कर्नाटक में कौन होगा विपक्ष का नेता? BJP की अहम बैठक आज


पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह पहले ही नवनिर्वाचित विधायकों की राय ले चुके हैं और इसके आधार पर और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श के नतीजों के आधार पर नए नेता का चयन किए जाने की संभावना है। बोम्मई और पूर्व केंद्रीय मंत्री बसनगौड़ा पाटिल यतनाल इस पद के लिए सबसे आगे बताए जा रहे हैं।


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दक्षिण भारत Updated On :

बेंगलुरु। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बसवराज बोम्मई ने कहा कि रविवार तक पता चल जाएगा कि राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, तीन जुलाई से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र से पहले अपने नेता का चुनाव करने के लिए रविवार को भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई है। नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, इस सवाल के जवाब में बोम्मई ने शनिवार को चिक्कमगलुरु में संवाददाताओं से कहा, ‘यह निश्चित रूप से रविवार शाम को पता चल जाएगा।’

बैठक के बारे में जानकारी के रखने वाले नेताओं ने कहा कि यह निर्णय कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी की भारी हार और आंतरिक संघर्षों के कारण असहमति के महीनों बाद आया है, जिसके कारण विपक्ष के नेता के चयन में देरी हुई। बता दें कि 13 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे बड़े वोट शेयर और 135 सीटों से जीत हासिल की, जबकि बीजेपी को सिर्फ 66 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह पहले ही नवनिर्वाचित विधायकों की राय ले चुके हैं और इसके आधार पर और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श के नतीजों के आधार पर नए नेता का चयन किए जाने की संभावना है। बोम्मई और पूर्व केंद्रीय मंत्री बसनगौड़ा पाटिल यतनाल इस पद के लिए सबसे आगे बताए जा रहे हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स ने पार्टी के अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि नेता प्रतिपक्ष की भूमिका के लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है, जैसे बसवराज बोम्मई, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, अश्वथनारायण, वी सुनील कुमार और आर अशोक। नेताओं ने कहा कि इसके अलावा, श्रीनिवास पुजारी, तेजस्विनी गौड़ा और चालुवादी नारायण स्वामी विधान परिषद के लिए संभावित उम्मीदवार हैं।

भाजपा द्वारा नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में देरी को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस समेत कई हलकों से सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा नियुक्ति में देरी के लिए भाजपा में मजबूत या सक्षम चेहरे की कमी और अंदरूनी कलह का आरोप लगाते हुए भी आलोचनाएं हुई हैं। हालांकि, बोम्मई सहित भाजपा के कई नेताओं ने यह कहते हुए पलटवार किया था कि नेता प्रतिपक्ष को विधानसभा के पूर्ण सत्र से पहले चुना जाएगा, जैसा कि परंपरा रही है।



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