लखनऊ। सपा के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस महामारी से निपटने के लिए अब तक कोई नीति नहीं बना सकी है।
यादव ने बुधवार को यहां एक बयान में कहा है कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, खासतौर पर लखनऊ की हालत चिंताजनक बनी हुई है। इस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार कोई नीति नहीं बना सकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि संकट की स्थिति इसलिए भी है कि भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया। समाजवादी पार्टी सरकार में जितने मेडिकल कालेज बने, एमबीबीएस की सीटों में बढ़ोत्तरी हुई भाजपा ने उसके आगे कुछ नहीं किया। 108 और 102 एंबुलेंस सेवा बर्बाद कर दी गई। अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की गई थी। आज सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था भी चरमरा गई है।
यूपी में टेस्टिंग की स्लो रफ्तार, संक्रमण का रिकॉर्ड फैलाव:
यूपी में पहली बार 24 घंटे में 5000 से अधिक केस, 59 की मौत
VVIP गोरखपुर में 195 नए केस, 3 की मौत
लखनऊ में 831 नए केस, 12 की मौत
बनारस, आजमगढ़, विंध्य मंडल में 511 नए केस, 10 की मौत
कानपुर में 184 नए केस,9 की मौत pic.twitter.com/eCS5A24fwl— Samajwadi Party (@samajwadiparty) August 12, 2020
अखिलेश ने कहा कि लखनऊ में कोविड-19 के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, लेकिन अस्पतालों में बिस्तर सीमित संख्या में ही हैं। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास काफी बिस्तर हैं, लेकिन कोरोना वायरस मरीजों के लिए चंद बिस्तर ही आरक्षित किये गये हैं। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल की बिस्तर क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन अधिकारी अनसुना कर रहे हैं। अगर अधिकारी सरकार के निर्देश का पालन करते और पीजीआई, केजीएमयू तथा लोहिया चिकित्सा संस्थानों में क्षमतानुरूप कोविड-19 बिस्तर आरक्षित करते तो तस्वीर कुछ और होती।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी में भी लखनऊ में स्थित सभी हॉस्पिटल अपने दायित्व का निर्वाहन नहीं कर रहे हैं। चिकित्सालयों द्वारा सरकार के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है। जिस वजह से बड़ी संख्या में संक्रमित रोगियों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।