किसानों का प्रदर्शन : सैकड़ों की संख्या में किसान दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर पहुंचे


किसानों का यह समूह तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है।



गाजियाबाद। केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन के एक साल पूरा होने के मौके पर शुक्रवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित गाजीपुर में ट्रैक्टरों के साथ बड़ी संख्या में किसान पहुंचने लगे हैं।

इनमें से कई लोग अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सब्जियां, आटे और दाल के बोरे, मसाले और खाना पकाने का तेल साथ लाए हैं। उन्होंने कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक प्रभावशाली किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) पिछले साल नवंबर से गाजीपुर सीमा पर मोर्चा संभाल रहा है।

भाकियू, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा है। किसानों का यह समूह तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ‘‘एक साल का लम्बा संघर्ष बेमिसाल, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, लड़ रहे हैं जीत रहे हैं, लड़ेंगे जीतेंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून किसानों का अधिकार।’’

संगठन के पदाधिकारियों ने दावा किया कि पुलिस बृहस्पतिवार से गाजीपुर सीमा पर दिल्ली-मेरठ एलिवेटेड हाईवे के एक हिस्से और उसके नीचे यूपी गेट पर अवरोधकों को बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन स्थल पर शुक्रवार शाम तक भीड़ बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि शनिवार को एसकेएम की बैठक है और हमारी भविष्य की कार्रवाई को लेकर उसके बाद ही फैसला किया जाएगा।

भाकियू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने कहा, ‘‘हमने 29 नवंबर को दिल्ली की ओर जुलूस निकालने की योजना बनाई है, लेकिन एसकेएम शनिवार को इस बारे में फैसला करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शुक्रवार की सुबह बड़ी संख्या में समर्थक सीमा पर पहुंचने लगे और शाम तक अकेले गाजीपुर में 50,000 से अधिक लोगों के पहुंचने की उम्मीद हैं।’’

समूह में ट्रैक्टर-ट्रॉली पर सवार होकर मुजफ्फरनगर से सुबह गाजीपुर पहुंचे भाकियू के एक समर्थक ने कहा कि वे भोजन और रहने के इंतजाम के साथ प्रदर्शन में शामिल होने आए हैं। ग्रामीण ने कहा, ‘‘एक साल हो गया है, किसान कई साल तक अपने अधिकारों के लिए विरोध जारी रख सकते हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के अपनी सरकार के फैसले की घोषणा की थी।



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