क्या प्रधानमंत्री मोदी की बात सच है कि चीन ने भारतीय इलाके में घुसपैठ नहीं की है ?


प्रधानमंत्री के सर्वदलीय बैठक में सीमा की स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद अजीब स्थिति बन गई है। अगर चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ नहीं की, तो फिर भारतीय सैनिकों को नुकसान कैसे हो गया ? 20 भारतीय सैनिक शहीद कैसे हो गए ? चीन ने कई भारतीय सैनिकों को बंदी कैसे बना लिया ? दरअसल प्रधानमंत्री के ब्यान के बाद अजीब विरोधाभास की स्थिति बन गई है।


संजीव पांडेय संजीव पांडेय
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन सीमा पर घुसपैठ को सिरे से नकार दिया है। चीन सीमा पर तनाव के मद्देनजर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उन्होंने साफ कहा कि न कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और न ही हमारी चौकी पर किसी ने कब्जा किया है। प्रधानमंत्री के इस दावे के बाद चीन शायद ज्यादा खुश होगा। क्योंकि चीन लगातार यही कह रहा है कि चीन नहीं बल्कि भारत सीमा पर तनाव पैदा कर रहा है। चीन लगातार यही कह रहा है कि भारत ने लद्दाख सीमा पर यथास्थिति  बदलने की कोशिश की है, चीन के इलाके में भारतीय सेना ने घुसपैठ की है। 

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में भारत-चीन सीमा पर तनाव के मद्देनजर भारत ने जितनी कमजोरी से अपना पक्ष रखा है, उससे भारत को खासा नुकसान हुआ है। यही नहीं चीन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बड़ी चालाकी और धूर्तता से अपना पक्ष रखा। जबकि भारत अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अपने पक्ष को रखने में पूरी तरह से विफल रहा। भारतीय पक्ष ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं की। चीन के प्रोपगंडा को चीन के सरकारी अखबारों ने जमकर चलाया। चीन बराबर यही दावा करता रहा है कि वो सीमा पर शांति चाहता है, लेकिन भारत चीन को आंखे दिखा रहा है। जबकि सच्चाई इससे उलट है।

प्रधानमंत्री के सर्वदलीय बैठक में सीमा की स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद अजीब स्थिति बन गई है। अगर चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ नहीं की, तो फिर भारतीय सैनिकों को नुकसान कैसे हो गया ? 20 भारतीय सैनिक शहीद कैसे हो गए ? चीन ने कई भारतीय सैनिकों को बंदी कैसे बना लिया ? दरअसल प्रधानमंत्री के ब्यान के बाद अजीब विरोधाभास की स्थिति बन गई है। क्योंकि अभी तक आधिकारिक बयानों में तो यही बताया जाता रहा कि चीन ने गलवान घाटी और पैंगोंग झील के भारतीय इलाके में घुसपैठ की। इस दौरान भारतीय सैनिकों से उनका टकराव हो गया। इसी दौरान भारतीय सैनिकों की शहादत की खबर आयी। चीन के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर बैट, डंडों, पत्थरों से हमला किया। प्रधानमंत्री के इस ब्यान से कई रिटार्यड सैन्य अधिकारी भी हैरान है।

प्रधानमंत्री के सर्वदलीय बैठक में दी गई जानकारी के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने फिर गलवान घाटी को चीन का हिस्सा बताया है। चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार गलवान घाटी चीन का हिस्सा है औऱ लाइन ऑफ एक्चुएल कंट्रोल से चीन की तरफ है। चीनी विदेश मंत्रालय का ब्यान प्रधानमंत्री मोदी के ब्यान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत की सीमा में  घुसपैठ नहीं की गई। चीन ने 18 जून को भी आधिकारिक तौर पर कहा था कि भारतीय फ्रंट लाइन के सैनिकों ने समझौता तोड़ा और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को पार कर  चीनी सैनिकों को उकसाया।  भारतीय सैनिकों ने चीनी अफसरों-सैनिकों पर हमला किया। इसके बाद  झड़प हुई और जान गई।

