गौतम चौधरी
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक अच्छे जन प्रतिनिधि होने का परिचय दिया है। कोरोना महामारी काल में जिस प्राकार कई मोर्चों पर उन्होंने तत्परता दिखाई है वह काबिले तारीफ है। सोरेन इस समय एक मानवीय अवतार में दिख रहे हैं। यदि किसी राजनेता को अपने लोगों के लिए कुछ करना है तो उसे हेमंत से सीखना चाहिए। बाकि के राजनेता तो डपोरशंखी कर ही रहे हैं। अपने काम का उन्होंने विज्ञापन नहीं किया। यही कारण है कि वे पारंपरिक समाचार माध्यमों में चर्चित नहीं हैं लेकिन झारखंड के प्रवासी मजदूर और छात्र सोरेन का दिल से शुक्रिया अदा कर रहे हैं।
किसी को कुछ पता नहीं था। 30 अप्रैल को जब झारखंड मंत्रिमंडल की बैठक चल रही थी तो मुख्यमंत्री सोरेन को केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल का फोन आया और उन्होंने तेलंगाना से झारखंड के लिए पहली श्रमिक ऑपरेशन ट्रेन चलाने की सूचना मुख्यमंत्री को दी। इस काम के दिए सोरेन ने विज्ञापन का कोई हंगामा खड़ा नहीं किया। अचानक लोगों को पता चलता है कि कल यानी एक मई को, वह भी दोपहर में कि तेलंगाना से एक ट्रेन चली हैं जो कल ही रात में ग्यारह बजे के करीब हटिया स्टेशन पहुंचेगी, जिसमें झारखंड के विभिन्न जिलों के 1200 श्रमिक मौजूद होंगे। मतलब उसके पहले तेलंगाना से देर रात को ट्रेन खुल चुकी थी।
हेमन्त बार-बार दोहराते है कि वे झारखंड के एक-एक नागरिक के प्रति जवाबदेह हैं और ये जिम्मेवारी निभाते रहेंगे। कमाल यह भी है कि राज्य के विपक्षी दल इस कोरोना संक्रमण पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आते, उपवास की नौटंकी तक कर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि हेमंत विपक्ष के किसी टिप्पणी पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं, बस अपना काम किए जा रहे हैं।
झारखंड की 73 लाख महिलाओं के जनधन खातों में 365 करोड़ रुपए मिलेंगे। झारखंड सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत यह यह राशि जारी कर दी है। जनधन खाते वाली हर एक महिला को 500 रुपए मिलेंगे। यह राशि कोविड-19 के संक्रमण से बचाव या लॉकडाउन के प्रभाव से निपटने के लिए दी जा रही है। तीन अप्रैल से खाता संख्या के आधार पर महिलाओं को राशि मिलनी शुरू हो जाएगी।
योजना सह वित्त सचिव केके खंडेलवाल ने बताया कि सभी जिलों के डीसी और एसपी को इसके बारे में जानकारी दे दी गई है। राशि निकालने के लिए काफी संख्या में लोग बैंक शाखाओं में जाएंगे। इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है। इस दौरान बैंक शाखाओं में विधि-व्यवस्था का पालन जरूरी है। बैंकिंग कॉरेस्पॉडेंट के माध्यम से भी खाताधारकों के बीच राशि का वितरण होगा। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कराना जरूरी है। अधिक से अधिक खाताधारकों तक यह सूचना पहुंचनी चाहिए।
झारखंड के मनरेगा मजदूरों के लिए राहत भरी खबर है। भारत सरकार ने उनकी मजदूरी के भुगतान के लिए 602 करोड़ 25 लाख 70 हजार रुपए की पहली किस्त जारी कर दी है। झारखंड की अर्थव्यवस्था की खराब हालत को देखते हुए इससे सुदूर गांवों में आपूर्ति शृंखला को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
भारत सरकार से मंजूरी मिलते ही झारखंड सरकार ने मजदूरों का बकाया भुगतान कर दिया है। सोमवार को राज्य सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए मजदूरों के खाते में 160 करोड़ रुपए भेजे। जिन मजदूरों की मजदूरी सबसे ज्यादा दिनों से बकाया है, उनके खातों में प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले राशि भेजी जाएगी। केंद्र ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि किसी भी मजदूर की एक ही मजदूरी का दोबारा भुगतान नहीं होना भी सुनिश्चित करना है। साल 2020-21 के लेबर बजट पर चर्चा के बाद अगली किस्त की राशि केंद्र तय करेगा।
इसके अलावे झारखंड सरकार ने लौट रहे प्रवासी मजदूरों के लिए भी योजना बनाएगी। हालांकि सोशल मीडिया पर सरकार के द्वारा प्रवासी दिहारदारियों को 200 फलदार पेड़ देने की बात भी बताई जा रही है लेकिन इसके बारे में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि ऐसी योजना बन रही है। पहले से भी ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्राम विकास के तहत बागवानी योजना चला रहा है और उसी को अब पूरे प्रदेश में विस्तार किया जाएगा। यही नहीं सरकार ने प्रदेश में निवेश किए सभी बड़ी कंपनियों को सहयोग के लिए कहा गया है। कोई PPE किट दे रहा तो कोई मास्क दे रहा है। सोरेन सबका उपयोग कर रहे हैं।
( गौतम चौधरी वरिष्ठ पत्रकार हैं और रांची में रहते हैं।)