नयी दिल्ली। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सच्ची एकता किसी राष्ट्र की सामूहिक चेतना से उत्पन्न होती है। अरिफ मोहम्मद खान ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली विधानसभा में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आज कहा कि एकता ईंट-पत्थरों से नहीं बनती, एकता भावना से उत्पन्न होती है और भावना विचार से जन्म लेती है।
उन्होंने कहा कि सच्ची एकता किसी राष्ट्र की सामूहिक चेतना से उत्पन्न होती है। ‘सरदार पटेल और भारत के एकीकरण की यात्रा’ विषय पर बोलने का अवसर मिलने पर उन्होंने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि वे भारत माता के इस महान सपूत की पवित्र भूमि को नमन करने का अवसर पाकर स्वयं को धन्य मानते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “भारत को विकसित और अग्रणी राष्ट्र” बनाने के संकल्प को साकार करने के लिए हमें सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा जीवनभर साधे गए आदर्शों और मूल्यों को निरंतर स्मरण और जागृत रखना होगा।
उन्होंने आदि शंकराचार्य और सरदार पटेल की तुलना करते हुए कहा कि जैसे शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के माध्यम से भारत की आध्यात्मिक एकता स्थापित की, वैसे ही सरदार पटेल ने साहस और दृढ़ विश्वास से भारत की राजनीतिक एकता को मूर्त रूप दिया। खान ने कहा कि कई रियासतों का एकीकरण सरदार पटेल का ऐतिहासिक राष्ट्र-निर्माण कार्य था, “जो बिस्मार्क के जर्मनी एकीकरण से भी महान था।”
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि “किसी राष्ट्र की शक्ति उसकी सैन्य ताकत में नहीं, बल्कि उसके हृदयों और उद्देश्यों की एकता में निहित होती है।” उन्होंने कहा कि सरकार पटेल की दूरदर्शिता और साहस ने विभाजित भारत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में रूपांतरित किया।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने आशा को समरसता में और स्वतंत्रता को राष्ट्रत्व में परिवर्तित किया। उनकी कूटनीति, दृढ़ निश्चय और भारतीय आत्मा में अटूट विश्वास ने कई रियासतों को एक भारत में पिरोया तथा भावी पीढ़ियों के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) जैसी सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी।
गुप्ता ने कहा कि सरदार पटेल का जीवन हमें सिखाता है कि एकता कोई नारा नहीं, बल्कि एक पवित्र दायित्व है। अनुशासन, ईमानदारी और निःस्वार्थ सेवा के उनके आदर्श आज भी भारत की प्रगति के मार्गदर्शक हैं।
