पाकिस्तान, चीन और नेपाल सीमा पर तनाव, ‘ड्रैगन’ की हिमालय पार नीति में फंसा भारत


भारत के तीनों ओर सीमाओं पर तनाव बढ़ता जा रहा है। इधर चीन, पाकिस्तान और नेपाल भारत को लेकर आक्रामक रूख अख्तियार किए हैं। जानकारों का मानना है कि तीनों पड़ोसी राष्ट्र अनायास भारत विरोधी रवैया नहीं अपना रहे हैं। इसके पीछे चीन की हिमालय पार नीति है।



नई दिल्ली। भारत के तीनों ओर सीमाओं पर तनाव बढ़ता जा रहा है। इधर चीन, पाकिस्तान और नेपाल भारत को लेकर आक्रामक रूख अख्तियार किए हैं। जानकारों का मानना है कि तीनों पड़ोसी राष्ट्र अनायास भारत विरोधी रवैया नहीं अपना रहे हैं। इसके पीछे चीन की हिमालय पार नीति है। जिसके तहत चीन ने पाकिस्तान और नेपाल को आर्थिक और सामरिक मदद पहुंचाकर अपनी मंशा कायम करने में लगा है। कोरोना महामारी के इस दौर में चीन ने पड़ोसियों को मदद पहुंचाकर मौके का फायदा उठाया है। वहीं नेपाल में चीनी दूतावास का खासा प्रभाव बढ़ा है। पकिस्तान चीन के मदद का पहले से ही मुरीद है। विश्व महाशक्ति बनने के रास्ते में भारत ही उसके नीतियों की अनदेखी करता है। भारत वन बेल्ट वन रोड हो या दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की दखल हो, हमेशा इनके खिलाफ रहा है।

पिछले कुछ दिनों से लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच जारी गतिरोध गहराता जा रहा है। पैंगोंग सो झील से सटे फिंगर एरिया में चीन बंकर बना रहा है तो गलवान रिजन में 3 जगहों पर वह भारतीय क्षेत्र में आ घुसा है।

पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग : एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग हो रही है, घाटी में पाक प्रायोजित आतंकी हमले बढ़े हुए हैं और पीओके में इस्लामाबाद चुनाव कराने जा रहा है।
चीन की गहरी साजिश : पाकिस्तान और चीन का एक साथ ऐक्टिव होना संयोग नहीं है, बल्कि यह एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। यह भारत के खिलाफ कोई गहरी साजिश तो नहीं है? अतीत में चीन की कुटिलताओं को देखते हुए साजिश की आशंका ज्यादा है। एलओसी और एलएसी पर हो रही गतिविधियों पर नजर रखने वालों के मुताबिक पाकिस्तान और चीन की करतूतों में एक तालमेल दिख रहा है और इसे संयोग कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियां इन गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रही हैं। सभी बॉर्डर पर अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है ताकि अगर दोनों पड़ोसी मिलकर कोई हिमाकत करें तो उसे काउंटर किया जा सके।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री  स्थानीय निवास संबंधी कानून को बदलने  पर आपत्ति जताया : वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को शुक्रवार को फोन कर जम्मू-कश्मीर के लिए स्थानीय निवास संबंधी कानून को बदलने के भारत के फैसले पर चिंता जाहिर की। स्थानीय निवास (डोमिसाइल) संबंधी कानून के तहत, वे सभी व्यक्ति और उनके बच्चे जो जम्मू-कश्मीर में 15 साल रहे हों या सात साल तक पढ़ाई की हो और केंद्र शासित प्रदेश के किसी शैक्षणिक संस्थान से 10वीं या 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए हों, वे सभी स्थानीय निवासी माने जाने के पात्र होंगे।

सूत्रों ने बताया लद्दाख के गलवान रिजन में पहले से ज्यादा भारी सैन्य वाहनों के दिखने के बाद से ही तनाव बना हुआ है। ऐसा माना जा रहा है चीनी सैनिकों ने लद्दाख में कम से कम 3 पॉइंट्स पर भारतीय क्षेत्र का उल्लंघन किया है। इसमें पट्रोल पॉइंट 14 और रणनीतिक तौर पर अहम गोगरा पोस्ट की नजदीकी जगह शामिल है। रिपोर्ट्स इशारा करती हैं कि इनमें से हर स्पॉट पर चीन के 500 से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं, वह भी भारतीय क्षेत्र के भीतर।

एलओसी और एलएसी पर हो रहीं घटनाओं ने करगिल जंग की याद ताजा कर दी : एलओसी और एलएसी पर हो रहीं घटनाओं ने करगिल जंग की याद ताजा कर दी है। जब भारत करगिल में पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने में लगा था, उसी वक्त शातिर चीन ने पैंगोंग सो झील के किनारे 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में जुट गया। इधर भारतीय सैनिकों को फोकस पाकिस्तानी हिमाकत को काउंटर करने पर था और उधर चीन ने इस मौके का फायदा उठाते हुए रेकॉर्ड समय में झील के किनारे पट्रोलिंग के लिए ट्रैक बना लिया।

विशेषज्ञों का मानना है कि एलओसी पर सीमा पार गोलीबारी में इजाफा, घाटी में बढ़ते आतंकी हमले और एलएसी में चीन का भारतीय इलाकों में घुसने की घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और उसे 2 केंद्रशासित राज्यों के रूप में बांटे जाने के बाद की पहली ही गर्मी में ये सभी घटनाएं घट रही हैं।
पूर्व डेप्युटी नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर एस. डी. प्रधान ने  बताया, ‘चीन-पाकिस्तान का गठजोड़ पीओके और अक्साई चिन को फिर से हासिल करने की भारतीय कोशिशों से चिंचित है। ये दोनों ही क्षेत्र सीपीईसी (चीन पाक आर्थिक गलियारा) के लिए तो अहम है ही, ‘अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को सीमित’ करने के लिहाज से भी अहम हैं। लिहाजा चीन और पाकिस्तान इन (पीओके और अक्साई चिन) पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करने की योजना बना रहे हैं। इससे वे अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को भी सीमित कर पाएंगे।

नेपाल ने भी जारी किया नक्शा?

भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन और पाकिस्तान अब नेपाल का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। नेपाल ने हाल ही में नया नक्शा जारी करते हुए भारतीय इलाकों को भी उसमें शामिल किया है। नेपाल के नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। जबकि यह भारत का हिस्सा है। हालांकि नेपाल इस इलाके पर लंबे समय से दावा जताता रहा है। नेपाल वैसे तो पहले भी कई बार इस मामले को दबी जुबान में उठाता रहा है। लेकिन इस बार नेपाल का रवैया सख्त है। ऐसा लग रहा है कि यह भी चीन-पाक गठजोड़ के ही इशारे पर ही हुआ है।