जयपुर | राजस्थान में व्हिप उल्लंघन के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के यथास्थिति बनाने के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुलाकात की। इस दौरान गहलोत गुट के कांग्रेस विधायकों ने राजभवन में ही धरना देना शुरू कर दिया।
विधायकों ने गहलोत जिंदाबाद के नारे लगाए। इससे पहले गहलोत समेत सभी विधायक बसों में बैठकर राजभवन के लिए निकले। राजभवन जाने से पहले मुख्यमंत्री ने फेयरमाउंट होटल में विधायकों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों को एकजुट रहना है और हमारे पास बहुमत है। इतना ही नहीं हमारी सरकार पांच साल तक चलेगी।
वहीं, राजभवन में ही कांग्रेस के विधायक धरने पर बैठ गए। राजस्थान के कांग्रेस विधायक अशोक गहलोत की अगुवाई में राजभवन पहुंचे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट और बीजेपी एक हैं। उन्होंने कहा, यहां बीजेपी की तानाशाही नहीं चलेगी और जनता हमारे साथ है।
राजभवन में ही कांग्रेस के विधायक धरने पर बैठ गए। राजस्थान के कांग्रेस विधायक अशोक गहलोत की अगुवाई में राजभवन पहुंचे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट और बीजेपी एक हैं। उन्होंने कहा, यहां बीजेपी की तानाशाही नहीं चलेगी और जनता हमारे साथ है।
भाजपा को याद आयी बसपा
अब भाजपा के एक विधायक ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। बीजेपी विधायक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस के साथ हुए विलय को रद्द करने का अनुरोध किया है। बसपा विधायकों के विलय के बाद राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को विधानसभा में बहुमत बरकरार रखने में मदद मिली है।
बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने दायर की अपनी इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष की ‘निष्क्रियता’ को भी चुनौती दी गई है, जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने के उनके अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है। राजस्थान हाईकोर्ट सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा।