प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के देशों से मानव केंद्रित विकास के लिए एकजुट होने का किया आह्वान


प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय में दुनिया डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिक समुदायों की ओर उम्मीद से देख रही है। स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिये वैश्विक पहल की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, पहले वैश्वीकरण पर चर्चा आर्थिक मुद्दों को लेकर होती थी, लेकिन अब दुनिया को मानव केंद्रित विकास पर ध्यान देने और इसके लिये एकजुट होने की जरूरत है।


naagrik news naagrik news , नागरिक न्यूज
Uncategorized Updated On :

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव केंद्रित विकास पर ध्यान देने और दुनिया को एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया के देश कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, तब स्वास्थ्य क्षेत्र में देशों की उन्नति पहले से अधिक मायने रखेगी।

मोदी ने टेलीमेडिसिन क्षेत्र में हुई तरक्की, स्वास्थ्य सेवा में मेक इन इंडिया उत्पादों का उपयोग और एक स्वस्थ समाज के लिए चिकित्सा क्षेत्र में आईटी उपकरणों के उपयोग पर चर्चा का आह्वान किया। बेंगलुरु के राजीव गांधी स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के एक समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दो विश्व युद्धों के बाद दुनिया को आज सबसे बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे दुनिया ने विश्व युद्धों के पहले और उसके बाद बदलाव देखा, उसी प्रकार से कोविड से पहले और उसके बाद की दुनिया अलग होगी। 
Read More:-  भारत में कोरोना महामारी का शुरू हो चुका है सामुदायिक प्रसार : आईसीएमआर

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय में दुनिया डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिक समुदायों की ओर उम्मीद से देख रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया इनकी ओर सेवा और उपचार दोनों के भाव के साथ देख रही है। स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिये वैश्विक पहल की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, पहले वैश्वीकरण पर चर्चा आर्थिक मुद्दों को लेकर होती थी, लेकिन अब दुनिया को मानव केंद्रित विकास पर ध्यान देने और इसके लिये एकजुट होने की जरूरत है। स्वास्थ्य क्षेत्र में देशों की उन्नति पहले से अधिक मायने रखती है। टेलीमेडिसिन क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि क्या ऐसे नए मॉडलों की कल्पना की जा सकती है जो टेलीमेडिसिन को बड़े पैमाने पर लोकप्रिय बना सकें।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शुरुआती मुनाफे से उनमें उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा,  हमारे घरेलू निर्माताओं ने निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) का उत्पादन शुरू कर दिया है और कोविड-19 से निपटने के लिए अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों को करीब एक करोड़ पीपीई की आपूर्ति की गई है। मोदी ने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए आईटी से संबंधित उपकरण बहुत मदद कर सकते हैं। 

पहले वैश्वीकरण पर चर्चा आर्थिक मुद्दों को लेकर होती थी, लेकिन अब दुनिया को मानव केंद्रित विकास पर ध्यान देने और इसके लिए एकजुट होने की जरूरत है। स्वास्थ्य क्षेत्र में देशों की उन्नति पहले से अधिक मायने रखती है। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पीएम ने कहा, मुझे यकीन है कि आपने आरोग्य सेतु ऐप के बारे में सुना होगा। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करीब 12 करोड़ लोगों ने इसे डॉउनलोड किया है। कोरोना वायरस से लड़ने में इससे काफी मदद मिली है। उन्होंने साफ किया कि स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हिंसा कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने कदम उठाए हैं। 

उन्होंने कहा कि अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख का बीमा कवर प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा,  डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मियों के साथ हिंसा और गलत व्यवहार सही नहीं है। ऐसी चीजों को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं। आपको हर हाल में सुरक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों को दंडित करने के लिये हाल में अध्यादेश लाया गया है।

मोदी ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को बिना वर्दी के सैनिक बताते हुएकहा कि कोविड-19 वायरस अदृश्य दुश्मन है लेकिन हमारे अपराजेय स्वास्थ्य कर्मी उसे मात देंगे। उन्होंने कहा कि पिछले 6 सालों के दौरान देश में मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यों को चार स्तम्भों में विभाजित किया गया है । रोकथाम से जुड़ी स्वास्थ्य सेवा पहला स्तम्भ है जिसमें योग, आयुर्वेद आदि है। दूसरा स्तम्भ वहनीय स्वास्थ्य सेवा है जो आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से जुड़ा है । तीसरा स्तम्भ आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ा है । हमारे देश जैसे राष्ट्रों में उपयुक्त मेडिकल आधारभूत ढांचा और शिक्षा होनी चाहिए ।

उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कालेज या स्नातकोत्तर मेडिकल संस्थान खोलने का काम तेजी से चल रहा है। 22 और एम्स खोलने का काम भी चल रहा है। पिछले पांच वर्षो में 35 हजार एमबीबीएस सीट और 15 हजार स्नातकोत्तर सीट जोड़े गए हैं ।