्म होता है ..जब दी थी पिता, मामा और नाना जैसा न बनने की सीख पुणे पर आदिलशाही फौज के आक्रमण के बाद जीजाबाई पुत्र शिवाजी से उम्मीद जताते हुए कहती हैं कि बड़े हो जाओ, मेरी तरह सभी माताओं की उम्मीद हो तुम। तब शिवाजी कहते हैं कि मैं पिता, माता और नानाजी जैसा बनूंगा। यहां फिर वीरांगना मां का चरित्र प्रकाशमय होता है।

वह बालक शिवबा को टोकते हुए कहती हैं- क्या मुगलों की जागीरदारी करने के लिए उनके जैसा बनना है? सभी के अपमान का बदला लेने को बगावत करो। आपकी तलवार में मां तुलजा भवानी वास करेंगी। आप निश्चय करें तो कालचक्र को भी बदल सकते हैं। तभी बाल्यावस्था में ही शिवाजी ¨हदवी स्वराज्य की स्थापना का संकल्प लेते हैं। पढ़ाया नारी सम्मान और न्यायप्रियता का पाठ एक गांव का पाटिल गरीब महिला का शीलभंग कर देता है।

तब जीजाबाई शिवाजी महाराज को समझाती हैं कि आपके अधिकारी गलती करेंगे तो जनता आपको बददुआएं देगी। दुष्कर्म करने वाले का आपके राज में पाटिल पद पर रहना उचित है क्या? तब शिवाजी अपने ही पाटिल के हाथ-पैर कटवा देते हैं। इसी तरह शिवाजी के मामा शंभाजी राव मोहिते एक गरीब किसान का पैसा लूट लेते हैं। जीजाबाई न्याय करने के लिए कहती हैं तो शिवाजी वास्ता देते हैं कि शंभाजी राव मोहिते आपके भाई और मेरे मामाजी हैं। उनसे सवाल कैसे पूछ सकता हूं।