महाराष्ट्र की सियासत में सीएम देवेंद्र फडणवीस के बयान ने मचाई हलचल!

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का एक बयान इन दिनों राज्य की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है। बीते दिनों पत्रकारों से बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता ने कहा था- ‘दिल्ली अभी दूर है।’ उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी हलकों में माना जा रहा है कि फडणवीस ने एक बयान से दो निशाने साधे हैं। पहला तो यह कि फडणवीस, महायुति के घटक दलों के नेताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि वही आगामी चुनावों तक मुख्यमंत्री रहेंगे। दूसरा वह राज्य की बीजेपी इकाई को भी यह मैसेज भेजना चाहते हैं कि वह अभी केंद्रीय राजनीति में कदम नहीं रखेंगे और राज्य में ही काम करते रहेंगे।

फडणवीस के इस बयान पर राज्य में विपक्ष के नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, ‘यह उन लोगों के लिए एक अप्रत्यक्ष संदेश है जो मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए हुए हैं।

सावंत ने कहा कि सीएम सीधे एकनाथ शिंदे (उपमुख्यमंंत्री, महाराष्ट्र सरकार) से तो बोल नहीं सकते, इसलिए वह अप्रत्यक्ष रूप से यह बात कह रहे हैं। सावंत ने दावा किया कि सीएम अपनी पार्टी के उन लोगों को भी संकेत दे रहे हैं जो स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। बता दें सीएम ने यह भी कहा था ‘न तो कोई नया सहयोगी होगा और न ही मौजदूा सहयोगियों का चेहरा बदलेगा।’

सीएम के हालिया बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि फडणवीस का बयान मुख्यमंत्री पद के दावेदारों एकनाथ शिंदे और अजित पवार के लिए उनका सपना चकनाचूर करने वाला संदेश है। उन्होंने कहा था कि दोनों उपमुख्यमंत्रियों की इस स्थिति को देखते हुए ‘मक्खी मारने’ का मुहावरा याद आ रहा है।

बीते कुछ समय से दावा किया जा रहा है कि फडणवीस, केंद्रीय राजनीति में जा सकते हैं। ऐसे में शिंदे और पवार दोनों के मन में मुख्यमंत्री पद को लेकर आकांक्षाएं जाग रहीं हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान पर एक ओर जहां विपक्षी दल अपना पक्ष रख रहे हैं। वहीं शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित) में के नेताओं को उम्मीद है कि एक दिन परिस्थितियां बदलेंगी।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार शिंदे सेना के एक नेता ने कहा कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। सब कुछ अनिश्चित है। एक दिन शिंदे सीएम जरूर बनेंगे। रिपोर्ट के अनुसार अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के नेताओं ने कहा कि डिप्टी सीएम उर्जावान नेता हैं। वह सियासत में संख्या बल का महत्व समझते हैं। कोई भी दल जिसके पास बहुमत है, वह अपने सहयोगी दल को सीएम पद कैसे दे सकती है?

गौरतलब है कि राज्य में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल हैं। शिवसेना से वर्ष 2022 में अलग होने के बाद शिंदे पिछले विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री रहे जबकि फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। बीजेपी के साल 2024 के विधानसभा चुनाव में 132 सीट जीतने के बाद फडणवीस मुख्यमंत्री बने जबकि शिंदे उपमुख्यमंत्री की भूमिका में आ गए।

First Published on: October 25, 2025 11:03 AM
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