मंदिर निर्माण के साथ ही वास्तुकार सोमपुरा की कृति को भी मिलेगी अमरता


राम मंदिर का मॉडल तैयार करने वाले वास्तुविद चंद्रकांत सोमपुरा की सबसे अनोखी बात ये है कि इनके पास वास्तुकला की कोई औपचारिक डिग्री नहीं है। इसके बाद भी इन्हें मंदिरों के नक्शे के लिए देश-विदेश से न्यौता मिलता है।


मंज़ूर अहमद मंज़ूर अहमद
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अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए हो रहे भूमि पूजन के पहले सरकार ने राम मंदिर की प्रस्तावित तस्वीरें जारी कर दी हैं। इस मंदिर निर्माण के साथ ही देश-दुनिया में सैकड़ों मंदिरों के आर्कीटेक रहे वास्तुविद चंद्रकांत सोमपुरा को भी उनकी इसी कला के साथ एक अमरता मिल जाएगी और जब भी लोग भगवान राम के मंदिर की भव्यता की तारीफ करेंगे तो सोमपुरा इससे अछूता नहीं रहेंगे। 

राम मंदिर का मॉडल तैयार करने वाले वास्तुविद चंद्रकांत सोमपुरा की सबसे अनोखी बात ये है कि इनके पास वास्तुकला की कोई औपचारिक डिग्री नहीं है। इसके बाद भी इन्हें मंदिरों के नक्शे के लिए देश-विदेश से न्यौता मिलता है। गुजरात से ताल्लुक रखने वाला सोमपुरा परिवार  नागर शैली के मंदिरों की वास्तुकला का जानकार माना जाता है। ये पूरा परिवार ही नागर शैली के मंदिर बनाने में महारत रखता है। चंद्रकांत सोमपुरा के पिता प्रभाकर सोमपुरा ने ही गुजरात का ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था। प्रभाकर ने ही मथुरा का मंदिर भी बनाया था।

चंद्रकांत सोमपुरा ने पूरे देश और दुनिया में भी नागर शैली के मंदिरों का नक्शा तैयार किया हैं। अपने स्थापत्य और भव्यता के कारण पूरी दुनिया में विख्यात लंदन के प्रसिद्ध अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर का नक्शा भी इन्होंने ही तैयार किया है। ऐसा माना जाता है कि राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख रहे अशोक सिंघल ने सबसे पहले इनसे ही बात की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 1987 में इन्होंने ही पहली बार राम मंदिर के डिजाइन को प्रस्तुत किया था जिस को साल 1990 में इलाहाबाद(प्रयागराज) कुंभ के दौरान संतों ने अपनी सहमति प्रदान की। 

मंदिर के इस नक्शे पर सहमति मिलने के बाद इस मॉडल को अयोध्या के विहिप कार्यालय कारसेवक पुरम में रखा गया। प्रस्तावित मंदिर का नक्शा बनाने के बाद फिलहाल चंद्रकांत सोमपुरा अयोध्या में ही हैं। इधर मंदिर निर्माण के काम में तेजी आ चुकी है। डिजाइन के आधार पर सहायक वास्तुविद अलग-अलग जगहों पर काम कर रहे हैं ताकि मंदिर से जुड़ी सारी चीजें एक ही समय पर तैयार हो सकें। चंद्रकांत सोमपुरा के मुताबिक पत्थरों पर नक्काशी का 40 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। माना जा रहा है कि मंदिर निर्माण लगभग दो से ढाई साल में पूरा हो जाएगा।

मंदिर निर्माण से पहले अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल  जहां पर मंदिर का निर्माण होना है वहां पर बुधवार को भूमि पूजन का बड़ा कार्यक्रम होगा। इसके लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आ रहे हैं और पीएम ही मंदिर के निर्माण के लिए नींव की ईंट रखेंगे।

अधिकारियों के अनुसार इस दौरान पीएम कुल तीन घंटे अयोध्या में बिताएंगे। इसके पहले सोमवार को अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी की ओर से कहा गया था कि पीएम मोदीजन्मभूमि पर जाने से पहले हनुमानगढ़ी पर भी पूजा करने जाएंगे। चूंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान के आशीर्वाद के बिना भगवान राम के कोई काम शुरू नहीं होते, ऐसे में पीएम मोदी पहले भगवान हनुमान से पूजा कर आशीर्वाद लेंगे, जिसके बाद वो भूमि पूजन के लिए जाएंगे। पीएम भूमि पूजन में मंदिर निर्माण के लिए 40 किलो की चांदी की ईंट आधारशिला के रूप में रखेंगे। पूजन के लिए धार्मिक अनुष्ठान सोमवार से ही शुरू किए जा चुके हैं।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए 175 प्रतिष्ठित अतिथियों को आमंत्रित किया गया है। ट्रस्ट ने बताया था कि भूमि पूजन के कार्यक्रम के लिए कुल 175 लोगों को निमंत्रण पत्र भेजा गया है, इसमें अलग-अलग आध्यात्मिक परंपराओं से आने वाले 135 संत शामिल हैं। वहीं कोरोना के फैलते संक्रमण और सुरक्षा उपायों के तहत मंच पर पीएम के अलावा बस पांच लोग उपस्थित रहेंगे। 

राम मंदिर के निर्माण का सपना साकार होते देख अपनी देवभक्ति की गीतों से सभी को आनंदित करने वाले गायकों, कलाकारों और गीतों की बहार आ गई है और अयोध्या के बाजारों व आस-पास के मंदिरों-चौपालों-घरों में  ये भक्तिमय गीत बड़े उल्लास और जोश के साथ गाए जा रहे हैं। 

भक्तिमय गीतों में  ‘राम लखन जब आये नगर में हो, पूछन लागीं सब नारी, सीता राम से भजौ’,  ‘जय जय गगन धुन छायी हो, राम आये अवध में’ जैसे गीत अक्सर सुनाई पड़ रहे हैं। 

बता दें कि भूमिपूजन के लिए देश की संपूर्ण नदियों का जल मंगवाया गया है। इसमें मानसरोवर, रामेश्वरम और श्रीलंका के समुद्र के जल सहित लगभग 2000 स्थानों से जल और मिट्टी लाई गई है। उन्‍होंने बताया कि ओरिजनल ड्राइंग के आधार पर ही मंदिर निर्माण होगा। जो पत्थर कार्यशाला में तराशकर रखे गए हैं, वे सबसे पहले लगेंगे।

मंगलवार को रामार्चन पूजा शुरू हो गई है। रामार्चन पूजा सभी प्रमुख देवी और देवताओं को भगवान राम के पधारने से पहले न्योता देने के लिए की जाने वाली पूजा है। इस पूजा को कई चरणों में किया जा रहा है। पहले चरण में राम के अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जा रही है। दूसरे चरण में अयोध्या की पूजा होगी। इसके अलावा नल-नील, सुग्रीव की पूजा होगी। तीसरे चरण में दशरथ, उनकी रानियों, राम के सभी भाइयों और उनकी पत्नी की पूजा की जाएगी और अंत में भगवान राम का आह्वान किया जाएगा।