
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष नीति (एसटीआईपी-2020) के लिए विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार जिस तरह के नए संकटों का दुनिया को सामना करना पड़ रहा है वैसे हालात में यह नई नीति अपने विकेन्द्रीकृत तरीकों से प्राथमिकताओं वाले क्षेत्र तय करेगी। यह निर्धारित करेगी की किन क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना है। अनुसंधान के तरीके कैसे होने चाहिए तथा सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिए प्रौद्योगिकी का किस पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने नई नीति तैयार करने के लिए संयुक्त रूप से विकेंद्रीकृत, समावेशी प्रक्रिया शुरू की है। भारत सरकार की ओर से पांचवीं विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति एक ऐसे महत्वपूर्ण समय में बनाई जा रही है जब पूरी दुनिया कोविड महामारी के संकट से जूझ रही है।
मंत्रालय के अनुसार नई नीति बनाने की प्रक्रिया में चार महत्वपूर्ण चरण शामिल किए गए हैं। पहले चरण के तहत विज्ञान नीति फोरम के माध्यम से एक व्यापक सार्वजनिक और विशेषज्ञ परामर्श प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
विज्ञान नीति फोरम नीति प्रारूपण प्रक्रिया के दौरान और बाद में बड़े सार्वजनिक और विशेषज्ञ पूल से इनपुट प्राप्त करने के लिए एक समर्पित मंच है। नीति-निर्माण प्रक्रिया के दूसरे चरण में साक्ष्य-आधारित सिफारिशों को फीड करने के लिए विशेषज्ञों के विषयगत परामर्श शामिल हैं। इसके लिए इक्कीस केंद्रित विषयगत समूहों का गठन किया गया है।
तीसरे चरण में मंत्रालयों और राज्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया शामिल की गई है जबकि चौथे चरण में शीर्ष स्तर पर विभिन्न-हितधारकों के साथ परामर्श की व्यवस्था की गई है। इसमें बताया गया है कि विभिन्न चरणों में परामर्श प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी हैं और समानांतर रूप से चल रही हैं। दूसरे चरण का विषयगत समूह परामर्श पिछले सप्ताह सूचना सत्रों की एक श्रृंखला के साथ शुरू हुआ।
नई नीति बनाने की प्रक्रिया में चार महत्वपूर्ण चरण शामिल किए गए हैं। पहले चरण के तहत विज्ञान नीति फोरम के माध्यम से एक व्यापक सार्वजनिक और विशेषज्ञ परामर्श प्रक्रिया निर्धारित की गई है। विज्ञान नीति फोरम नीति प्रारूपण प्रक्रिया के दौरान और बाद में बड़े सार्वजनिक और विशेषज्ञ पूल से इनपुट प्राप्त करने के लिए एक समर्पित मंच है। -विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सूचना सत्र के दौरान, डीएसटी के नीति समन्वय और कार्यक्रम निगरानी प्रभाग के प्रमुख डॉ अखिलेश गुप्ता ने प्रस्तुतियां दीं और चर्चाओं को आगे बढ़ाया। सत्रों में 21 नीतिगत समूहों के लगभग 130 सदस्यों के साथ 25 नीति अनुसंधान अध्येताओं और डीएसटी और पीएसए के कार्यालय के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
बयान के अनुसार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि न्यू इंडिया के लिए नई विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति में कोविड महामारी से मिले सबक को भी शामिल किया जाएगा।
इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के माध्यम से अनुसंधान और विकास तथा विशाल बाजारों और जनसांख्यिकीय लाभांश की हमारी ताकत का लाभ उठाते हुए एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का लक्ष्य शामिल किया गया है।
नीति निर्माण की छह महीने की प्रक्रिया में देश के वैज्ञानिक पारिस्थितिक तंत्र के बाहर और भीतर सभी पक्षकारों सहित शिक्षा, उद्योग, सरकार, वैश्विक साझेदार, युवा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद, नागरिक निकाय और आम जनता के साथ व्यापक परामर्श किया जाएगा।