मोगा में आदिवासी नरसंहार के खिलाफ संयुक्त प्रदर्शन: जनता पर युद्ध बंद करने की मांग

मोगा। आज पंजाब के तीन दर्जन से अधिक जनवादी संगठनों ने एकजुट होकर एक विशाल रैली और विरोध मार्च आयोजित किया, जिसमें आदिवासियों और उनके पक्ष में संघर्ष करने वाले आंदोलनों को कुचलने के लिए चल रहे क्रूर नरसंहार की कड़ी निंदा की गई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने राज्य प्रायोजित हिंसा की सख्त भर्त्सना करते हुए आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे सभी सैन्य अभियानों, विशेष रूप से ऑपरेशन कगार, को तत्काल बंद करने; फर्जी मुठभेड़ों, हिरासत में हत्याओं और हर प्रकार के राज्य दमन को समाप्त करने; आदिवासी इलाकों से पुलिस कैंप हटाने; तथा पुलिस व अर्धसैनिक बलों की पूर्ण वापसी की मांग की। रैली ने आदिवासी संघर्षों के साथ जनवादी एकजुटता का पुरजोर संदेश दिया और यह स्पष्ट मांग रखी कि जनता पर युद्ध तुरंत बंद किया जाए।

प्रदर्शनकारियों ने आदिवासी इलाकों में जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों की कॉरपोरेट लूट बंद करने की जोरदार मांग की और उन शोषणकारी आर्थिक नीतियों की निंदा की, जो कॉरपोरेट मुनाफे को स्थानीय लोगों के जीवन और रोजी-रोटी से ऊपर रखती हैं। उन्होंने इन जनविरोधी नीतियों को रद्द करने और आदिवासी समुदायों पर ड्रोन व हेलीकॉप्टर बमबारी को पूरी तरह रोकने की मांग की। प्रदर्शन में कठोर कानूनों जैसे यूएपीए और अफस्पा की समाप्ति, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विघटन, तथा सभी कैद जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं की बिना शर्त रिहाई की मांग भी उठाई गई। साथ ही, जनता के संगठनों और आंदोलनों पर लगे प्रतिबंध हटाने और विरोध-प्रतिरोध के जनवादी अधिकार की बहाली की मांग रखी गई। संदेश साफ था-राज्य को अपने ही लोगों पर युद्ध बंद करना होगा और सभी नागरिकों के जनवादी अधिकारों व संवैधानिक गारंटियों का पालन करना होगा।

सड़कों पर मार्च से पहले अनाज मंडी में किसानों, मजदूरों, नौजवानों, छात्रों, महिलाओं, तर्कशीलों, जनवादी अधिकारों के रक्षकों, प्रगतिशील लेखकों, कलाकारों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं की एक बड़ी सभा हुई, जिसे संगठनों के प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया। इनमें दलित और मजदूर मुक्ति मोर्चा, ऑटो रिक्शा यूनियन मोगा और कई अन्य जनसंगठनों ने भी रैली में भाग लिया।

नेताओं ने कहा कि बस्तर और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में लाखों अर्धसैनिक बलों को तैनात कर जो खूनी अभियान चलाए जा रहे हैं, उनका असली उद्देश्य देश के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को देशी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों को सौंपना है। सभी जनवादी और मानवीय मूल्यों को त्यागकर ड्रोन और हेलीकॉप्टर से बमबारी की जा रही है-यह साफ है कि मोदी सरकार आदिवासी जनता और उनके अधिकारों की रक्षा करने वाली संघर्षरत ताकतों को पूरी तरह खत्म करने पर आमादा है, ताकि जंगलों को लूटखोर पूंजीपतियों की खनन परियोजनाओं के लिए खाली कराया जा सके।

इस क्रूर युद्ध के हिस्से के रूप में, जनपक्षधर लेखक, बुद्धिजीवी और जनवादी व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को, जो सरकार की जनविरोधी नीतियों और दमनकारी हमलों का सही विरोध करते हैं, झूठे मामलों में जेल में डाला जा रहा है, जबकि आदिवासियों और माओवादियों को फर्जी मुठभेड़ों में मारा जा रहा है।

बड़े कॉरपोरेट घरानों का लालच देश के खेत-खलिहानों, कृषि और खनिज संपदा पर सर्वांगीण हमला चला रहा है। आज जो कुछ आदिवासी क्षेत्रों में हो रहा है, वह कोई अलग-थलग युद्ध नहीं है-यह संसाधनों को हिंसा और दमन के जरिए कब्जाने के व्यापक कॉरपोरेट अभियान का अग्रिम मोर्चा है। अगर देश के मेहनतकश जनता ने अभी संगठित प्रतिरोध नहीं किया, तो यह कॉरपोरेट संचालित युद्ध जल्द ही हर राज्य की जनता को अपनी चपेट में ले लेगा। इसके खिलाफ लड़ाई बाद में नहीं, अभी लड़ी जानी चाहिए।

आदिवासी क्षेत्रों में चलाया जा रहा यह फासीवादी दहशत का राज, पंजाब में भी जनता के प्रतिरोध को निशाना बना रहा है। यहां भी जनता के संघर्ष बढ़ने के साथ-साथ जनवादी अधिकारों का उल्लंघन और दमन, पाबंदियों और प्रतिबंधों के जरिए, तेज होगा।

इसलिए जरूरी है कि इस वैश्विक कॉरपोरेट पूंजी के हित में चल रहे समन्वित हमले के खिलाफ एकजुट संघर्ष चलाया जाए, और यह संयुक्त रैली उस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

सभा में लेखक, अनुवादक और जनवादी कार्यकर्ता बूटा सिंह महमूदपुर ने प्रस्ताव पेश किए, जिन्हें हाथ उठाकर सर्वसम्मति से पारित किया गया। इन प्रस्तावों ने राज्य के अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध का कड़ा विरोध करते हुए ऑपरेशन कगार और आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे सभी अर्धसैनिक अभियानों की तत्काल समाप्ति, आदिवासियों और माओवादियों के क्रूर नरसंहार को रोकने, और गरीबों के खर्च पर कॉरपोरेट लालच को पूरा करने वाली जनविरोधी आर्थिक नीतियों को समाप्त करने की मांग की। एक विशेष प्रस्ताव में गाजा में जारी नरसंहार की निंदा की गई और फिलिस्तीनी जनता की मुक्ति के संघर्ष के साथ एकजुटता व्यक्त की गई।

एक भावुक क्षण में, विख्यात जनवादी कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नाटककार गुरशरण सिंह की बेटी डॉ. नवशरण का एकजुटता संदेश पढ़कर सुनाया गया। उन्होंने अपने संदेश में बताया कि इस सितंबर में अमृतसर में गुरशरण सिंह जी की जयंती आदिवासी संघर्षों के नाम समर्पित की जाएगी। इस मंच ने सभी जनवादी आवाजों से आह्वान किया कि वे एकजुट हों और इस स्मृति कार्यक्रम में भाग लें।

कई गायकों ने प्रतिरोध और एकजुटता के गीत पेश किए, जिनमें सबसे प्रमुख रहे प्लस मंच (पंजाब लोक सभ्याचारक मंच) के जगसीर जीदा, जिनके जोशीले बोलों ने प्रतिभागियों के दिलों में संघर्ष की आग भर दी। मंच संचालन जगतार कालाझाड़ ने कुशलता से किया।

(रिपोर्ट: बूटा सिंह महमूदपुर)

First Published on: August 11, 2025 9:08 AM
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