रांची । झारखंड के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की बदहाली पर झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक बार फिर बेहद सख्त टिप्पणी की है। रिम्स में अव्यवस्थाओं और नियुक्ति संबंधी मामलों पर दायर कई रिट याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि रिम्स के प्रबंधन को शर्म आनी चाहिए कि यहां एक ट्रॉली की सुविधा लेने के लिए मरीजों के परिजनों को मोबाइल गिरवी रखना पड़ता है।
यह अत्यंत शर्मनाक स्थिति है। व्यवस्था में सुधार के लिए पहले भी कई बार कोर्ट को निर्देश देना पड़ा है। अलग-अलग मामलों को लेकर जितने मामले हमारे पास पहुंच रहे हैं, उससे यही लगता है कि रिम्स को अब कोर्ट ही चला रहा है।
रिम्स में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नियुक्तियों के विज्ञापन में गड़बड़ी से संबंधित याचिका पर कोर्ट ने कहा कि इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी। बता दें कि रिम्स की ओर से नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में आवेदकों के लिए झारखंड का नागरिक होने की शर्त लगाई गई है। कोर्ट ने पहले ही पूछा है कि क्या झारखंड के लिए कोई अलग नागरिकता होती है?
नागरिक देश का होता है या फिर राज्य का? अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि विज्ञापन में झारखंड का नागरिक होने की शर्त लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच कमेटी का गठन किया जाएगा। इस दौरान रिम्स ने माना कि विज्ञापन में गलती हुई है। पूर्व में अदालत ने इस विज्ञापन के आलोक में पदों पर चयनित हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी थी। अब इस मामले में अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 23 नवंबर की तिथि निर्धारित की है।