आर्कटिक की आग ने पिछले 18 वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित किया


दुनिया भर में महामारी के संकट के बीच, पृथ्वी के सबसे ठंडे क्षेत्रों का स्वास्थ्य काफी बिगड़ा है। आर्कटिक के तीव्र जंगल की आग ने पिछले महीने पृथ्वी के वायुमंडल में पिछले 18 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक प्रदूषणकारी (कार्बनडाईऑक्साइड) गैसों को उत्सर्जित किया है।


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दुनिया भर में महामारी के संकट के बीच, पृथ्वी के सबसे ठंडे क्षेत्रों का स्वास्थ्य काफी बिगड़ा है। आर्कटिक के तीव्र जंगल की आग ने पिछले महीने पृथ्वी के वायुमंडल में पिछले 18 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक प्रदूषणकारी (कार्बनडाईऑक्साइड) गैसों को उत्सर्जित किया है। जून की शुरुआत से, कॉपरनिकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस (CAMS) ने आर्कटिक सर्कल में 100 से अधिक संख्या में लंबे समय तक रहने वाले जंगलो में लगने वाली आग पर नज़र रखी है।

आपको बात दे कि आर्कटिक की आग से जून में 16.3 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन या लगभग 60 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ। यूरोप के CAMS के आंकड़ों के अनुसार, यह कम से कम 2003 के बाद से और 2018 के एक ही महीने से लगभग नौ गुना अधिक है।

यह आग ध्रुवीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभाव की याद दिलाती है, जो दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक गर्म है। केंद्र के विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि आर्कटिक की आग का तीव्र चिंता का विषय है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड के बड़े उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग होगी और इससे अधिक आर्कटिक पेराफ्रॉस्ट होने की संभावना रहती है।

 यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट के एक अग्नि विशेषज्ञ मार्क पारिंगटन ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “उच्च तापमान और सुखा की सतह की स्थिति इन आग को जलाने और इतने बड़े क्षेत्र पर लंबे समय तक बने रहने के लिए बेहतर स्थिति प्रदान कर रही है।” उन्होंने ने एक बयान में कहा की इस बीच, साइबेरियाई शहर वेर्खोयान्स्क में तापमान 100 डिग्री फ़ारेनहाइट या 38 डिग्री सेल्सियस और आर्कटिक में बर्फ के आवरण ने जून 2020 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। यह बात भी समझना जरूरी है कि साइबेरिया में जंगल की आग वसंत ऋतु यानी जनवरी- फरवरी माह से बहुत पहले शुरू हुई थी। आर्कटिक क्षेत्र बाकी दुनिया के मुकाबले दोगुना गर्म है, जिसके कारण आर्कटिक क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट विगलन हो रहा है और वहां का बुनियादी ढाँचा ढह रहा है। इन सभी के साथ-साथ वहां के समुद्री बर्फ भी लुप्त हो रही है।