देवबंद सर्कुलर में अंग्रेजी सीखने पर रोक लगाने पर विवाद तेज

राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशरफ सैफी ने कहा, हमने 21 जून को देवबंद मदरसा के अधिकारियों को आयोग के लखनऊ कार्यालय में तलब किया है।

लखनऊ। छात्रों के अंग्रेजी सीखने पर रोक लगाने वाले दारुल उलूम देवबंद के सर्कुलर पर विवाद बढ़ने के बीच, प्रसिद्ध इस्लामिक मदरसा ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन हरद्वारी द्वारा जारी सर्कुलर का ‘गलत अर्थ निकाला गया है और जानबूझकर इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।’ मदरसा को यूपी अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के नोटिस के बाद, पार्टी की अल्पसंख्यक शाखा के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा है कि वह फैक्ट-चेक के लिए मदरसे का दौरा करेंगे।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के अल्पसंख्यक विंग के प्रभारी जावेद मलिक ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वह चाहते हैं कि मुस्लिम छात्रों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में लैपटॉप हो। मदरसा छात्रों के बीच प्रगतिशील ²ष्टिकोण को सक्षम करने के लिए भाजपा सभी आधुनिक शिक्षा प्रदान कर रही है। हालांकि, जो हम सुनते हैं उसके अनुसार, छात्रों को किसी भी भाषा की पढ़ाई करने से रोकने के मदरसा के प्रयास निंदनीय हैं। हम तथ्यों की जांच के लिए मदरसा जाएंगे।

हरद्वारी ने अपने सर्कुलर में छात्रों को संस्थान में नामांकन के दौरान अंग्रेजी पढ़ने से प्रतिबंधित कर दिया और उन्हें चेतावनी दी कि उल्लंघन करने पर निष्कासन हो सकता है।

राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशरफ सैफी ने कहा, हमने 21 जून को देवबंद मदरसा के अधिकारियों को आयोग के लखनऊ कार्यालय में तलब किया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने संवाददाताओं से कहा कि सहारनपुर प्रशासन के अधिकारियों ने मदरसा के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं की है।

कानूनगो ने कहा, वे अपराधी हैं। पहले भी हमने फतवों को लेकर उन्हें नोटिस जारी किया था। यदि सहारनपुर प्रशासन मदरसे के खिलाफ थोड़ी सी भी सख्ती से कार्रवाई करता तो बात कुछ और होती।

यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशरफ सैफी ने कहा कि उन्होंने मदरसा को सहारनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र के माध्यम से लिखा है।

सहारनपुर के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी भरत लाल गोंड ने कहा कि उन्हें अभी तक इस मामले की जांच के लिए सरकार से कोई आदेश नहीं मिला है। इस बीच देवबंद के प्रवक्ता मौलाना एस. रशीदी ने जहर उगलने वालों की आलोचना की।

उन्होंने कहा, देवबंद के छात्रों के लिए बने एक सर्कुलर ने अनावश्यक विवाद खड़ा कर दिया है। देवबंद पिछले 15 सालों से अंग्रेजी और कंप्यूटर के कोर्स चला रहा है। यह सर्कुलर केवल उन छात्रों के लिए था, जो देवबंद से नि:शुल्क शिक्षा, आवास और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त करते हैं और इस्लामी न्यायशास्त्र का अध्ययन करने के लिए देवबंद में दाखिला लेते हैं। वे आमतौर पर अन्य विषयों के अध्ययन के लिए किसी बाहरी निकाय के साथ नामांकन करते हैं। इसमें गलत क्या है?

उन्होंने आगे कहा, बुद्धिजीवियों का एक वर्ग जानबूझकर पूरे मामले को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। मदरसों में केवल 2 प्रतिशत छात्र नामांकित हैं। संविधान अल्पसंख्यकों को भाषा और धर्म के आधार पर शिक्षण संस्थान स्थापित करने की अनुमति देता है। तो कुछ मंत्री बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं। इस तरह की नफरत फैलाने वाली हरकतें अब राजनीतिक विमर्श का हिस्सा लगती हैं।

First Published on: June 18, 2023 10:27 AM
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