जेल के वो चार दिन जिसने अमर सिंह की जिंदगी बदल दी


कैश-फॉर-वोट मामले में अमर सिंह को 4 दिनों के लिए 2011 तिहाड जेल जाना पड़ा था लेकिन बाद में खराब तबियत के चलते उनको अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भेज दिया गया था जहां पर वो तीन महीने अपने उपचार के लिए रहे और उसी दौरान उनको जमानत भी मिली। लेकिन उन चार दिनों ने अमर सिंह को अच्छे बुरे की पहचान करवा दी थी।वरिष्ठ पत्रकार सुनेत्रा चौधरी ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया है।


नागरिक न्यूज admin
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2009 में खराब किडनी के चलते अमर सिंह अपने उपचार के लिये सिंगापुर गए थे और 2011 में तीस हज़ारी कोर्ट में जब उनकी पेशी हुई तब वही उनके गले की हड्डी बन गयी। जब उनकी पेशी तीस हज़ारी में हुई तब उनको जज संगीता ढींगरा ने पूछा की वो अपने इलाज़ के लिए सिंगापुर क्यों गए और हिंदुस्तान में ही उसका उपचार क्यों नहीं करवाया। इसका जो जवाब अमर सिंह ने दिया वो किसी भी जज को गुस्सा दिलाने के लिये काफी था। अमर सिंह ने अपनी दलील में यही कहा की वो एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उनको पहले ही गिरफ्तार कर लिए जाना चाहिए था ताकि वो जांच में किसी तरह की बाधा ना बन सके। उन्होंने आगे ये भी कहा की अब जब उनके ऊपर चार्जशीट लग ही गया है तो फिर उनको गिरफ्तार करने का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन जज ढींगरा ने उनकी कोई बात नहीं सुनी और उनको तुरंत न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।  

जेल पहुंच कर उनको अपना चेन, घडी सब कुछ जमा करना पड़ा। इसके पहले एक काले रंग की वैन में उनको जेल तक लाया गया था। जेल में जाते वक़्त उनको पुलिस वालो की सलामी भी नसीब हुई जो इस बात से बेखबर थे की उस वक़्त वो महज एक अपराधी थे। ये वो दौर था जब उनके करीबी उनसे मिलने में कतराने लगे। तिहार जेल के सुपरिन्टेन्डेन्ट उस वक़्त नीरज कुमार (जो आगे चलकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर भी बने) थे और उन्होंने भी अमर सिंह से कन्नी काट ली। ऐसा कहा जाता है की उनकी मुलाकात अमर सिंह से ना हो पाए इसके लिए वो लम्बी छुट्टटी पर चले गए। जेल पहुंच कर राजनीति के चाणक्य ने ये भी देखा की 2जी स्कैम के सारे अभियुक्त जेल मे एक ही जगह थे और उनकी पहुंच के दायरे में वेस्टर्न टॉयलेट और कुछ खुली जगह भी थी जो अमूमन जेल में किसी को नसीब नहीं होता है। अमर सिंह को भी उन्ही के बीच रखा गया।  

जेल पहुंचने पर उनको सोने के लिए एक चटाई के साथ साथ एक बाल्टी और मग भी उपलब्ध करवाई गयी। अपने किडनी ट्रांसप्लांट की वजह से अमर सिंह का क्रिएटिनिन लेवल उन दिनों काफी ऊपर जा चुका था जिस वजह से उनको काफी तकलीफ हो रही थी। अपने जेल के उन चार दिनों में अमर सिंह ने कई नए रिश्ते बनाये और उन्ही में से शामिल थे फिल्म निर्माता करीम मोरानी जो शाहरुख खान के बेहद करीब माने जाते है। इसके पहले 2004 के ज़ी अवार्ड्स के दौरान दोनों में हाथापाई की नौबत तक आ गयी थी। लेकिन जेल की चारदीवारी के बीच अब दोनों दोस्त बन गए थे और अगर 2011 के बाद अमर सिंह और शाहरुख खान के रिश्तो पर नज़र डाले तो यह साफ नजर आता है की दोनों के बीच कडुवाहट अब ना के बराबर हो गई थी। 

जेल के उन चार दिनों ने अमर सिंह को दोस्तों और दुश्मनो की पहचान करवा दी थी। उनके बेहद करीबी माने जाने वाले अमिताभ बच्चन उनको देखने तक नहीं आये और इस बात का मलाल उनको काफी था।अमिताभ बच्चन उनसे जरूर मिले लेकिन बेल मिलने के बाद। उनको बेहद ख़ुशी हुई जब उनके हिंदुस्तान टाइम्स के दिनों में उनके साथ काम करने वाले श्याम और हरी भारतीय उनसे मिलने आये। अमिताभ बच्चन की ही तरह सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रोतो रॉय ने भी उनसे काफी समय के बाद मुलाकात की। ऐसा कहा जाता है की जब अमिताभ बच्चन उनसे मिले तब मुलाकात के दौरान दोस्ती की गर्मजोशी गायब थी। अमर सिंह इस बार काफी भड़के थे इसके पीछे एक इतिहास भी छुपा था। एक बार सुब्रोतो रॉय की पार्टी में जब वो हेलीकाप्टर से जाने के लिए तैयार थे तब उनको आखिरी वक़्त पर रोक कर उनके आगे ऐश्वर्या राय बच्चन को पहले भेज दिया गया था।  उनका ये भी मानना था की जया बच्चन उनके पीठ पीछे समाजवादी पार्टी के नेताओं से उनकी काफी शिकायत करती थी।  

अमर सिंह के हिसाब से उनका जेल का वक़्त वो दौर था जब अम्बानी और बच्चन परिवार के अलावा और भी कई महत्वपूर्ण लोगो ने उनसे कन्नी काट ली थी। लेकिन अगर किसी से ना मिल पाने की सबसे ज्यादा पीडा अमर सिंह को थी तो वो थे उनके डॉक्टर रमेश कुमार जो उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भी चिकित्सक थे। जब अमर सिंह की पत्नी ने उनको अनुरोध किया की वो एक बार जेल जाकर उनके पति से मिल ले तब पदम्श्री विजेता रमेश कुमार का यही जवाब था वो किसी भी अपराधी से दूर रहना पसंद करेंगे। ये अमर सिंह के लिए पूरी तरह से एक शॉक था क्योंकि इसके पहले डॉक्टर रमेश कुमार ने अपनी कई छोटी मोटी चीज़ो को करवाने के लिए अमर सिंह का सहारा लिया था।  

जेल के दौरान उनको अगर किसी का सहारा मिला तो वो थी अभिनेत्री और सांसद जया प्रदा। जया प्रदा ने अपने सांसद होने का लाभ उठाया और सुनिश्चित किया की अमर सिंह की पत्नी उनसे जेल में मिल सके और उनको कुछ जेल में विशेष सुविधा मुहैया हो। गौरतलब है की इस जेल एपिसोड के बाद ही अमर सिंह और अमिताभ बच्चन के रिश्तो में खटास आनी शुरू हो गयी थी और आगे चल कर ऐसे कई मौके आये जब अमर सिंह ने बच्चन परिवार की कई बार आलोचना की। लेकिन आगे चलकर अमिर सिंह ने अपने इस कृत्य के लिये बच्चन परिवार से मांफी भी मांगी।