सरकारी गेस्ट हाउस में डेरा डाले VVIP पर कौतूहल बरकरार


अरविंद कुमार शर्मा का डेरा अभी तक सरकारी गेस्ट हाउस ही बना है। इस कारण सियासी लोग उनको लेकर असमंजस में नजर आते हैं। खासकर वे लोग जो यह मानकर चल रहे हैं कि नया पावर सेंटर बन गया है।



अरविंद कुमार शर्मा को लेकर कौतूहल कम नहीं हुआ है। सियासी लोग जानना चाहते हैं कि उनका क्या होगा। इसमें उनकी गहरी रूचि है। कम से कम लखनऊ में तो यही है। यहां से बाहर तो इस तरह का माहौल नहीं है। हां, जब आए थे तब बहुत था। अखबारों में भी चर्चा खूब थी। इन दिनों वहां भी खामोशी छाई है।

मगर जो सियासी लोग है, वे चुप नहीं है। वे तो यह जानने के लिए आतुर है कि आखिर अरविंद कुमार शर्मा को मिल क्या रहा है? अभी तक मिला क्यों नहीं है, यह सियासी लोगों का पहला सवाल है। वे लोग यह मानने को तैयार नहीं कि उनको नाहक यहां लाया गया है। फिर अगर ही यूं लाना होता तो चुनाव के बाद भी लाया जा सकता था। अगर किसी को प्रधानमंत्री स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिलाकर यहां भेज रहे हैं तो मामला कुछ जरूर है।

लेकिन वह क्या है? यह किसी के गले नहीं उतर रहा है। रिसफल को लेकर देरी ने भी कई सवाल खड़े कर दिए है। वह इसलिए कि जब अरविंद शर्मा आए थे तो माना जा रहा था कि फरवरी में रिसफल होगा। उसमें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। कुछ लोग तो गृहमंत्री तक बना रहे थे। लेकिन रिसफल है कि अभी तक हुआ नहीं। जिम्मेदारी भी उनको कुछ खास मिली नहीं। इस कारण कुछ लोग तो उनके आने को सामान्य तौर पर देखने लगे हैं। मगर जिस तरह से एसपी गोयल सरीखे अधिकारी को यहां से केन्द्र में भेजा गया, उसको लेकर यह कहा जा रहा है कि अरविंद कुमार शर्मा के आने का असर दिखने लगा है।

एसपी गोयल का सूबे से जाना सामान्य घटना नहीं है। वह इसलिए कि इनको लेकर 2017 से ही कई तरह की बातें सियासी गलियारों में रही है। राजनीतिक आस्था के मसले को छोड़ भी दिया जाए तो भी सूबे का नेतृत्व उनसे खुश नहीं था। बावजूद इसके वे मुख्यमंत्री कार्यालय में जमे थे। यह मामूली बात नहीं थी।

इससे यह भी पता चलता है कि सूबे में जो खेमेबंदी है और जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा भी खूब होती है, वह गलत तो नहीं जान पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस सूबे का नेतृत्व पसंद न करें फिर भी वह कुर्सी पर बना रहे तो जाहिर है, उसे, उस खेमे का संरक्षण हासिल है जो नेतृत्व जितना ही प्रभावशाली है। हां, अलग बात है कि जिस तरह से सहयोगी मिलने का चलन चल पड़ा है, उसके बाद से सूबे में कई प्रभावशाली लोगों का कद घटा है। इस तरह की भी अटकलबाजी हो रही है।

हालांकि सियासत में यह आम बात है। अरविंद कुमार शर्मा इसकी मिसाल बनकर उभरे हैं। उनको लेकर तो अभी तक सबकुछ शांत नहीं है। उनके आवास आंवटन को लेकर ही दो तरह की खबरें चली। एक, में उनको डालीबाग भेजा गया और दूसरी में उन्हें मुख्यमंत्री का पड़ोसी बना दिया बना दिया। मजेदार बात यह है कि पड़ासी बनने वाली खबर पड़ोसी के यहां से ही निकली।

जो भी हो अरविंद कुमार शर्मा का डेरा अभी तक सरकारी गेस्ट हाउस ही बना है। इस कारण सियासी लोग उनको लेकर असमंजस में नजर आते हैं। खासकर वे लोग जो यह मानकर चल रहे हैं कि नया पावर सेंटर बन गया है। शायद इसी कारण अरविंद कुमार शर्मा में सबकी रूचि भी है।



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