उत्तराखंड टनल हादसा: 120 घंटे बाद भी क्‍यों 40 मजदूरों को नहीं निकाला जा सका?  


नेशनल डिजास्‍टर रिस्‍पॉन्‍स फोर्स (NDRF), स्‍टेट डिजास्‍टर रिस्‍पॉन्‍स फोर्स (SDRF), सीमा सड़क संगठन (BRO), और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) सहित कई एजेंसियों के कम से कम 165 कर्मी राहुत और बचाव के काम में जुटे हैं। थाईलैंड और नॉर्वे की विशिष्ट बचाव टीमें भी ऑपरेशन में शामिल हो गई हैं।


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उत्तराखंड Updated On :

नई दिल्‍ली। उत्तरकाशी में धंसी टनल में फंसे 40 मजदूरों का बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। 5 दिन यानी 120 घंटे का वक्‍त बीत गया है, अब तक मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है। राहत और बचाव कार्यों में शामिल अधिकारियों ने कहा कि मलबे के माध्यम से पाइपों को धकेलने में छेद करने की तुलना में अधिक समय लगता है, खासकर अगर यह सुनिश्चित करना हो कि वेल्डिंग के बाद पाइपों में कोई दरार न हो।

यह पूछे जाने पर कि मशीन चार से पांच मीटर प्रति घंटे की अपेक्षित ड्रिलिंग गति क्यों हासिल नहीं कर पा रही है, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने कहा कि मशीन पर पाइपों को संरेखित (Aligning) करना और उन्हें ठीक से वेल्डिंग करना उनको आगे बढ़ाने से पहले समय लगता है।

ड्रिलिंग मशीन से हो रही दिक्‍कत

खलखो ने आगे दावा किया कि रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन की धीमी प्रगति के पीछे ड्रिलिंग मशीन का डीजल चालित होना है। उन्होंने कहा,“ यह एक बंद जगह में काम करने वाली डीजल से चलने वाली मशीन है। इसलिए कंप्रेसर के साथ निश्चित समय अंतराल पर वेंटिलेशन की भी आवश्यकता होती है। इन प्रक्रियाओं से पैदा होने वाला कंपन संतुलन को बिगाड़ सकता है।’ उन्‍होंने आगे कहा, ‘हम एक रणनीति के साथ काम कर रहे हैं लेकिन इसे मजबूत करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीच में कुछ भी गलत न हो।’

बैक-अप मशीन मंगाई जा रही

खलखो ने कहा, मशीन संतोषजनक ढंग से काम कर रही है और जैसे-जैसे मलबे के माध्यम से आगे बढ़ने में प्रगति होगी और बचावकर्मी इस सिस्‍टम के आदी हो जाएंगे, गति बढ़ती जाएगी। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान निर्बाध रूप से जारी रहे, इसके लिए बैकअप के तौर पर इंदौर से एक और ‘ऑगर मशीन’ मंगाई जा रही है।

ये एजेंसी रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में लगी

नेशनल डिजास्‍टर रिस्‍पॉन्‍स फोर्स (NDRF), स्‍टेट डिजास्‍टर रिस्‍पॉन्‍स फोर्स (SDRF), सीमा सड़क संगठन (BRO), और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) सहित कई एजेंसियों के कम से कम 165 कर्मी राहुत और बचाव के काम में जुटे हैं। थाईलैंड और नॉर्वे की विशिष्ट बचाव टीमें भी ऑपरेशन में शामिल हो गई हैं।



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