आज़मगढ़। खिरिया बाग के किसानों-मजदूरों के संघर्ष में पच्चासवें दिन कानपुर, उन्नाव, लखनऊ और बाराबंकी के किसान पहुंचे। किसान संघर्ष यात्रा का किसान नेता राजीव यादव ने स्वागत किया। फूलपुर, सरायमीर, संजरपुर, फरिहा, नंदनगर, निज़ामाबाद, शेरपुर तिराहा, सोफीपुर, तहबरपुर, नेवादा, मंदुरी में जगह-जगह किसान संघर्ष यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ।
यात्रा का नेतृत्व कर रहे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि कृषि की भूमि का कोई विकल्प नहीं हो सकता और न हीं अपनी आजीविका का साधन आसानी से बदला जा सकता है। भू-अधिग्रहण अधिनियम के तहत भी किसानों से उनकी मर्जी के बगैर जमीन नहीं ली जा सकती।
किसान नेता राजीव यादव और वीरेंद्र यादव ने कहा कि पूर्वांचल की धरती पर खड़ा हुआ जमीन-मकान बचाने का यह आंदोलन ऐतिहासिक है। खिरिया बाग के आंदोलन ने संघर्ष के पचास दिन पूरे करके सरकार को चेता दिया है कि हम झुकने वाले नहीं हैं। सरकार यही सोचती थी कि गरीब किसान-मजदूर थक जाएगा हार जाएगा। आज इस आंदोलन के जीतने के दृढ़ संकल्प के साथ पूर्वांचल समेत प्रदेश के किसान-मजदूर साथ खड़े हैं।
उन्नाव से आए सोशलिस्ट किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने कहा कि हवाई अड्डा हो अथवा कोई और विकास का काम, वह लोगों को उजाड़ कर नहीं किया जा सकता। जितने लोग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने से उजड़ेंगे उतने लोगों को हवाई अड्डा या उससे जुड़े हुए उपक्रम रोजगार नहीं दे सकते।
कानपुर से आए केएम भाई ने कहा कि लोग भूमिहीन हो जाएंगे और चंद लोगों की किस्मत चमक जाएगी। किसानों की बहुमूल्य जमीन औने-पौने दामों पर लेकर रियायती दर पर पूंजीपतियों को दे दी जाएगी। इस देश में विकास के नाम पर यही खेल चल रहा है। अमीर व गरीब की खाई बढ़ती जा रही है।
लखनऊ से आए किसान नेता बृजेश यादव बागी ने कहा कि एक तरफ अडाणी, जिनका नरेन्द्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने से पहले किसी ने शायद ही नाम सुना हो आज दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। करोना काल में भी जब सबकी आय गिर गई तो अडाणी जैसे पूंजीपति अमीर होते गए। दूसरी तरफ महंगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहे आम व्यक्ति के लिए जीना दूभर हो गया है। रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, इलाज, बिजली का बिल, आदि जरूरतों को पूरा करने में ही उसकी कमर टूट रही है।
किसान संघर्ष यात्रा ने कहा की हमें इस तरह का विकास मंजूर नहीं है। विकास समावेशी होना चाहिए व आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए। यदि आजमगढ़ कृषि प्रधान क्षेत्र है तो किसानों की सुविधा के लिए मंडियां खुलनी चाहिए जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का उत्पाद खरीद सकें। किसानों को मुफ्त बिजली-पानी की सुविधा मिले व आसान शर्तों पर कर्ज मिल सके। कृषि सम्बंधित अन्य रोजगार के अवसर सृजित होने चाहिए ताकि लोगों को पलायन ही न करना पड़े। शिक्षा-चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। यदि बाहर की यात्रा करनी भी है तो आजमगढ़ के ज्यादातर लोग रेलगाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। रेल की सुविधा में विस्तार होना चाहिए। हवाई अड्डा बनाने से हवाई जहाज बनाने, उड़ाने वाली, पेट्रोलियम का व्यापार करने वाली कम्पनियों व पैसे वालों को लाभ होगा। यह होड़ धरती के नीचे सीमित मात्रों में मौजूद पेट्रोलियम भण्डारों पर जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की है, इसका आम लोगों के विकास से कोई लेना देना नहीं। इसलिए हम आजमगढ़ में हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की योजना का विरोध करते हैं।
किसान संघर्ष यात्रा में कानपुर से केएम भाई, विशाल, रमेश, उन्नाव से सुषमा, शकुंतला, संतकुमार, राजेश, मुंशी लाल, कुमारा, लखनऊ से बृजेश यादव बागी, जवाहिर यादव शामिल हुए।