बाढ़ नियंत्रण के लिए सरकार बनाये ठोस एक्शन प्लान, राहत पैकेज का करे ऐलान : यूपी कांग्रेस

भारी बारिश के चलते आयी बाढ़ से हुये नुकसान और प्रदेश सरकार पर बाढ़-रोकथाम के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि बारिश के चलते प्रदेश की कई नदियों में जल स्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया। इससे कई तटबंध टूटने के कगार पर हैं।

लखनऊ। भारी बारिश के चलते आयी बाढ़ से हुये नुकसान और प्रदेश सरकार पर बाढ़-रोकथाम के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि बारिश के चलते प्रदेश की कई नदियों में जल स्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया। इससे कई तटबंध टूटने के कगार पर हैं। सैकड़ो गांव जलमग्न हो गये है, हजारो एकड़ फसले बर्बाद हो गयी है। मवेशी संकट में है। लेकिन सरकार ने अभी तक बाढ़ की रोकथाम के लिये कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं बनाया।

लल्लू ने कहा कि 76 बांध अति संवेदनशील हैं। वहीं बाढ़ स्थायी संचालन समिति की बैठक में 3000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सिंचाई विभाग ने रखा लेकिन योगी सरकार ने मात्र 1300 करोड़ रुपया ही स्वीकृति किया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यह सरकार की असंवेदनशील रैवया का परिणाम है कि पिछले तीन सालों में सबसे अधिक बांध टूटे हैं। चरसरी, एपी बंधा कुशीनगर, बाराबंकी के बांधे टूटे हुए हैं। लल्लू ने कहा कि कोरोना के कहर के बीच बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। लगातार बारिश होने से पूरा प्रदेश बाढ़ की चपेट में है। जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गोरखपुर, बस्ती, महराजगंज, कुशीनगर, बहराइच, गोण्डा, बाराबंकी, बनारस व  फैजाबाद जिलों के सैकड़ो गांव जलमग्न हो गये है। किसानों की हजारों एकड़ की फसले बर्बाद हो गयी है। मवेशियों को चारा का संकट है। बाढ़ में फंसे लोगो के लिये आवागमन की कोई सुविधा नहीं मिल पायी है। पीड़ित परिवार भोजन की समस्या से जूझ रहे है। सरकार ने अभी तक कहीं भी खाद्यान्न वितरित नहीं किया।

उन्होंने आगे कहा कि बूढ़ी गंडक, मवने नाले, घाघरा, सरयू और राप्ती नदी में बने कई तटबंध पहले से ही जर्जर अवस्था में है। बाढ़ का संकट बढ़ने से बाराबंकी में सरसवां तटबंध, कुशीनगर का अमवा खास सहित कई तटबंध टूटने के कगार पर है। उन्होंने खुद ही अपनी विधानसभा तमकुहीराज के जर्जर तटबंधों की मरम्मत के लिये विधानसभा में मांग उठायी लेकिन सरकार ने अभी तक सुध नहीं लिया। क्या सरकार भीषण बाढ़-संकट का इंतजार कर रही है?

लल्लू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गैर-जिम्मेदार बताते हुये कहा कि इस संकट की घड़ी में जहां बाढ़-परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करने की जरूरत है,  बाढ़-ग्रस्त इलाको में बाढ़-चौकियां बनाने की जरूरत है, बाढ़ से प्रभावित किसानों को राहत पैकेज देने की जरूरत है वहीं प्रदेश सरकार द्वारा नदियों की पूजा कर बाढ़ रोकने  का तरीका हास्यास्पद है, मुख्यमंत्री स्वांग रच रहे है। नदियां मां के समान है लेकिन बाढ़ की रोकथाम न करना जिम्मेदारियों से भागना है।
लल्लू ने आगे कहा कि पिछले साल बाढ़ से सैकड़ो मौते हुई थी, अभी तक सभी पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया। बाढ़-राहत कोष मंत्रालय और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से जमकर बंदरबाट किया गया। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताते हुये कहा कि बाढ़ की विभीषका को गंभीरता से ले और बाढ़-रोकथाम के लिये ठोस एक्शन प्लान बनाये। लल्लू ने प्रदेश सरकार से त्वरित बाढ़ राहत पैकेज की मांग की है। प्रदेश सरकार को बाढ़ से हुये नुकसान, प्रभावित क्षेत्रों और नष्ट हुई फसलों का मूल्यांकन  कर पीड़ित जन-मानस को मुआवजा  का प्रबंध करना चाहिये।

First Published on: July 15, 2020 1:04 PM
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