कोरोना महामारी से संकट में यूपी का विश्व प्रसिद्ध कालीन उद्योग


कोरोना संकट के चलते देशव्यापी लाकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश के कालीन व्यावसायियों ने सरकार से परंपरागत उद्योग को बचाने की मांग की है। दुनिया भर में अपना हाथ से बुनी कालीनों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के भदोही के कारोबारियों ने सरकार से अनुरोध किया है कि कम से कम घर पर बुनकरों को काम करने की इजाजत दे दी जाए।


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लखनऊ। जानलेवा महामारी कोरोना और देशव्यापी लाकडाउन में उत्तर प्रदेश को करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा देने वाले कालीन उद्योग के पांव के नीचे से जमीन खिसक चुकी है। कालीन की बुनाई करने वाले कारीगर खाली हाथ हैं तो निर्यातक कम से कम घर से ही कारोबार शुरु करने की मांग कर रहे हैं।
 
कोरोना संकट के चलते देशव्यापी लाकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश के कालीन व्यावसायियों ने सरकार से परंपरागत उद्योग को बचाने की मांग की है। कालीन कारोबारियों का कहना है कि लाकडाउन के चलते विदेशों के निर्यात आर्डर मिलना बंद हो गया है और देशी बाजार में भी मांग शून्य है। उनका कहना है कि यह हालत कम से कम एक साल तक बनी रहेगी। एसे में कारोबारियों और उनसे भी ज्यादा बुनकरों का धंधे में बचे रहना मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले भी कालीन उद्योग इसी तरह के संकट से तीन साल पहले भी गुजर चुका है।

बुनकरों के साथ ही कारोबारियों ने कालीन की घर पर बुनाई शुरु करने की इजाजत देने की बात कही है। दुनिया भर में अपना हाथ से बुनी कालीनों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के भदोही के कारोबारियों ने सरकार से अनुरोध किया है कि कम से कम घर पर बुनकरों को काम करने की इजाजत दे दी जाए। 

उनका कहना है कि देशव्यापी तालाबंदी के चलते उनका हजारों करोड़ रुपये का तैयार माल गोदामों में पड़ा हुआ है और नयी बुनाई हो नहीं पा रही है। कालीन कारोबारियों ने बैंकों से लिए गए कर्ज पर ब्याजमाफी और इस उद्योग के लिए राहत पैकेज की मांग की है।
भदोही के पूर्व विधायक जाहिद बेग का कहना है कि तीन साल पहले आई नोटबंदी के समय में बड़ी तादाद में काम बंद होने के चलने कालीन के बुनकर अपना पुश्तैनी काम छोड़ चुके हैं और अब लाकडाउन में बचे खुचे कालीन बुनकर भाग जाएंगे। कालीन के तमाम पुश्तैनी कारीगर अब या तो रोजी रोटी के लिए बाहर चले गए हैं या ई-रिक्शा चलाकर पेट पाल रहे हैं। उनका कहना है कि देश भर में 80 फीसदी से ज्यादा हाथ का कालीन भदोही में बनता है और इस जिले में कम से 10 लाख लोग इस काम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं। उन्होंने इस सिलसिले में भदोही के जिलाधिकारी को एक मांगपत्र सौंप कर मांग की है कि बुनकरों को घर से काम करने की इजाजत दे दी जाए।

जाहिद बेग के मुताबिक प्रदेश सरकार ने कहा था कि जिस जिले में कोरोना संक्रमित की संख्या शून्य होगी वहां सशर्त उद्योग चलाने की छूट दी जाएगी। भदोही जिले में कोरोना  संक्रमण की संख्या शून्य है। ऐसे में विश्व विख्यात कालीन नगरी भदोही के लाखों बुनकर मजदूरों के हितो को देखते हुए कालीन कंपनी सहित बुनाई, कटाई, पेचाई आदि काम की अनुमति दी जाए। इसके अलावा छोटे दुकानदारों को भी शर्तों के आधार पर दुकान खोलने की अनुमति दिया जाय। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार सभी कालीन बुनकरों को 5000 रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के भरण पोषण के लिए राशन उपलब्ध कराए।