दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में 89 ऐप्स पर बैन लगाए जाने के खिलाफ याचिका दायर कर फेसबुक यूज की अनुमति मांगने वाले एक लेफ्टिनेंट कर्नल पर बेहद तल्ख़ टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जब बात देश की सुरक्षा की है तो वहां किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जा सकती है। उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी से यहां तक कह दिया कि अगर वो फेसबुक नहीं छोड़ सकते तो नौकरी छोड़ दें।
गौरतलब है कि फेसबुक समेत 89 सोशल मीडिया ऐप्स बैन करने का भारतीय सेना का ये फैसला सरकार के उस फैसले के कुछ ही दिनों बाद आया जिसमें 59 चीनी मोबाइल ऐप्स पर पाबंदी लगा दी गई थी।सोशल मीडिया के जरिए जासूसी की इन घटनाओं की चेतावनी मिलिट्री इंटेलिजेंस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने पहले ही दे दी थी।मई 2019 में, इनफ्रेंट्री बटालियन में तैनात भारतीय सेना के 26 साल के एक क्लर्क को मध्य प्रदेश के महू से गिरफ्तार किया गया था, जिसे पाकिस्तान की एक खुफिया एजेंसी ने हनी-ट्रैप कर लिया था।
नवंबर 2019 में, भारतीय सेना के दो जवानों को राजस्थान के पोखरण जाते हुए जोधपुर से गिरफ्तार किया गया था।पता चला कि दोनों कई सारे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए पाकिस्तानी महिला एजेंटों के साथ सामरिक जानकारी साझा कर रहे थे।गलवान घाटी में टकराव के बाद पाकिस्तानी आईएसआई एजेंटों की गतिविधि तेज हो गई है, जो कि भारतीय पत्रकारों, सेना के जवानों और दूसरे लोगों से लद्दाख में भारतीय सेना की तैनाती और नई दिल्ली की संभावित कार्रवाईयों की जानकारी मांग रहे हैं।सुरक्षा से जुड़े खतरा पैदा करने वाले वेबसाइट्स और ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना नुकसान और सूचना के रिसाव को रोकने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम हो सकता है, लेकिन इसका मुकाबला करने के लिए बहुत कुछ नहीं किया गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना के इस वरिष्ठ अधिकारी को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि या तो संगठन के आदेश का पालन कीजिए या इस्तीफा दे दीजिए। लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने हाल में फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल सशस्त्र बल के कर्मियों के लिए प्रतिबंधित किए जाने को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि उनके पास विकल्प है।
लेफ्टिनेंट कर्नल ने सेना के आदेश के खिलाफ कोर्ट में यह दलील दी थी कि जब अकाउंट बंद कर देंगे तो उनके फेसबुक अकाउंट में सभी डेटा, संपर्क और दोस्तों से संपर्क टूट जाएगा जिसे फिर बहाल करना मुश्किल होगा। इस पर पीठ ने कहा, ‘नहीं, नहीं। माफ कीजिएगा। आप कृपया इसे बंद कीजिए। आप कभी भी नया अकाउंट बना सकते हैं। ऐसे नहीं चलता है। आप एक संगठन का हिस्सा हैं। आपको इसके आदेशों को मानना होगा।
हाईकोर्ट ने यह कहते हुए चौधरी से फेसबुक अकाउंट बंद करने के लिए कहा कि सैन्यकर्मियों के लिए सोशल नेटवर्किंग प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने का निर्णय देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है। अदालत ने कहा कि आप बाद में नया सोशल मीडिया अकाउंट बना सकते हैं। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि याचिका पर विचार करने का जब एक भी कारण नहीं मिला है ‘तो अंतरिम राहत देने का सवाल ही नहीं उठता है।’ पीठ ने कहा, ‘खासकर तब जब मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा की अगर आपको फेसबुक ज्यादा पसंद है तो इस्तीफा दे दीजिए। देखिए आपके पास विकल्प है, आप चाहे जो करें। आपके पास दूसरे विकल्प भी हैं। ध्यान रहे कि भारतीय सेना ने 6 जून को फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत 89 अन्य ऐप की लिस्ट जारी करते हुए अपने सभी कर्मियों को आदेश दिया था कि वो सारे अकाउंट बंद कर इन ऐप्स को अपने-अपने फोन से डिलीट करें।
भारतीय सेना ने इस सप्ताह 89 सोशल मीडिया ऐप पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया, ऐसा साइबर प्लेटफॉर्म पर लगातार जारी जासूसी और इससे जुड़ी दूसरी गतिविधियों की वजह से किया गया। भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार ये हमें नुकसान पहुंचाया जा रहा है।इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि दुश्मन हमारी सेना के जवानों और अधिकारियों की प्रोफाइल पर नजर रख रहे हैं।इसकी भी पुष्टि हो चुकी है कि वो उनके मोबाइल फोन और कंप्यूटर तक पहुंचने में कामयाब हो रहे हैं. सोशल मीडिया प्रोफाइल के जरिए हमारे कुछ लोगों को हनी-ट्रैप किया गया।सोशल मीडिया के माध्यम से जासूसी में बहुत तेजी आई है।
सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने के इस फैसले की घोषणा (अनाधिकारिक तौर पर) 8 जुलाई को की गई, लेकिन ये निर्देश एक आंतरिक नोट के जरिए दिया गया था ,जो कि मुझे जून के पहले हफ्ते में मिल गई थी ,जिसकी योजना पिछले चार महीने से चल रही थी।प्रतिबंधित वेबसाइट्स’ पर ‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए विनियामक उपाय’ नाम से जारी इस नोट में लिखा था।
प्रतिबंधित सोशल मीडिया ऐप में फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक के अलावा डेली हंट और न्यूज डॉग जैसे न्यूज ऐप पर भी शामिल हैं।भारतीय सेना का ये फैसला भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के उस निर्णय के कुछ ही दिनों बाद आया है जिसमें 59 चीनी मोबाइल ऐप को बैन कर दिया गया, जो कि उनके मुताबिक, भारत की संप्रभुता और अखं।डता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए पूर्वाग्रह पूर्ण थे।
इसके पहले भारतीय नौसेना ने, फरवरी 2020 की शुरुआत में, 85 सोशल मीडिया साइट को बैन कर दिया था, जिसमें फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक के अलावा यूट्यूब, सिग्नल और टेलीग्राम भी शामिल था।इसके अलावा नौसेना ने युद्धपोतों के साथ देश के सभी नौसेना परिसरों में स्मार्टफोन के उपयोग पर भी पाबंदी लगा दी थी।भारतीय नौसेना का ये फैसला राष्ट्रव्यापी छापेमारी में गिरफ्तार सात सेवारत कर्मियों की गिरफ्तारी के बाद आया, जो पाकिस्तान के लिए जासूसी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए थे।हिरासत में लिए गए ये नाविक मुंबई, कारवार और विशाखापत्तनम में तैनात थे, जब यह पता चला कि वो सोशल मीडिया साइट्स के जरिए हनी-ट्रैप कर लिए गए थे, और लगातार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से अहम जानकारियां साझा कर रहे थे।