अगर प्रधानमंत्री मोदी की बात सच है कि चीन ने भारतीय इलाके में घुसपैठ नहीं की है, तो फिर अंतरराष्ट्रीय जगत में चीन की दावेदारी और मजबूत होगी। क्योंकि चीन लगातार यही कह रहा है कि चीन ने तो भारतीय इलाके में घुसपैठ ही नहीं की है। बल्कि भारतीय सैनिकों ने चीन के इलाके में घुसपैठ की है। चीन का दावा है कि  भारतीय सैनिकों के चीनी इलाके में घुसपैठ के कारण चीन औऱ भारत की सेना के बीच टकराव हुआ। प्रधानमंत्री के ब्यान के बाद तो चीन अंतराष्ट्रीय बिरादरी के सामने भारत को झूठा ठहराने की कोशिश करेगा। एक सवाल यह भी है कि अगर भारतीय इलाकों में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ ही नहीं कि तो फिर 14  कार्पस के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह मोल्दो में चीन के सैन्य अधिकारियों से किस मुद्दे पर बैठक करने गए थे? 

इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय का ब्यान आया था कि सीमा पर स्थिति को ठीक करने के लिए दोनों पक्ष बातचीत जारी रखेंगे। यही नहीं खुद विदेश मंत्रालय ने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद ब्यान जारी कर कहा था कि चीन ने इस इलाके में यथास्थिति को एकपक्षीय बदलने की कोशिश की। यही नहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चीनी विदेश मंत्री से बातचीत करते हुए गलवान घाटी की घटना को चीन की तरफ से पूर्वनियोजित बताया था। इसका मतलब यही था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसपैठ कर भारतीय सैनिकों पर हमला बोला था। जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री को कहा था कि चीनी कार्रवाई से यथास्थिति को नहीं बदलने संबंधी सभी समझौतों का उल्लंघन किया गया है।

दरअसल प्रधानमंत्री के इस  ब्यान के दूरगामी परिणाम हो सकते है। भारतीय इलाके में चीन के सैनिक बैठे है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री दवारा भारतीय इलाके में चीन की घुसपैठ के इंकार से गलवान घाटी पर चीन का अधिकार खुदबखुद हो सकता है। क्योंकि अभी तक भारत की तरफ से आधिकारिक तौर पर यही जानकारी दी जाती रही है कि चीनी सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का उल्लंघन कर पैंगोंग झील औऱ गलवान घाटी के भारतीय इलाकों पर कब्जा जमा लिया है। 

पैंगोंग झील के फिंगर 8 से 4 के बीच का लगभग 60 वर्ग किलोमीटर भारतीय इलाके पर चीन ने कब्जा जमा लिया है। फिंगर 4 से आगे भारतीय पेट्रोलिंग टीम नहीं जा पा रही है। इसी तरह से चीन ने गलवान घाटी के भारतीय इलाकों पर कब्जा कर लिया है। भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच झड़प भी तब हुई जब भारतीय सैन्य अधिकारी भारतीय इलाके से चीनी सैनिकों को वापस जाने को कह रहे थे। जब भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को भारतीय इलाके से पीछे हटने को कहा तो चीनी सैनिकों ने धूर्तता से भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया।

इस समय भारतीय विदेश नीति सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। सरकार के अलग-अलग तंत्रों में संतुलन, सहयोग औऱ सामंजस्य नहीं है। इससे देश की जनता में निराशा है। लोगों की अपेक्षा है कि चीन सीमा पर सरकार कंक्रीट पॉलिसी अपनाए। उधर चीन के सैनिकों की भारतीय इलाके में घुसपैठ के लिए इंटेलिजेंस फेल्योर को भी जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। जबकि दावा यह भी है कि इंटेलिजेंस ने दिल्ली को सूचना समय पर दी थी, लेकिन सूचना दिल्ली में दबायी गई। चीन की सीमा पर साजिश की सूचना भारतीय खुफिया तंत्र ने समय पर दे दी थी। लेकिन यह सूचना रक्षा मंत्रालय के टेबल पर पड़ी रही। गलवान घाटी में चीन की घुसपैठ की तुलना 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ से की जा रही है। उस समय पाकिस्तानी सेना भारतीय इलाकों में आकर बैठ गई थी और भारत को लंबे समय तक इसकी जानकारी नहीं मिली थी।