दिल्ली हाईकोर्ट से आखिरकार जामिया की सफूरा जरगर को जमानत मिल गई है। दिल्ली हिंसा से जुड़े केस में उनकी गिरफ्तारी हुई थी, अब उन्हें मानवीय आधार पर जमानत मिली है, जिसका केंद्र सरकार ने भी समर्थन किया। सफूरा 23 हफ्ते की गर्भवती हैं और उनकी बेल को लेकर सोशल मीडिया पर लंबे वक्त से मांग उठ रही थी। ज़रगर को 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार 23 जून को कहा कि इस मामले के गुण दोष में जाए बिना और इसे किसी मिसाल के रूप में विचार किए बिना राज्य को सफूरा की जमानत पर रिहा किए जाने में कोई समस्या नहीं है, बशर्ते कि वह गतिविधियों में लिप्त न हो, जिनकी जांच की जा रही है। एसजी पर जोर दिया कि सफूरा को दिल्ली में भी रहना चाहिए।जरगर की ओर से पेश वकील नित्या रामाकृष्णन ने इस पर कहा कि उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह लेने के लिए फरीदाबाद जाना पड़ सकता है।
जस्टिस राजीव शेखर की एकल पीठ ने सफूरा को 10 हज़ार रुपए का बॉन्ड प्रस्तुत करने और सशर्त नियमित जमानत दी। शर्तों में कहा गया है कि उसे उन गतिविधियों में लिप्त नहीं होना चाहिए जिनकी जांच की जा रही है। उसे जांच में बाधा डालने से बचना चाहिए। उसे दिल्ली के क्षेत्र छोड़ने से पहले संबंधित अदालत की अनुमति लेनी होगी तथा उसे हर 15 दिनों में एक बार फोन कॉल के माध्यम से जांच अधिकारी के संपर्क में रहना होगा।
एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले के आदेश को किसी अन्य मामले में मिसाल के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। एकल पीठ ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि उन्हें राज्य से सील कवर में कुछ दस्तावेज प्राप्त हुए थे, जिन्हें उन्होंने नहीं खोला है और न ही प्रतिवाद किया है। उन्होंने कहा कि ये सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय में वापस भेज दिए जाएंगे। 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा गिरफ्तार की गई सफूरा ज़रगर ने ट्रायल कोर्ट से अपनी ज़मानत खारिज होने के 4 जून के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
ट्रायल कोर्ट ने जरगर को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब आप अंगारे के साथ खेलना चुनते हैं, तो आप हवा को दोष नहीं दे सकते कि चिंगारी थोड़ी दूर तक पहुंच जाए और आग फैल जाए। ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि जांच के दौरान एक बड़ी साजिश की जांच की गई और अगर किसी साजिशकर्ता द्वारा किए गए षड्यंत्र, कृत्यों और बयानों के सबूत थे, तो यह सभी के खिलाफ स्वीकार्य है।ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि भले ही आरोपी (जरगर) ने हिंसा का कोई काम नहीं किया था, वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत अपने दायित्व से नहीं बच नहीं सकती।
दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट एवं ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं है, जिसकी उसने सुनियोजित योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। सफूरा जरगर की जमानत अर्जी पर दिल्ली पुलिस ने दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट दिल्ली पुलिस ने सफूरा जरगर की जमानत अर्जी को लेकर अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सफूरा जरगर को दिल्ली में फरवरी महीने में हुए दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
दिल्ली की स्पेशल टीम के अपनी रिपोर्ट में बताया कि गवाह और सह आरोपी ने स्पष्ट रूप से जरगर को बड़े पैमाने पर बाधा डालने और दंगे के गंभीर अपराध में सबसे बड़े षड्यंत्रकारी के तौर पर बताया है। वह न केवल राष्ट्रीय राजधानी बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी दंगे की षड्यंत्रकारी है। इसके आधार पर जमानत नहीं देने को कहा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि षड्यंत्र के पीछे यह विचार था कि ‘किसी भी हद तक जाएं’ भले ही यह पुलिस के साथ छोटा संघर्ष हो या दो समुदायों के बीच दंगा भड़काना हो या ‘‘देश की वर्तमान सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देकर अलगाववादी आंदोलन को चलाने’’ की वकालत करना हो।
वहीं जरगर की ओर से पेश हुईं वकील नित्या रामकृष्णन ने सुनवाई में कहा था महिला नाजुक हालत में हैं और चार महीने से ज्यादा की गर्भवती हैं और अगर पुलिस को याचिका पर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए तो छात्रा को कुछ वक्त के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। इसपर एकल पीठ ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से मंगलवार को निर्देश लेकर आने को कहा था।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत 10 अप्रैल को सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया गया था।