मदर्स डे: भगवान बार-बार नहीं ले सकता अवतार, इसलिए बनाया “मां”


पूरी दुनिया में 10 मई को मदर्स डे मनाया जाता है। लोग इस दिन को अपनी मां को समर्पित करते हैं। इसकी शुरुआत 1912 में अमेरिका से हुई थी। एना जार्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं।अविवाहित होने के कारण उनकी कोई संतान भी नहीं थी। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसके बाद पूरी दुनिया मदर्स डे मनाने की परंपरा शुरू हुई।



मंजूर अहमद।
नई दिल्ली। रूसो ने कहा था, “भगवान बार-बार अवतार नहीं ले सकता, इसलिए उसने मां को बनाया” मां की महानता के बारे में शायद ही ऐसे अल्फाज किसी और दार्शनिक ने कहा हो। मां पढ़ी-लिखी हो या अनपढ़, लेकिन इंसानी वजूद औऱ उसके बेहतर तरबियत के लिए दुनिया में शायद ही कोई औलाद होगी जो उसके इल्म को किसी से कमतर देखती होगी। इंसान की तरक्की में मां की हर एक तरबियत पेबस्त होती है चाहे वह कैसा भी हो। इस्लाम की सबसे मुकद्दस किताब में भी अल्लाह और पैगम्बर के बाद तीसरा दर्जा मां का है। 

मां के बारे में कहे गए ये अल्फाज शायद उसकी अहमियत को बताने की लिए काफी हैं, लेकिन आज के दौर में औलाद अपने मां को वह इज्जत और सम्मान नहीं दे रही है जिसकी वह हकदार है और इसकी सबसे जीती जागती मिशाल दुनिया में बूढ़े मां-बाप को रखने के लिए प्रतिदिन बढ़ते ओल्ड एज होम और वृद्धा आश्रम हैं। इसके अलावा भी आए दिन अखबारों में मां और औदालों के रिस्तों से जुड़े कई दिल दहला देने वाले वाकये सुनने को मिलते हैं। अतः शायद हमको मां वह इज्जत और दर्जा देने की जरुरत हैं जिसकी वह हकदार है। 

पूरी दुनिया में 10 मई को मदर्स डे मनाया जाता है। लोग इस दिन को पूरी तरह अपनी मां को समर्पित करते हैं। इसकी शुरुआत वर्ष-1912 में अमेरिका से हुई थी। एना जार्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसे बाद में 10 मई को पूरी दुनिया मदर्स डे मनाने की परंपरा शुरू हुई।