कोविड संकट और वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ की रिपोर्ट


रिपोर्ट में कोविड-19 संकट के द्वारा इन लक्ष्यों की गति में आने वाली
बाधाओं का वर्णन है, साथ ही भारत में इससे वायु प्रदूषण की संभावित प्रगति
का भी उल्लेख किया गया है।


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नई दिल्ली। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च द्वारा ‘भारत में कोविड संकट के दौरान स्वच्छ वायु का एजेंडा’ के नाम से नई रिपोर्ट जारी की गयी है, जिसमें सीपीआर के शोधकर्ता संतोष हरीश और शिबानी घोष ने महामारी के कारण भारत के वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लक्ष्यों पर पड़ने वाले आर्थिक, नियामक और सांस्थानिक निष्कर्षों को प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट में कोविड-19 संकट के द्वारा इन लक्ष्यों की गति में आने वाली बाधाओं का वर्णन है, साथ ही भारत में इससे वायु प्रदूषण की संभावित प्रगति का भी उल्लेख किया गया है।
इस रिपोर्ट में मुख्य अवसरों की पहचान की गई है, जैसे निर्धन घरों में एलपीजी की पहुंच के लिये बेहतर और ज्यादा लक्ष्यपरक सब्सिडी, पुराने बिजली संयंत्रों को बंद कराना और पंजाब-हरियाणा में धान उत्पादन से सतत निकासी की दर को बनाये रखना। रिपोर्ट में पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों को कमजोर करने के बजाय संरक्षण की जरूरत पर भी चितंन किया गया है, क्योंकि सरकार कोविड संकट की वजह से आर्थिक पुनर्प्राप्ति के लिये लंबा समय लेने वाली है।

शोधकर्ता शिबानी घोष ने कहा, लॉकडाउन के बाद आर्थिक कार्यों में तेजी लाने के नाम पर सरकार पर्यावरणीय नियामक ढांचे को कमजोर नहीं कर सकती, पर्यावरणीय नियमन जैसे EIA अधिसूचना और पर्यावरणीय सुरक्षा नियम, महत्वपूर्ण उत्सर्जकों जैसे कल-कारखानों और बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इस समय जब राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने वायु प्रदूषण के स्तर को अस्थायी रूप से कम कर दिया है, प्रगति के रास्ते पर सतत आगे बढ़ने के लिये और आगे इसे अपनाये जाने के लिये बहुत कुछ किया जाना चाहिये। कोविड के बाद, विभिन्न सेक्टरों में उत्सर्जन के स्तर को कम रखने के लिये नीतिगत एजेंडा का लाभ, सुरक्षात्मक उपायों के क्षय को रोकना और प्रभावी सांस्थानिक और वित्तीय सुधारों के लिये लगातार बातचीत होनी चाहिये।

सीपीआर के शोधकर्ता संतोष हरीश के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना का पहला साल इसके सीमित कोष की वजह से लड़खड़ाहट भरा साल रहा। कोविड-19 संकट की वजह से हुई कोष की भारी कमी के बीच, नये वित्तीय आयोग द्वारा आवंटित कुल 4400 करोड़ रुपये से 42 लाख से अधिक शहरों में एक महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराता है।

संतोष हरीश ने कहा, इस कोष के प्रभावी उपयोग के लिये राज्य और म्युनिसिपल सरकारों को बड़े प्रयासों के जरिये नागरिक समाज को साथ लेते हुए कार्यों को प्राथमिकता देनी होगी और उन कार्यों की प्रगति का रिकॉर्ड रखना होगा।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

यह रिपोर्ट वायु प्रदूषण के प्रत्येक बड़े स्रोत पर कोविड संकट द्वारा पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण करती है। बिजली संयंत्रों का उत्सर्जन पुराने कोयला संयंत्रों को बंद करना जिससे कम प्रदूषण युक्त नये संयंत्रों के जरिये मांग के बड़े हिस्से की आपूर्ति हो सके. साथ ही जिससे इस सेक्टर में मौजूद आर्थिक संकट को भी कम किया जा सके।

पराली जलाना, पंजाब और हरियाणा में लोगों को धान उत्पादन से स्थानांतरित कर मक्का और कपास उपजाने के विकल्पों का इस्तेमाल ग्रामीणों के लिये व्यवृहत बनाना।

यातायात वाहनों के परिमार्जन की नीति को पुराने और भारी प्रदूषणयुक्त वाहनों को बदल देने की नीति से स्थानांतरित करना, खासकर ट्रकों को।

पकाने, उजाला रखने और गर्माहट के लिये प्रयुक्त घरेलू ईंधन। निर्धन घरों में, प्राथमिक ईंधन के रूप में एलपीजी के इस्तेमाल के लिये सामाजिक सुरक्षा के रूप में ज्यादा बेहतर और लक्ष्यपरक सब्सिडी।

पर्यावरण और स्वास्थ्य को लेकर कुछ सिफारिशें

पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन के ड्राफ्ट की अधिसूचना 2020 के जरिये सुरक्षा उपायों को कमजोर किये जाने का विरोध करना।

2015 में जारी बिजली संयंत्र के उत्सर्जन के मानकों में अस्वीकार्य देरी का उल्लेख करना और उन्हे तत्काल लागू किये जाने की मांग करना।

प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी निगरानी, जांच और लागू किये जाने के डाटा में
बेहतर पारदर्शिता की मांग, जिससे नियमन में हो रहा दैनंदिन विघटन
अनुल्लिखित ना रह जाये।

फ्लाईओवर और सड़कों के चौड़ीकरण से संबंधित
प्रोजक्ट में निवेश को हतोत्साहित करना जो भविष्य में समान कीमत पर ज्यादा
सतत गतिशील आधारभूत ढांचे के स्थान पर निजी यातायात को प्रोत्साहित करता है।

राष्ट्रीय
स्वच्छ वायु योजना के ढांचे को विकसित करना और ख़ासकर ग़ैर प्राप्ति शहरों
की पहचान के लिये एक समान प्रणाली का विकास और साल दर साल वायु गुणवकता 
सुधारों का रिकॉर्ड रखना।

2020-2021 के दौरान यानी इस साल की
महत्वपूर्ण दिक्कतों का पूर्वानुमान करते हुए 15वें वित्तीय आयोग द्वारा
आवंटित कोष के प्रभावी इस्तेमाल के लिये शहरी स्थानीय इकाईयों के साथ
क्षमता निर्माण का काम करना, सतत आधारभूत ढांचे में निवेश और सार्वजनिक
सुविधाओं (कचरा और धूल प्रबंधन) को बेहतर करना।

15वें वित्तीय आयोग में आवंटित कोष के प्रदर्शन के आकलन के लिये मजबूत ढांचा विकसित करना, और 2021-26 में आवंटित कोष का सतत प्रबंधन।