विदेश मंत्रालय की निष्क्रियता से कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर संशय के बादल

केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने कहा कि अगर यात्रा को भारत और चीन सरकारों की तरफ से अनुमति मिल भी जाती है तो समय से यात्रा शुरू करने के लिए तैयारियों के वास्ते पर्याप्त वक्तनहीं है। अगर यात्रा जून में शुरू होगी तो पैदल मार्ग पर पड़ी बर्फ हटाने के लिए बहुत देर हो गयी है। बूंदी शिविर से लेकर लिपुलेख दर्रे तक के 35 किलोमीटर लंबे पूरे मार्ग पर बर्फ पड़ी हुई है और उसे हटाने में एक पखवाडे़ से ज्यादा का समय लगेगा।इसके अलावा यात्रा को भारत और चीन सरकार की मंजूरी भी चाहिए।

उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियों के अभी तक शुरू न हो पाने के कारण इसके समय से आरंभ होने को लेकर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं। मानसरोवर तीर्थयात्रा हर साल जून के दूसरे सप्ताह तक शुरू हो जाती है और इसके लिए तैयारियां भी दो महीने पहले आरंभ हो जाती हैं लेकिन कोविड 19 के प्रसार को कम करने के लिए लागू लॉकडाउन ने इस प्रक्रिया में विलंब कर दिया है।

यात्रा की नोडल एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के अधिकारियों को भी लॉकडाउन के चलते यात्रा के समय से शुरू होने पर संशय है। केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने कहा कि अगर यात्रा को भारत और चीन सरकारों की तरफ से अनुमति मिल भी जाती है तो समय से यात्रा शुरू करने के लिए तैयारियों के वास्ते नोडल एजेंसी के पास वक्त पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर यात्रा जून में शुरू होगी तो पैदल मार्ग पर पड़ी बर्फ हटाने के लिए बहुत देर हो गयी है।’’

अधिकारी ने कहा कि बूंदी शिविर से लेकर लिपुलेख दर्रे तक के 35 किलोमीटर लंबे पूरे मार्ग पर बर्फ पड़ी हुई है और उसे हटाने में एक पखवाडे़ से ज्यादा का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यात्रा को आयोजित करना केवल भारत सरकार के हाथ में नहीं है और इसके लिए चीन सरकार की मंजूरी भी चाहिए।

केएमवीएन के अलावा पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस भी मानसरोवर यात्रा की तैयारियों में शामिल रहते हैं लेकिन इस बार किसी भी एजेंसी को अब तक विदेश मंत्रालय से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं और अब तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।

First Published on: April 30, 2020 3:37 AM
Exit mobile version