नई दिल्ली। देश के विभिन्न राज्यों में प्रवासी मजदूरों की संख्या बहुत अधिक है। खासकर बिहार,उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल,झारखंड,छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के लोग रोजी-रोजी के चक्कर में दूसरे राज्यों में पलायन करते रहे हैं। इस समय इन हिंदी भाषी राज्यों के लोगों की संख्या मुंबई, सूरत,बंगलुरू और पंजाब में ज्यादा है। लॉकडाउन की वजह से वे सब अपने घर से दूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं।
प्रवासी मजदूरों को गृहनगर पहुंचाने की मांग काफी दिनों से हो रही है। रेल औऱ बसों के माध्यम से कुछ मजदूरों को उनके घर पहुंचाया भी जा चुका है। लेकिन कितने मजदूरों को रेल से भेजा गया भी तक इसकी जानकारी लोगों को नहीं थी। अब जाकर रेलवे ने अधिकृत आंकड़ा जारी किया है।
रेलवे ने बताया कि उसने एक मई से अबतक 83 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिनमें 80,000 से ज्यादा फंसे हुए लोगों को ले जाया गया है। रेलवे ने मंगलवार को बताया कि उसने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कार्यस्थलों पर फंस गए प्रवासी कामगारों के लिए मंगलवार शाम तक 76 ट्रेनें चलाई। प्रत्येक विशेष ट्रेन में 24 डिब्बे हैं और हर डिब्बे में 72 बर्थ हैं। सामाजिक दूरी के नियम का पालन हो, इसके लिए लेकिन रेलवे एक डिब्बे में 54 यात्रियों को ही जगह दे रहा है।
कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को अगले पांच दिनों में राज्य से चलने वाली 10 ट्रेनों को रद्द कर दिया। बहरहाल, राज्य सरकार ने कहा कि बेंगलुरु से बिहार के लिए तीन ट्रेने रवाना होंगी। मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 13 ट्रेनें बिहार गई हैं और 11 ट्रेनें रास्ते में हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 10 ट्रेने उत्तर प्रदेश गई हैं और पांच ट्रेने रास्ते हैं।