महाराष्ट्र में संक्रमण का मामला सामने आने के एक साल बाद, बचाव के तरीके ही कारगर उपाय: विशेषज्ञ

महाराष्ट्र में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के एक साल बाद एक विशेषज्ञ संक्रमण को रोकने के लिए गाइड लाइन फॉलो करने की सलाह दी।

पुणे। महाराष्ट्र में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के एक साल बाद एक विशेषज्ञ का कहना है कि मास्क का इस्तेमाल, सामाजिुपक दूरी, हाथ धोना और टीका, संक्रमण को रोकने के प्रमुख उपाय हैं।

पिछले साल नौ मार्च को दुबई से लौटे पुणे निवासी एक दंपति की जांच में णकोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी। अगले दिन, उनकी बेटी और जिस टैक्सी चालक ने उन्हें मुंबई से पुणे तक छोड़ा था, उसकी जांच में भी संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

दंपति को यहां स्थित नायडू संक्रामक रोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वह कुछ दिन बाद ठीक हो गए थे। उनकी बेटी और टैक्सी चालक भी ठीक हो गए थे।

उक्त अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुधीर पातसुते ने बताया कि संक्रमण का पहला मामला सामने आने से पहले ही अस्पताल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार था।

उन्होंने कहा, “हमने पहले से ही प्रशिक्षण और तैयारी की थी जिसके परिणामस्वरूप हम (स्थिति को संभालने के संदर्भ में)वह हासिल कर पाए जो करना चाहते थे ।”

पातसुते ने कहा कि, “लोगों ने 2020 में कोविड-19 से बचाव के नियमों का पालन किया और जिसके कारण साल के अंत तक वायरस के प्रसार को रोकने में कामयाबी मिली। लगता है कि पिछले तीन महीने से लापरवाही बरती जा रही है। इसकी वजह से अब मामले बढ़ रहे हैं।”

पातसुते ने लोगों से मास्क लगाने, सामाजिक दूरी बरकरार रखने, हाथ धोने और टीका लगवाने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हमेशा के लिए कोरोना वायरस से छुटकारा नहीं पाया जा सकता लेकिन संक्रमण के मामलों को बढ़ने से रोकने और मृत्यु दर को कम करने के लिए यह कारगर उपाय हैं।”

First Published on: March 9, 2021 12:30 PM
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