देश की संस्कृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में ऐसे कार्यक्रम एक ठोस कदम साबित होंगे : सौरभ भारद्वाज


कवि सम्मेलन हमारे देश की सदियों पुरानी परंपरा रही है I यह परंपरा वर्तमान समय में धीरे-धीरे समाप्त सी होती जा रही है I इस देश की कला और संस्कृति हमारे पुरखों की धरोहर है और इस धरोहर को संभाल कर रखना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है I


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दिल्ली Updated On :

नई दिल्ली। कला संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय, हिंदी अकादमी विभाग द्वारा गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में टाउन हॉल, चांदनी चौक में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देशभर के अलग-अलग क्षेत्र से बड़े ही प्रखर और चर्चित कवियों ने भाग लिया।

चर्चित कवियों में मुख्य रूप से पद्मश्री डॉ सुरेंद्र शर्मा, कवि अशोक चक्रधर, कवि डॉक्टर विष्णु सक्सेना, कवि अरुण जैमिनी, कवि राजेंद्र मालवीय, कवि डॉक्टर प्रवीण शुक्ल, कवि सर्वेश अस्थाना, कवयित्री प्रोफेसर प्रेम सिंह मौजूद रहे ।कवि सम्मेलन का संचालन मशहूर कवयित्री डॉक्टर कीर्ति काले द्वारा किया गया ।सभी कवियों ने टाउन हॉल में मौजूद सैकड़ो लोगों के समक्ष अपने जौहर का प्रदर्शन किया ।पूरा टाउन हॉल सभी कवियों की बेहतरीन कविताओं पर तालिया से गूंज उठा ।

कला संस्कृति एवं भाषा मंत्री सौरभ भारद्वाज मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए ।हिंदी अकादमी के सचिव संजय गर्ग जी ने मंत्री सौरभ भारद्वाज जी का मफलर पहनाकर एवं नव अंकुरित पौधा देकर स्वागत किया ।माननीय मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंच पर मौजूद सभी सम्मानित कवियों का मफलर पहनकर स्वागत किया।

मंच से संबोधन करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि इस कवि सम्मेलन को लाल किले का कवि सम्मेलन कहा जाता है ।प्रतिवर्ष इस सम्मेलन का आयोजन लाल किले के पास किया जाता रहा है ।परंतु कुछ समस्याओं के चलते यह कवि सम्मेलन इस बार लाल किले पर न होकर चांदनी चौक के टाउन हॉल में किया जा रहा है ।उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता का यह इतिहास रहा है, कि दिल्ली की जनता ने हमेशा कविताओं में, मुशायरों आदि में बहुत रुचि दिखाई है और दिल्ली की जनता सही मायने में वह श्रोता है, जो हर कवि अपने कवि सम्मेलनों में देखना चाहता है ।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंच पर आसीन सभी बड़े-बड़े बहुत चर्चित अनुभवी कवियों का इस मंच पर आने के लिए धन्यवाद किया ।मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमने इस कवि सम्मेलन के लिए प्रथक प्रथक विचारधारा के कवियों को चुना है, ताकि सभी प्रकार के श्रोताओं का ध्यान रखा जा सके और जो लोग यहां कवियों को सुनाने आए हैं, वह सभी अपनी-अपनी विचारधारा से मेल खाते कवियों की कविताओं का आनंद ले सके ।

उन्होंने कहा क्योंकि इस टाउन हॉल में पहली बार कवि सम्मेलन किया जा रहा है और सभी कार्य बहुत जल्दबाजी में किए गए हैं, इस वज़ह से व्यव्स्थाओं में जो कमी रह गई हैं, हमारी यह कोशिश रहेगी की अगली बार जब इस कवि सम्मेलन का आयोजन कराया जाएगा तो इसका प्रचार प्रसार खूब अच्छे तरीके से किया जाएगा और भी बेहतर तरीके से व्यवस्था की जाएगी ताकि दिल्ली के कोने-कोने तक इस कवि सम्मेलन की जानकारी लोगों तक पहुंचे और जितनी भीड़ इस बार कवियों को सुनने के लिए आई है, उससे भी दोगुनी, चार गुनी तादाद में लोग इस कवि सम्मेलन में हमारे मशहूर कवियों की कविताओं का आनंद लेने आ सकें ।

कवि सम्मेलन हमारे देश की सदियों पुरानी परंपरा रही है ।यह परंपरा वर्तमान समय में धीरे-धीरे समाप्त सी होती जा रही है ।इस देश की कला और संस्कृति हमारे पुरखों की धरोहर है और इस धरोहर को संभाल कर रखना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है ।इसी संदर्भ में दिल्ली सरकार का कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय दिल्ली की अलग-अलग जगह पर, अलग-अलग संस्कृतियों से, अलग-अलग धर्म से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।

दिल्ली में कवि सम्मेलनों का, मुशायरों का, कव्वालियों का, रागिनी का, ठुमरी का, शास्त्रीय संगीत का, नाटकों का तथा अलग-अलग समुदायों से जुड़ी प्रथाओं से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।इन सभी कार्यक्रमों को करने का मकसद यह है, कि जो हमारी युवा पीढ़ी है, वह हमारी प्राचीन संस्कृति को जान सके, पहचान सके, हमारे बुजुर्गों की धरोहर को समझ सके और वर्तमान समय में जो युवा पीढ़ी आज भी हमारे देश की कला-संस्कृति, कविताओं, नृत्य, संगीत आदि से प्रेम करते हैं, उनको दिल्ली सरकार के माध्यम से अपने जौहर को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का एक पथ मिल सके ।

जो हमारे युवा पीढ़ी में लोग नाटकों में, कविताओं में, संगीत में, नृत्य में, शायरी में रुचि रखते हैं, परंतु धन की कमी के कारण, मार्गदर्शन की कमी के कारण या कोई सही पथ न मिलने के कारण उनकी जो कला है, उनकी जो योग्यता है वह देश और जनता के सामने नहीं आ पा रही है ।ऐसे लोगों को दिल्ली सरकार का कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से एक मंच प्रदान करने की कोशिश कर रहा है, ताकि हमारे देश की युवा पीढ़ी हमारी कला और संस्कृति और हमारे बुजुर्गों की धरोहर को समझ सके।

युवा पीढ़ी में हमारी संस्कृति के प्रति रुचि पैदा हो और हमारी युवा पीढ़ी हमारे बुजुर्गों की इस धरोहर को आगे लेकर जाए, देश के कोने-कोने तक लेकर जाए और दुनिया के कोने-कोने तक लेकर जाए ।इन कार्यक्रमों के माध्यम से कला संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय की यह कोशिश है, कि भविष्य में भी इसी प्रकार से कवि सम्मेलनों का आयोजन करके युवा पीढ़ी में भी कविताओं के प्रति रुचि पैदा की जाए ।