देश की एकता को मजबूत करने के लिए इंदिरा गांधी ने प्रस्तावना में जोड़ा था सेकुलर और समाजवादी शब्द


पूरे देश में एक ही साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने की योजना पर कांग्रेस ने यही संदेह व्यक्त किया था कि इससे केंद्र और राज्यों के बीच का संघीय संबंध बिखर जाएगा और राज्य केंद्र के अधीन होने लगेंगे। यह स्थिति आगे चल कर केंद्रीय सत्ता के सर्व शक्तिशाली होते जाने में तब्दील हो जाएगी।


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उत्तर प्रदेश Updated On :

लखनऊ। इंदिरा गांधी ने 42 वां संविधान संशोधन करके प्रस्तावना में समाजवादी और सेकुलर शब्द जोड़ कर देश की एकता और अखंडता को अक्षुण बनाया था। भाजपा सरकार इन दोनों शब्दों को संविधान से हटाकर देश को तोड़ने की कोशिश कर रही है। इन शब्दों की रक्षा करना आज देश के हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है।

ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी की 106 छठवीं जयंती पर साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 123 वीं कड़ी में कहीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इंदिरा गाँधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए महाराष्ट्र में अब्दुर्रहमान अंतुले, राजस्थान में बरकतुल्लाह खान, बिहार में अब्दुल गफूर, असम में सैयदा अनवरा तैमूर और पॉण्डीचेरी में हसन फ़ारुक को मुख्यमन्त्री बनाकर अल्पसंख्यक समुदाय को सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी थी। वहीं भूमिहीन दलितों को ज़मीन के पट्टे देकर उन्होंने समाज को बदल दिया। इस क्रम में उन्होंने 35 लाख भूमिहीन परिवारों को घर बनाकर दिया और 70 लाख बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया। जिसमें अधिकतर दलित और पिछड़े समुदाय के लोग थे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदिरा गाँधी के शासन के समय संसद में मुस्लिम प्रतिनिधित्व अपनी आबादी के अनुपात में काफी बेहतर हो गया था। तब 1980 से 1984 के बीच कुल 49 मुस्लिम सांसद हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब से मुसलमान कांग्रेस से दूर हुए उनका नेतृत्व खत्म होता गया जबकि उनके 20 प्रतिशत वोट के बल पर ही 5 प्रतिशत आबादी वाले नेता कई-कई बार सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे। लेकिन उन्होंने कभी भी किसी मुस्लिम नेता को मुख्यमन्त्री तक नहीं बनाया। उल्टे उनके बुरे समय में उनका साथ भी छोड़ दिया।

एक देश एक चुनाव पर कोविंद जी का बयान भाजपा की मंशा को उजागर करता है 

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बयान कि अगर देश में एक चुनाव होता है तो उस पार्टी को लाभ होगा जो केंद्र में सत्ता में है, मोदी सरकार की असली मंशा को सामने ला दिया है। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद को मोदी सरकार ने देश में एक चुनाव कराने के लिए बनाई गयी कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। रामनाथ कोविंद ने कल रायबरेली में मीडिया से यह बात कही थी।

कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूरे देश में एक ही साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने की योजना पर कांग्रेस ने यही संदेह व्यक्त किया था कि इससे केंद्र और राज्यों के बीच का संघीय संबंध बिखर जाएगा और राज्य केंद्र के अधीन होने लगेंगे। यह स्थिति आगे चल कर केंद्रीय सत्ता के सर्व शक्तिशाली होते जाने में तब्दील हो जाएगी। वहीं यह बहुदलीय ढांचे को भी कमज़ोर करके देश में दो दलिय व्यवस्था के लिए रास्ता खोल देगा जो भारतीय लोकतंत्र के लिए घातक होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने ख़ुद अपने बयान से कांग्रेस के इस संदेह को सच साबित कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह और दुखद है कि भाजपा एक पूर्व दलित राष्ट्रपति से लोकतंत्र को खत्म करवाने का काम करा रही है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपालों को विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से रोक रही है। जो एक तरह से केंद्र द्वारा राज्यों को नियंत्रित और परेशान करने की कोशिश है। यह
स्थिति इतनी गंभीर हो गयी है कि इन राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ जा रहा है।



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