चीन के कोरोना वैक्सिन परीक्षण से मिल रहा सकारात्मक परिणाम

चीन में पिछले दिनों कोरोना वायरस को लेकर बने वैक्सिन का शुरुआती परीक्षण किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि वैक्सिन का प्रयोग करने पर कोविड-19 वायरस के खिलाफ मानव शरीर का प्रतिरोधक क्षमता सकारात्मक असर दे रहा है। 22 मई को यह रिसर्च शोध पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित किया गया।

चीन में पिछले दिनों कोरोना वायरस को लेकर बने वैक्सिन का शुरुआती परीक्षण किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि वैक्सिन का प्रयोग करने पर कोविड-19 वायरस के खिलाफ मानव शरीर का प्रतिरोधक क्षमता सकारात्मक असर दे रहा है। 22 मई को यह रिसर्च शोध पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित किया गया।
बीजिंग इंस्टीट्यूट आफ बायोटेक्नोलाॅजी के अध्ययनकर्ता वेई चेन ने वुहान में कोरोना वायरस से पीड़ित 108 लोगों पर वैक्सिन का इस्तेमाल किया। वैक्सिन इंजेक्ट करने के बाद कोरोना पीड़ित के जीन के माध्यम से ऐसे तत्व बनने लग रहे हैं जो कोविड-19 वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता पैदा करते हैं। मनुष्य के आरएनए में मौजूद टी-शेल इस दौरान तेजी से काम करने लगता है और शरीर को कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता देकर इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार कर देता है। बता दें कि शरीर में प्रतिरोधक क्षमता एंटीबाॅडी बनने से बढ़ता है। खास बात यह है कि शरीर में वैक्सिन इंजेक्ट करने बाद एंटीबाॅडी अच्छी मात्रा में बनने शुरू हो जाते हैं।
वहीं अमेरिका के ‘माॅडर्न इंक’ ने हाल में अपने परीक्षण के पहले चरण में सफल होने का दावा पेश किया है। इसमें दो कोरोना मरीजों पर परीक्षण में सकारात्मक परिणाम मिलने की बात कही गई है।  चेन के अध्ययन के मुताबिक, शुरू में प्रतिरक्षा प्रणाली, वायरस का पता बहुत तेजी से लगा रहे हैं। वैक्सिन लगने के 14 दिन में शरीर के अंदर टी-शेल की प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसे ही एंटीबाॅडी 28 दिन का समय लेता है और इस दौरान बेहतरीन काम करता है। वहीं जब वैक्सिन का डोज ज्यादा रखा जाता है तो एंटीबाॅडी तुलनात्मक रूप में तेजी से काम करने लगता है।

कोशिकीय और शारीरिक दोनों प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण 

इस अध्ययन में शोधकर्ता चेन इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कोविड-19 के वैक्सिन को कारगर बनाने में कोशिकीय और शारीरिक दोनों प्रतिरोधक क्षमता महत्वपूर्ण है। साथ ही शोधकर्ता इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि 60 साल से अधिक आयु के लोगों में वैक्सिन का टीका लगने पर कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो सकेगा या नहीं। हालांकि शोध के दौरान 18 से 60 साल आयु वर्ग के लोग रखे गये थे। वहीं इस अध्ययन के दूसरे चरण में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी शामिल करने की बात कही गई है।

वैक्सिन के विकास में अभूतपूर्व चुनौतियां 

अध्ययनकर्ता वेई चेन ने कहा, कोविड-19 के वैक्सिन के विकास में चुनौतियां अभूतपूर्व है। वैक्सिन का टीका लगाने पर जरूरी नहीं है कि यह कोरोना वायरस से पीड़ित को बचाएगा ही। चेन का कहना था, यह शोध कोरोना वायरस के लिए वैक्सिन विकसित करने का प्रयास भर है। उनका कहना था, फिलहाल सभी के लिए वैक्सिन को उपलब्ध करा पाना एक लंबी प्रक्रिया है। हालांकि, 100 संक्रमितों से वैक्सिन विकसित करने के विभिन्न स्टेज पर पहुंचा गया है और इसमें से आठ पर क्लिनिकल ट्रायल से आगे बढ़ गए हैं।

(साभार : डाउन टू अर्थ पर अंग्रेजी में छपे रिसर्च का हिंदी  अनुवाद)

First Published on: May 23, 2020 11:19 AM
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